Kisan Tak Summit 2023: "कृषि का महामंच" किसान तक समिट 2023, 4 सितंबर 2023, यानी आज दोपहर 12:00 बजे छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में स्थित इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित होगा. किसान तक समिट-2023 में छत्तीसगढ़ के कृषि मंत्री ताम्रध्वज साहू समेत कृषि क्षेत्र से जुड़े कई दिग्गज हस्तियां भी शामिल होंगी. कृषि के इस महामंच पर छत्तीसगढ़ सरकार की कृषि क्षेत्र में उपलब्धियों समेत वर्तमान परिदृश्य में किसानों की स्थिति और बदलाव सभी की बात होगी. ऐसे में किसान तक समिट-2023 में आज क्या कुछ खास रहेगा? इसके अलावा, देश-दुनिया की कृषि से जुड़ी सारी लेटेस्ट जानकारी पाने के लिए 'किसान तक' से जुड़े रहें और पढ़ते रहें आज का लाइव अपडेट्स -
किसान तक समिट के मंच पर यश मिश्रा, प्रोगेसिव फार्मर ने बताया कि पहले हम सभी तीन सौ गांव में घूमकर लोगों के बीच में काम किया करता था. लेकिन बीच में मुझे समझ में आया की किसानों की स्थिति खराब है. उनकी स्थिति यदि खराब है तो वो अच्छा एग्रीकल्चर प्रोडक्ट कैसे दे सकते हैं. दिमाग में एक बात आई ना उनके पास कपड़े हैं, ना बच्चों को पढ़ाने के लिए पैसा है. हम देखते हैं कि मानव के लिए सबसे जरूरी भोजन है, पानी है और हवा है. ये तीनों ही दूषित है. इससे हमारे शरीर पर प्रभाव पड़ रहा है. वहीं भारत में लगभग 10 प्रतिशत किसान खेती छोड़ रहे हैं. किसान का बेटा किसान बनकर खेती नहीं करना चाहता है. किसान के बेटे को कोई अपनी लड़की नहीं देना चाहता है. उन्होंने आगे डबल्यूएचओ के रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि साल 2030 तक भारत में अधिकांश लोगों को कैंसर हो सकता है, और वर्तमान की बात करूँ तो सबसे ज्यादा मधुमय आज हमारे खानपान के कारण है. ये बीमारियां खेती के दौरान इस्तेमाल किए जाने वाले कीटनाशकों और खादों की वजह से हो रहा है.
किसान तक समिट के मंच पर बेदेश्वरी शर्मा, प्रोगेसिव फार्मर ने बताया कि हमलोगों ने एफपीओ को 2017 में बनाया था. इसकी जानकारी मुझे उद्यानिकी विभाग से मिली. यह योजना मुझे बहुत अच्छी लगी थी. इस योजना के माध्यम से मैंने उन किसानों तक योजना कि जानकारी पहुंचाई जो किसान अशिक्षित होने की वजह से विभागीय जानकारी प्राप्त करने के लिए विभाग के कार्यालय में जाने से संकोच करते थे. उन्होंने आगे कहा कि धान की देसी किस्में हाइब्रिड धान की किस्में आने की वजह से खत्म होती जा रही है. वही राज्य सरकार की योजना है देसी सुगंधित धान की खेती करने वाले किसानों को 9 हजार रुपये की सबसिडी दी जाती है. इस योजना के माध्यम से भी हमने किसानों को जोड़ा.
पीएम किसान सम्मान निधि और राजीव गांधी कृषक न्याय योजना के बीच फर्क बताते हुए कृषि मंत्री ताम्रध्वज साहू ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार धान की खरीदी पर बोनस के रूप में राजीव गांधी कृषक न्याय योजना के तहत प्रति क्विंटल 700 रुपये का बोनस देती है, जबकि केंद्र सरकार की पीएम किसान सम्मान निधि योजना अलग है. वहीं उन्होंने आगे कहा कि पीएम किसान सम्मान निधि में 6 हजार रुपये सालाना दिया जाता है, लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार सालाना 7 हजार रुपये भूमिहीन किसानों को दे रही है. ये राशि एक डिसीमल से कम जमीन वाले किसानों को दी जाती है.
