पराली जलाने के चौंकाने वाले आंकड़े, पंजाब और हरियाणा को पीछे छोड़ आगे निकला मध्य प्रदेश

पराली जलाने के चौंकाने वाले आंकड़े, पंजाब और हरियाणा को पीछे छोड़ आगे निकला मध्य प्रदेश

पिछले सप्ताह पंजाब में 401 मामले दर्ज किए गए, जो मध्य प्रदेश से कम है. वहीं, हरियाणा में भी पराली जलाने के मामले में कमी आई है. हरियाणा में 192 मामले दर्ज किए गए हैं. इस प्रकार, इन राज्यों की तुलना में मध्य प्रदेश में समस्या अधिक गंभीर रूप लेती नजर आ रही है.

पराली जलाने के चौंकाने वाले आंकड़ेपराली जलाने के चौंकाने वाले आंकड़े
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Oct 27, 2024,
  • Updated Oct 27, 2024, 12:03 PM IST

पिछले सप्ताह पराली जलाने की घटनाओं में मध्य प्रदेश ने पंजाब और हरियाणा को पीछे छोड़ दिया है. 19 अक्टूबर से 25 अक्टूबर तक के आंकड़ों के अनुसार, मध्य प्रदेश में पराली जलाने की सबसे अधिक 536 घटनाएं दर्ज की गई हैं. यह आंकड़ा स्थिति की गंभीरता को दर्शाता है और पर्यावरण संबंधी चिंताओं को बढ़ाता है. ये सभी आंकड़े भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) द्वारा सामने लाए गए हैं.
पंजाब, जो आमतौर पर पराली जलाने की समस्या के लिए जाना जाता है, इस सप्ताह अपने पारंपरिक नंबर एक स्थान पर नहीं है.

दरअसल, पिछले सप्ताह पंजाब में 401 मामले दर्ज किए गए, जो मध्य प्रदेश से कम है. वहीं, हरियाणा में भी पराली जलाने के मामले में कमी आई है. हरियाणा में 192 मामले दर्ज किए गए हैं. इस प्रकार, इन राज्यों की तुलना में मध्य प्रदेश में समस्या अधिक गंभीर रूप लेती नजर आ रही है.

यूपी में पराली के 192 मामले दर्ज

उत्तर प्रदेश और राजस्थान में भी हरियाणा से अधिक मामले दर्ज किए गए है. पिछले सप्ताह उत्तर प्रदेश में 192 मामले दर्ज किए गए है, जबकि राजस्थान में पराली जलाने के 203 मामले दर्ज हुए हैं. ये आंकड़े बताते हैं कि पराली जलाने की समस्या सिर्फ पंजाब और हरियाणा तक ही सीमित नहीं है, बल्कि देश के अन्य हिस्सों को भी प्रभावित कर रही है.

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ये हैं पिछले पांच सालों के आंकड़े

पिछले पांच सालों के आंकड़ों पर गौर करें तो पता चलता है कि पंजाब में पराली जलाने के मामलों में कमी आई है. 2020 में जहां 15 सितंबर से 25 अक्टूबर के बीच पराली जलाने के 16,221 मामले सामने आए, वहीं इस साल सिर्फ 1,749 मामले सामने आए हैं. यह तथ्य बताता है कि पंजाब के किसान पराली जलाने के बजाय वैकल्पिक तरीकों को अपनाने की ओर बढ़ रहे हैं. इसके विपरीत मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में पराली जलाने का चलन चिंताजनक है. खासकर, उत्तर प्रदेश में इस साल 15 सितंबर से 25 अक्टूबर के बीच पराली जलाने के 849 मामले दर्ज किए गए हैं, जो 2020 के बाद से सबसे ज्यादा है.

दिल्ली में भी जलाई जा रही पराली 

वहीं, मध्य प्रदेश में पिछले साल के मुकाबले कम पराली जलाई गई है, लेकिन आंकड़े 2021 और 2022 के मुकाबले ज्यादा है, जबकि 2021 और 2022 में इस अवधि में मध्य प्रदेश में पराली जलाने के सिर्फ 291 और 210 मामले सामने आए थे. 2023 में यह आंकड़ा बढ़कर 1261 और इस साल इस अवधि में 869 हो गया, जो पिछले पांच दिनों में अचानक काफी बढ़ गया है. दिल्ली में भी पराली जलाने के मामलों में बढ़ोतरी देखी गई है, जहां इस साल अब तक 11 मामले सामने आए हैं, जो पिछले पांच सालों में सबसे ज्यादा हैं. हरियाणा में भी पराली जलाने के मामलों में कमी आई है, जहां 2020 में 1,772 मामलों की तुलना में इस साल अब तक केवल 689 मामले सामने आए हैं.

दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में पराली जलाने का महत्वपूर्ण योगदान है. पिछले दो दिनों में पराली के धुएं ने दिल्ली के प्रदूषण में लगभग 15 फीसदी का योगदान दिया है. ये हालात संबंधित राज्यों में पराली जलाने की समस्या को हल करने की आवश्यकता की ओर इशारा करते हैं, ताकि दिल्ली और अन्य प्रभावित क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता में सुधार किया जा सके. (कुणाल कुमार की रिपोर्ट)

 

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