Stubble Burning: पराली जलाने के केसों से भड़के पंजाब के किसान, बोले — “मजबूरी में जला रहे हैं, न कि मर्जी से”

Stubble Burning: पराली जलाने के केसों से भड़के पंजाब के किसान, बोले — “मजबूरी में जला रहे हैं, न कि मर्जी से”

राज्यभर में किसानों ने FIR वापस लेने की मांग की, 4 नवंबर को जिला स्तर पर और 19 नवंबर को चंडीगढ़ में प्रदर्शन की घोषणा — बोले, “सरकार पहले विकल्प दे, फिर सजा.”

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क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Oct 31, 2025,
  • Updated Oct 31, 2025, 11:08 AM IST

पंजाब भर के किसान धान की पराली जलाने के आरोप में अपने खिलाफ पुलिस केस दर्ज होने से गुस्से में हैं. वे इस कार्रवाई को "गलत तरीके से निशाना बनाना" बता रहे हैं और कह रहे हैं कि यह काम मजबूरी में किया जा रहा है, न कि अपनी मर्जी से.

कई किसान संगठनों ने राज्य सरकार को चेतावनी दी है कि अगर ये केस तुरंत वापस नहीं लिए गए तो बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन होंगे. संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) के बैनर तले 30 से ज्यादा किसान और खेत मजदूर यूनियनों ने अपनी मांगों के समर्थन में 4 नवंबर को राज्य भर के डिप्टी कमिश्नरों को ज्ञापन सौंपने और प्रदर्शन करने की योजना बनाई है.

भारतीय किसान यूनियन (एकता डकोंडा) के महासचिव और SKM के सदस्य जगमोहन सिंह ने कहा, “किसानों को गलत तरीके से निशाना बनाया जा रहा है. हम अपना गुस्सा जाहिर करने के लिए पंजाब में शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करेंगे. हमारी मुख्य मांग है कि पराली जलाने के आरोप में किसानों के खिलाफ दर्ज पुलिस केस तुरंत वापस लिए जाएं.”

मशीनरी की कमी

जगमोहन सिंह ने आगे कहा कि कई किसानों ने पहले ही अपनी धान की फसल काट ली है और पराली के गट्ठे बना लिए हैं, लेकिन उन्हें हटाने के लिए जरूरी मशीनरी की कमी के कारण ये गट्ठे कई दिनों से पड़े हुए हैं. “ऐसी स्थिति में एक किसान क्या करे? अगली बुवाई के लिए खेत साफ करने का कोई और सही विकल्प न होने के कारण, किसानों को मजबूरी में पराली जलानी पड़ रही है, न कि अपनी मर्जी से. सरकार को बिना किसी देरी के ये केस वापस लेने चाहिए.” 

जगमोहन सिंह ने कहा कि 4 नवंबर को जिला-स्तरीय प्रदर्शनों के बाद, किसान FIR वापस लेने और अन्य लंबे समय से लंबित मांगों को लेकर 19 नवंबर को चंडीगढ़ में एक विरोध प्रदर्शन करेंगे. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, पंजाब पुलिस ने 29 अक्टूबर तक भारतीय न्याय संहिता की धारा 223 के तहत पराली जलाने से जुड़े आदेशों को नहीं मानने पर 376 मामले दर्ज किए हैं.

किसानों ने पूछा, न जलाएं तो क्या करें

किसान मजदूर मोर्चा के वरिष्ठ नेता सरवन सिंह पंधेर ने सरकार से किसानों को सजा देने से पहले सही विकल्प देने का आग्रह किया. “हम मांग करते हैं कि धान पर 200 रुपये प्रति क्विंटल का बोनस दिया जाए या 6,000 रुपये प्रति एकड़ का मुआवजा दिया जाए. नहीं तो, विरोध प्रदर्शन जारी रहेंगे. किसानों को सजा देने के बजाय, सरकार को समर्थन और समाधान पर ध्यान देना चाहिए, या तो प्रभावी पराली प्रबंधन का विकल्प दें या वित्तीय सहायता दें,” पंधेर ने कहा. पूरे राज्य में खरीफ सीजन की मुख्य फसल धान की कटाई जारी है, और इसी के साथ पराली जलाने की घटनाएं भी बढ़ रही हैं.

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