छत्तीसगढ़ सरकार के गृह व कृषि मंत्री ताम्रध्वज साहू ने कहा कि हमारी सरकार ने बेशक किसी भी सरकार को काम के लिए 5 साल मिलते हैं, लेकिन हमारी सरकार को काम करने के लिए साढ़े तीन साल ही मिले हैं और चुनाव होने जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि बेशक सरकार के 5 साल पूरे होने को हैं, लेकिन डेढ़ साल कोरोना की वजह से सब बंद रहा है, लेकिन इसके बाद भी सरकार ने बेहतर काम किया. उन्होंने कहा कि बीजेपी ने 2100 रुपये में धान खरीदने और 300 रुपये बोनस देने की बात कहीं थी, लेकिन वह नहीं कर सके. बीजेपी के शाासनकाल में 18 लाख हेक्टेयर में धान की खेती होती थी. हमारे शासन में 32 लाख हेक्टेयर में धान की खेती हाे रही थी.इसी से पता लगाया जा सकता है. ये उपलब्धियां साढ़े तीन साल की है.
प्रदेशभर में धान की खेती करने वाले किसानों को बढ़ावा देने के लिए छत्तीसगढ़ में तीन सौ नई राइस मिल खोली गई है: कृषि मंत्री ताम्रध्वज साहू
छत्तीसगढ़ सरकार प्रदेशभर में 50 प्रतिशत सब्सिडी पर बिजली मुहैया करा रही है: कृषि मंत्री ताम्रध्वज साहू
छत्तीसगढ़ सरकार के गृह व कृषि मंत्री ताम्रध्वज साहू ने कहा कि किसानों की कर्ज माफी के बाद हमारी सरकार ने धान खरीदी का अपना वायदा पूरा किया. हमने 2500 रुपये क्विंटल में धान खरीदी का वायदा किया था. हालांकि सरकार से इस मामले पर हमारा गतिरोध भी हुआ. केंद्र सरकार ने कहा कि अगर समर्थन मूल्य 1800 रुपये से अधिक राज्य सरकार किसानों से धान खरीदती है, तो केंद्र उस धान की खरीदी नहीं कर पाएगा. इसका तोड़ भी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सरकार ने निकाला. उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री ने किसानों को 2500 रुपये क्विंटल में धान खरीदने का वायदा किया था. इस बात को ध्यान में रखते हुए राजीव गांधी कृषक न्याय योजना शुरू की. जिसके तहत 700 रुपये क्विटल किसानों को बोनस के रूप में किसानों को दिए जाते हैं.
आप देखेंगे कि 325 करोड़ रुपये किसानों का सिंचाई कर्ज माफ हमने किया. 11 हजार करोड़ रुपये किसानों को बिजली बिल, पंप समेत अन्य योजना के तहत बिजली बिल हाफ योजना का लाभ ले रहे हैं. व्यापारी अगर 10 हैं तो किसान 90 हैं. बिजली की सब्सिडी के तौर पर भी किसानों को दे रहे हैं.
छत्तीसगढ़ में अभी तक 17 लाख किसानों का 9 हजार 720 करोड़ रुपये का कर्ज माफ किया जा चुका है: कृषि मंत्री ताम्रध्वज साहू
हमारे पांच से पहले कर्ज से दबे किसान आत्महत्या करते थे. ऐसी खबरें आती रहती थीं. इस पांच साल में कर्ज के कारण एक भी किसान ने आत्म हत्या नहीं किया है- कृषि मंत्री ताम्रध्वज साहू
छत्तीसगढ़ के कृषि मंत्री ताम्रध्वज साहू ने किसान तक समिट में बताया कि प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में जो याेजना बननी शुरू हुई है, वह किसानों से ही बननी शुरू हुई. उन्होंने कहा कि चुनाव से पहले राहुल गांधी रायपुर आए थे. उन्होंने वायदा किया था कि कांग्रेस सरकार बनने पर किसानों का कर्ज माफ करेंगे. इसके बाद जनमत से हमारी सरकार बनी. ये खुशी का पल था. 15 साल बाद कांग्रेस की प्रदेश में सरकार बनी थी. इसकी खुशी बनाई जा सकती है, लेकिन रायपुर में राहुल गांधी को एयरपोर्ट छोड़ने के बाद सरकार ने पहली कैबिनेट बैठक में किसानों का कर्ज माफ किया.
धमतरी के किसानों को सलाह देते हुए विजयपाल सिंह ने कहा कि उन्हें पूसा बासमती 847 लगानी चाहिए. यह धमतरी के लिए उपयुक्त फसल है. विजयपाल सिंह ने कहा कि हर किसान को अपने खेत में एक दो फल के पेड़ लगाने चाहिए. इसमें जामुन हो सकता है, इसमें अमरूद हो सकता है. उन्होंने मोरिंग खाने की भी सलाह दी.
