बिहार की राजनीति में बेगूसराय सिर्फ एक ज़िला नहीं, बल्कि विचारों का संगम है. जहां खेतों की मिट्टी से मार्क्सवाद की गूंज भी उठी और हर मौसम में गेहूं-मकई की लहराती फसलें भी. यही वो ज़मीन है, जिसने न सिर्फ लाल झंडे को जन्म दिया, बल्कि हर चुनाव में राजनीति की दिशा तय की. गंगा किनारे बसा यह ज़िला आज भी बिहार की अर्थव्यवस्था की ‘अनाज कोठी’ कहलाता है. यहां के किसान पारंपरिक खेती से निकलकर आधुनिक तकनीक अपनाने लगे हैं —कहीं मखाना की खुशबू है तो कहीं डेयरी उद्योग ने रोजगार की नई राहें खोली हैं.