महाराष्ट्र में किसान ही कर्ज के बोझ में नहीं हैं सरकार भी कर्ज के बोझ तले दबी जा रही है. फर्क शायद सिर्फ इतना है कि कर्ज के बोझ से दबा किसान आत्महत्या जैसा कदम उठा रहा है और सरकार एक के बाद एक उन्हीं वादों से मुकर रही है, जो उसने सत्ता में आने के लिए किए थे. महाराष्ट्र में इन दिनों जिस तरह वादाखिलाफी नजर आ रही है उसे लेकर आमजन खासतौर पर किसान बेहद हैरान और परेशान हैं.