ब्राउन राइस के बारे में विजयपाल सिंह ने कहा कि जब चावल से छिलका उतार लेते हैं तो उसे ब्राउन राइस कहते हैं. यह चावल पकने में टाइम लगता है, पकने पर लंबा नहीं होता. इस चावल को अधिक से अधिक चबाना चाहिए. अगर ऐसा नहीं किया तो ब्राउन राइस खाने का कोई फायदा नहीं होता: विजयपाल सिंह
सबसे लंबी बासमती के बारे में विजयपाल सिंह ने कहा कि पूसा बासमती 1121 पकने के बाद 20 एमएम की हो जाती थी. एक कटोरी चावल बनने के बाद 20 कटोरी हो जाता था. इस गुण के कारण बासमती 1121 ने पूरी दुनिया का बाजार बदल दिया. इस चावल का निर्यात आज 100 से अधिक देशों में किया जा रहा है. इस चावल ने अमेरिका के लॉन्ग ग्रेन और ईरान के चावल को बड़े स्तर पर प्रभावित किया.
दुनिया में बासमती की सबसे लंबी किस्म पूसा बासमती 1121 विकसित करने वाले वैज्ञानिक विजयपाल सिंह ने कहा, हर खुशबू वाला चावल बामसती नहीं हो सकता लेकिन बासमती में खुशबू होना जरूरी है.
स्पेशल सेशन में पद्मश्री वैज्ञानिक विजयपाल सिंह ने कहा कि बासमती का मतलब ये होता है कि एक कटोरी चावल बनाएं तो वह पांच कटोरी हो जाए. चावल ऐसा हो कि उसकी सुगंध दूर तक जाए. बासमती चावल बनने के बाद मोती की तरह बिखर जाए. बासमती चालव लंबा भी हो और पतला भी हो. बासमती की क्वालिटी तभी अच्छी होती है कि रात को बनाएं तो सुबह भी खाने लायक हो.
विजय पाल सिंह ने किसान की पैदावार बढ़े और किसान की आय बढ़ने की बात कही. पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के चार जिले और जम्मू के तीन जिले ही बासमती चावल के लिए गौरव का क्षेत्र हैं. जहां पर उगाए जाने वाली बासमती को ही बासमती माना जाएगा. पूरी दुनिया में मात्र 2 देश हैं जो बासमती चावल का एक्सपोर्ट करते हैं. एक भारत और एक पाकिस्तान. एक्सपोर्ट करने के लिए उसको बासमती माना जाएगा.
कार्यक्रम में एक किसान ने पूछा कि बंदरों के आतंक से बचाने के लिए सरकार की क्या योजना है, क्योंकि किसानों ने इसके चलते सब्जी की खेती छोड़ दी है. किसान ने पूछा कि सरकार की तरफ से ग्राम सेवकों को क्या निर्देश दिया जा रहा है, ताकि बंदरों के आतंक से किसानों को बचाया जा सके. इस पर एक वर्मा ने कहा कि इंसानों ने बंदरों के आवास को तबाह किया है जिससे इंसानों और पशुओं के बीच का तालमेल बिगड़ा है. इस पर हमें सोचना होगा. इसी सेशन में जेएससीएस राव ने कहा कि हमें सुबह-सुबह तुलसी का पत्ता नहीं खाना चाहिए, क्योंकि उसमें मरकरी होता है बल्कि तुलसी के पत्ते को पानी में डालकर उस पानी को पीना चाहिए.
रबी सीजन में किसानों को बहुत कम पैसा मिलता है. सिंचाई की सुविधा के कारण किसानों को मुश्किल होती है. मिंट की खेती का पिछले साल ट्रायल लिया गया है. 4 किस्म लगाईंं गई हैं. प्रति एकड़ 30 से 40 हजार रुपये का शुद्ध मुनाफा मिल रहा है: जेएसीएस राव
छत्तीसगढ़ में मेंड़ बहुत है मेंड़ में सतरीठा जैसे पौधे लगाए जा सकते हैं. महिला सशक्तीरण को लेकर भी सरकार काम कर रही है. किसान एक एकड़ खेत में मेहनत में करके जितना कमाते हैं. महिलाएं आंगन में 100 से 135 सतावरी और सर्पगंधा के पौधे लगाती हैं, तो 25 से 30 हजार रुपये आसानी से कमा सकती हैं. बोर्ड पौधों को फ्री में दे रहा है. इस साल एक करोड़ पौधे तैयार किए गए हैं.- जेएसीएस राव
जेएसीएस राव ने कहा कि रेटा का पौधा, सोपनट जैसे पौधे मेंड़ पर लगा दें तो एक एकड़ में फसलों से जितनी कमाई होती है, उतनी कमाई रेटा और सोनपट जैसे पौधे से कमा सकते हैं. सर्पगंधा से भी कमाई बढ़ाई जा सकती है. राव ने कहा कि उनके बोर्ड के माध्यम से पौधे लगाने के लिए मिल जाएंगे.
राव ने कहा कि किसान जड़ी-बूटी की खेती से भी लखपति बन सकते हैं. छत्तीसगढ़ का किसान जड़ी-बूटी की खेती से लखपति बन रहे हैं. इसमें सर्पगंधा, शतावरी और ब्राह्मी की खेती आती है जिससे किसान को फायदा होगा.
एके वर्मा ने कहा कि छत्तीसगढ़ आज दलहन के मामले में आत्मनिर्भर है और तिलहन में भी हम आगे बढ़ रहे हैं. ये प्रदेश के किसानों की मेहनत है कि हम दलहन में आत्मनिर्भर बन चुके हैं और तिलहन में भी प्रयास तेज हो रहे हैं.
एके वर्मा, आईजीकेवी के डायरेक्टर (एक्सटेंशन) ने कहा कि छत्तीसगढ़ में हर तरीके की फसलों का उत्पादन हो सकता है. सबसे आसानी से धान की खेती होती है. यह लाइफलाइन है, इसलिए सरकार इसकी खेती को सपोर्ट करती है. इसकी सरकारी खरीद सबसे तेजी से होती है. गोधन योजना में भी इसे प्राथमिकता दी जाती है. आज छत्तीसगढ़ में साढ़े तीन लाख से अधिक ट्रैक्टर का उपयोग हो रहा है. यहां पावर सेक्टर में बहुत उन्नति हुई है. हॉर्टिकल्चर सेक्टर में देखें तो आज उत्पादन में हम 12वें स्थान पर हैं. यहां हर तरह के फल और सब्जियों की खेती हो सकती है.
कार्यक्रम का पांचवां सेशन धान का कटोरा विषय पर आधारित है. इसमें सीनियर साइंटिस्ट पीके संगोड़े ने कहा कि छत्तीसगढ़ को धान से अलग नहीं कर सकते. छत्तीसगढ़ के खेतों में बड़े-बड़े मेंढ़ होते हैं जिस पर तिलहन फसलों, भाजी की खेती की जा सकती है. खासकर खट्टा भाजी की खेती हो सकती है. इस भाजी के फूल का शर्बत बना कर पिएं तो बहुत फायदा होगा. खट्टा भाजी ने कोविड में कई लोगों को बचाया है.
छत्तीसगढ़ में धान की एक देशी किस्म महारानी है, जिसमें कैंसर रोधी गुण मिले है. इस किस्म का पेंटेट कराने का हम प्रयास कर रहे हैं. आने वाले समय में उससे शायद कुछ ऐसी दवा बनेगी, जिसे ब्रेस्ट कैंसर की दवा बन सकेगी. यूनिवर्सिटी ने धान की कई किस्मों के जर्म प्लाज को संभाल कर रखा हुआ है.- चंदेल
छत्तीसगढ़ सुंगधित धान की दो किस्मों को जीआई टैग मिल चुका है. इसमें एक जीरा फूल का जीआई टैग मिला है, उसका निर्यात किया जा रहा है. 10 हजार महिलाओं का समूह उसे उगा रहा है. - चंदेल
राजीव गांधी न्याय योजना के तहत अगर किसान सुंगधित किस्मों की खेती करते हैं, तो उन्हें 9 की जगह 10 हजार रुपये की मदद दी जाएगी. ये बात सच है कि छत्तीसगढ़ में धान की कई किस्में हैं, लेकिन बहुत-सी किस्में गायब हो गई हैं. अधिक उत्पादन वाली किस्मों को किसान बढ़ावा दे रही है. सरकार सुंगधित धान और चावल की खेती करें और उसका निर्यात भी करें इसके लिए सरकार काम कर रही है. इसमें किसानों की मदद चाहिए. कीटनाशकों से सुंगधित चावल की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है. कई किसान जैविक खेती कर रहे हैं. -सुरेंद्र शर्मा
कृषि सेक्टर में कैंपस प्लेसमेंट कम है, लेकिन बहुत सी कंपनियां आ रही हैं. बहुत सी कंपनियां इस दिशा में काम कर रही हैं. बीज की कंपनियां आती हैं. विषय के हिसाब से कंपनियां आती है. हमारी यूनिवर्सिटी में सेल है. जो काम करती है. बैंक और नाबार्ड में कृषि वाले बच्चों की पोस्टिंग होती है.- डॉ. चंदेल
बंदरों की समस्या क्यों है. हमने जगंल खत्म किए हैं. हमने सरकार को सलाह दी है कि 10 फीसदी फलादार वृक्षारोपण करेंगे. बंदर सिनेमा देखने शहर नहीं आते हैं. उन्हें खाद्यान्न चाहिए. हम फलादार वृक्षाें का रोपण नदी किनारे कर रहे हैं. छत्तीसगढ़ सरकार ने मुख्मंत्री वन संपदा योजना लेकर आई है, उसमें एक एकड़ में 5 लाख रुपये तक की सब्सिडी दी जा रही है. किसान अपने खेतों में भी 6 तरह के पेड़ लगा सकते हैं.- सुरेंद्र शर्मा
किसान जन्मों से खेती करता आया है, लेकिन उन्नत खेती के लिए किसानों को कृषि शिक्षा के बारे में जानना जरूरी है. जब हरित क्रांति हुई थी, उस समय लाल गेहूं आया, जिसे हम खाने को मजबूर थे. हरित क्रांति के बाद हम किसानों को उन्नत बीज, तकनीक के बारे में बताने में सक्षम हुए. 1994 तक किसानों ने देश को खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर हुआ है. उसमें कृषि शिक्षा की भूमिका अहम रही है. इस कृषि संस्थान की अहम भूमिका रही है.- गिरीश चंदेल
कोरोना का जितना असर विदेशों में हुआ उतना यहां नहीं हुआ है. इसका कारण ये है कि हमारा खाना पान बेहतर है. कृषि शिक्षा में नौकरी के अवसर खुल कर सामने आ रहे हैं. कोरोना के बाद इम्यूनिटी बढ़ाने वाले उत्पाद का विस्तार हुआ है. इसको लेकर काम हो रहा है जिससे किसानों को फायदा हो रहा है. छत्तीसगढ़ के कई युवा केंद्र की योजना का लाभ लेकर बड़े उद्यमी बने हैं.- गिरीश चंदेल
सुरेंद्र शर्मा ने कहा कि आज छत्तीसगढ़ में तमाम मोटे अनाजों की खेती हो रही है. कृषि विश्वविद्यालय की मदद से नई तरीकों का इस्तेमाल पढ़े लिखे युवा कर कर रहे हैं. छत्तीसगढ़ के युवा अब शहरों में काम करना बंद कर वे वापस खेती की ओर जा रहे हैं. अब वे गांव में गर्व से जी सकते हैं.
छत्तीसगढ़ की 96 फीसदी आबादी परोक्ष अपरोक्ष रूप से खेती से जुड़ी है. आज से 5 साल पहले खेती का पेशा नुकसान का माना जाता था. अगर देखा जाए तो आज की बेरोजगारी में सबसे अधिक क्षमता कृषि में है. अगर आप अपने किचन में देखेंगे तो नमक के अलावा सभी उत्पाद खेती से जुड़े हैं. इस बात को ध्यान में रखते हुए कृषि के दम पर छत्तीसगढ़ का विकास किया जा रहा है.- सुरेंद्र शर्मा
कृषि शिक्षा कितनी कारगर विषय पर चर्चा करते हुए आईजीकेवी के वीसी गिरीश चंदेल ने कहा कि उनकी विश्वविद्यालय के 70-80 फीसदी विद्यार्थी किसान बैकग्राउंड से आते हैं. इसी सेशन में कृषि कल्याण परिषद् के चेयरमैन सुरेंद्र शर्मा ने कहा कि जहां पूरे देश में खेती-किसानी के धंधे को बुरा माना जाता था, खासकर युवा खेती को हेय दृष्टि से देखते थे, लेकिन किचन में अगर आप देखें तो नमक को छोड़कर ऐसी कोई चीज नहीं है जो खेती की न हो. मुख्यमंत्री मानते हैं कि छत्तीसगढ़ को समृद्ध करना है तो किसानों को समृद्ध करना होगा.
किसानों की वैरायटी के संरक्षण का काम चलाया है. कई किसानों ने कई पीढ़ियों से बीजों का बचाया है. 1700 किस्मों का पंजीकरण कराया है. भारत सरकार के एक संस्थान से 350 किसानों को पेंटेंट मिल गया है.- विवेक त्रिपाठी
विवेक त्रिपाठी ने कहा कि प्रदेश के 350 किसानों को उनके बीजों का पेटेंट मिल चुका है. जिन किसानों के पास बीज है, वे हमारे पास आएं या कृषि रिसर्च सेंटर में जाएं जहां बीजों का रजिस्ट्रेशन होगा और पेटेंट का कागज किसानों के घर पर पहुंच जाएगा.
डिजिटल एग्रीकल्चर शुरू हो गया है. हमने क्राप डॉक्टर नाम से ऐप लांच किया है. भारत सरकार ने इसके लिए हमें गोल्ड मेडल दिया है. क्रॉप डॉक्टर का प्रयेाग राज्य के 6 लाख किसान कर रहे हैं. किसान 50 फसलों के बारे में जो भी सवाल हैं उनकी जानकारी ले सकते हैं. किसान पौधों का फोटो खींंचकर भेजते हैं, तो उसका जवाब दो मिनट में मिल जाता है.- विवेक त्रिपाठी
कहा जाता है कि पशु मीथेन रिलेज करते हैं. ऐसे में छत्तीसगढ़ सरकार ने 50 एकड़ से अधिक के ऑक्सीजोन बनाए हैं. जहां ऐसे पौधे लगाए गए हैं, जो ऑक्सीजन छोड़ते हैं.
सेशन में चंदन त्रिपाठी ने कहा कि हमारे प्रदेश के कड़कनाथ का दाम गुड़गांव में 1700 रुपये तक मिला है. सरकार इसके अंडे पर भी काम कर रही है.
एमएसपी बढ़ाने को लेकर विवेक त्रिपाठी ने कहा कि हम वैज्ञानिकों की मांग है कि सरकार कम से कम 25 प्रतिशत फसलों की एमएसपी बढ़ाए क्योंकि किसानों को अभी कम पैसे मिल रहे हैं.
हॉर्टिकल्चर के क्षेत्र में छतीसगढ़ में अपार संभावनाएं हैं. इसको बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं शुरू की गई है. होर्टिकल्चर का क्षेत्र 3 लाख से बढ़कर 11 लाख 40 हजार हेक्टेयर हो गया है.- डॉ. आरएस कुरील
दूसरे सेशन में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के डायरेक्टर रिसर्च सर्विसेज ने कहा कि छत्तीसगढ़ जैव विविधता के मामले में बहुत आगे है. हर साल 15 हजार धान की प्रजातियों को लगाते हैं और उन बीजों को मेंटेन करते हैं. इसी में नई प्रजातियों पर भी काम होता है. प्रदेश में 25 हजार धान की वैरायटी बचा कर रखी गई है.
लंपी बीमारी को लेकर चंदन त्रिपाठी ने कहा कि इससे पशु और पशुपालकों को बहुत बड़ा नुकसान हुआ है. इसको ध्यान में रखते हुए हमने उन जिलों का चिन्हित करके 83 चेक पोस्ट बनाए और फिर हमने टीकाकरण किया.
दूसरा सेशन विविधता में एकता विषय पर है जिसमें श्रीमती चंदन त्रिपाठी, डायरेक्टर, वेटनरी और कृषि विभाग, ने कहा कि गौठान योजना से पशुपालकों को बहुत लाभ मिला है. इसमें पशुओं के वैक्सीनेशन पर सबसे अधिक फोकस है. इसमें 92 लाख वैक्सीनेशन किया जा चुका है. गर्माधान में सुधार लाने पर काम हो रहा है. पशुओं के दूध की मात्रा बढ़ाने पर जोर है ताकि छह से सात लीटर तक एक पशु से दूध मिल सके.
प्रदीप शर्मा ने कहा कि पूरे मध्य भारत में भीषण अकाल की आशंका जताई जा रही है. इसमें मध्य प्रदेश से लेकर छ्त्तीसगढ़ तक शामिल हैं. और भी कई राज्य हैं. प्रदीप शर्मा ने कहा मिलेट्स में एक लाख 73 हजार एकड़ में मिलेट्स की खेती हो रही है. इस मामले में छत्तीसगढ़ पूरे देश में नंबर वन राज्य बन गया है. इससे किसानों की कमाई हो रही है और पोषण को भी बल मिल रहा है.
रीपा योजना पर बोलते हुए कमलप्रीत सिंह ने कहा कि खेती से जुड़े प्रोडक्ट को इंडस्ट्रियल स्केल पर बनाने के लिए यह योजना शुरू की गई है. यह योजना हर गांव के लिए अलग है यानी किसी गांव के कृषि उत्पाद को इंस्ट्रियल स्तर पर ले जाया जाता है. इसमें फूड प्रोसेसिंग से लेकर एफपीओ तक की अवधारणा है. योजना के तहत कृषि के जो भी स्थानीय उत्पादन है उसका प्रोसेसिंग करके वैल्यू एडिशन किया जाता है.
फिशरीज पर प्रकाश डालते हुए कमलप्रीत सिंह ने कहा कि छत्तीसगढ़ में मछली पालन का काम बहुत बड़ा है. यहां तक कि छत्तीसगढ़ को मछली पालन में बेस्ट स्टेट का पुरस्कार मिला है. उन्होंने आगे कहा कि सूबे में मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए स्थानीय तालाबों को मछली पालकों को लीज पर दिया जाता है. ताकि वो मछली पालन कर सकें. इसके अलावा यहां पर मछली पालकों को मार्केटिंग को लेकर चुनौतियों का सामना नहीं करना पड़ता है.
छत्तीसगढ़ सरकार के सलाहकार प्रदीप शर्मा ने कहा कि नरुवा गरुवा घुरुवा अऊ बाड़ी योजना के तहत किसान रजिस्ट्रेशन के लिए बहुत कम शिकायत करते हैं. हमारे पास सिर्फ रकबे को लेकर शिकायत आती है.
छत्तीसगढ़ सरकार के सलाहकार प्रदीप शर्मा ने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल खुद ही किसान हैं और किसान परिवार से आते हैं. सरकार की कोशिश रहती है कि किसानों की हर जरूरत के हिसाब से योजनाएं बनाई जाएं. इसमें नरुवा गरुवा घुरुवा अऊ बाड़ी योजना अहम है. इसमें नरुवा का अर्थ है छोटे-छोटे नाले, गुरुवा का अर्थ है मवेशी, बाड़ी का अर्थ है कंपोस्ट. एक लाख छप्पन हजार एकड़ जमीन मवेशियों के चारे के लिए रखे गए हैं जो कि पूरे देश में एक उदाहरण है. साढ़े सात हजार एकड़ में ताजी सब्जियों का उत्पादन हो रहा है. डेयरी में बड़ा काम चल रहा है. इससे किसानों की कमाई बढ़ रही है. मछली पालन को कृषि उद्योग को दर्जा दिया गया है. यही स्थिति बागवानी के साथ भी है.
पहले सेशन में खेती का गढ़, छत्तीसगढ़ विषय पर चर्चा की गई. इस सेशन में शामिल डॉ. कमलप्रीत सिंह (कृषि उत्पादन आयुक्त, छत्तीसगढ़) ने कहा कि कृषि के क्षेत्र में छ्त्तीसगढ़ शासन ने पिछले पांच साल में ऐसी योजनाएं चलाई हैं जिससे किसानों को बहुत फायदा हुआ है. इसमें राजीव गांधी कृषि न्याय योजना स्कीम बहुत अहम है जिसमें किसानों को हर तरह के इनपुट खरीदने के लिए आर्थिक सहायता दी गई है. सरकार ने डीबीटी के माध्यम से लाखों रुपये दिए हैं. हॉर्टिकल्चर में जीरो प्रतिशत ब्याज पर लोन देने की योजना चलाई है. इसी तरह की योजना फिशरीज और अन्य पारंपरिक खेती के लिए शुरू की गई है.
ग्रुप एडिटर बीवी राव ने कहा, किसान तक समिट में किसानों का आना और मॉनसून की वापसी हम सबके लिए अच्छा संकेत है. बीवी राव ने कहा कि किसान तक अभी केवल हिंदी में है, लेकिन आगे चलकर इसे कई भाषाओं में लेकर आने की तैयारी है. हम चाहते हैं कि देशभर के किसान एकजुट हों और कृषि क्षेत्र में बड़ा बदलाव लाएं. किसान तक चैनल हमेशा किसान की बात करता है जिसमें किसान भाई और बहन दोनों हैं क्योंकि किसानी में महिलाओं का भी बड़ा योगदान है.
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में आज यानी सोमवार को 'किसान तक समिट' का आयोजन किया जा रहा है. इस समिट में पहले सेशन का विषय है खेती का गढ़, छत्तीसगढ़. इस सेशन में आरजीकेएनवी, एनजीजीबी, इथेनॉल, गोधन और रीपा जैसी योजनाओं पर चर्चा होगी. इस सेशन में बतौर गेस्ट प्रदीप शर्मा, योजना और कृषि सलाहकार, छत्तीसगढ़ सरकार, शामिल होंगे. दूसरे गेस्ट के रूप में छत्तीसगढ़ के कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ. कमलप्रीत सिंह शामिल होंगे. दूसरे सेशन का विषय है विविधता में एकता. इसमें तीन गेस्ट चंदन त्रिपाठी, डायरेक्टर, वेटनरी और कृषि विभाग, रायपुर, डॉ. आरएस कुरील, वीसी, महात्मा गांधी यूनिवर्सिटी ऑफ हॉर्टिकल्चर एंड फॉरेस्ट्री, डॉ. विवेक त्रिपाठी, डायरेक्टर, रिसर्च सर्विसेज, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर शामिल होंगे. तीसरे सेशन में प्रदेश के चीफ सेक्रेटरी अमिताभ जैन का संबोधन होगा.
चौथा सेशन 'कृषि शिक्षा कितनी कारगर' विषय पर है जिसमें मिलेट्स, बायो डायवर्सिटी और मार्कफेड के मुद्दों पर चर्चा होगी. पांचवें सेशन का टॉपिक है धान का कटोरा, धान वर्सस ऑल. इसमें औषधीय पौधों और सुगंधी पौधों की खेती से किसानों की आय दोगुनी करने पर भी चर्चा की जाएगी. समिट में पद्मश्री विजय पाल सिंह हिस्सा लेंगे. विजय पाल सिंह ही वे वैज्ञानिक हैं जिन्होंने दुनिया की सबसे मशहूर और सबसे लंबी बासमती 1121 विकसित की है. कार्यक्रम में 'स्पेशल सेशन मिनिस्टर' का आयोजन किया गया है. इस सेशन में प्रदेश के कृषि और गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू शामिल होंगे और अपना संबोधन देंगे.
किसान तक समिट के सातवें और अंतिम सेशन का विषय है 'छत्तीसगढ़िया-खूब बढ़िया'. इस सेशन में किसानों के अलग-अलग मुद्दों पर चर्चा की जाएगी. किसान प्रदेश सरकार की योजनाओं का लाभ उठाते हुए कैसे नई तकनीक से जुड़ रहे हैं और लाभ पा रहे हैं, इस पर गहन विमर्श किया जाएगा. इस सत्र में गोबर इकोनॉमी पर चर्चा होगी.
इंस्टीट्यूट ऑफ रूरल मैनेजमेंट (IRMA) इरमा ने स्टार्टअप्स को आगे बढ़ाने के लिए एक मुहिम शुरू की है. इसके तहत स्टार्टअप्स को आगे बढ़ाने के लिए न सिर्फ आर्थिक सहयोग दिया जाएगा बल्कि इंडस्ट्री के विशेषज्ञ उन्हें गाइड भी करेंगे. बताएंगे कि कैसे स्टार्टअप्स के प्रोडक्ट की मार्केट बनाई जाए. नए आइडिया के साथ उभरते उद्यमियों की सबसे बड़ी समस्या फंडिंग की है और उसका समाधान इरमा करने जा रहा है. फंडिंग के लिए एलआईसी एचएफएल अपने कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (CSR) बजट से सहयोग दे रहा है. इरमा रूरल मैनेजमेंट की पढ़ाई करवाने वाला देश का सबसे बड़ा संस्थान है, जिसकी स्थापना श्वेत क्रांति के जनक डॉ. वर्गीज कुरियन ने की थी. यह गुजरात के आणंद में स्थित है.
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उत्तर प्रदेश में डिजिटल क्रॉप सर्वे (Digital Crop Survey) को लेकर योगी सरकार (Yogi Government) ने जिलों को और तेजी लाने के निर्देश दिए हैं. जिन 21 जिलों में सर्वे का कार्य पूर्ण हो चुका है, वहां डीएम की अगुवाई में सभी गांवों में क्रॉप सर्वे को समय से पूर्ण कराने के निर्देश दिए गए हैं. वहीं सर्वे के काम में तेजी लाने के लिए सर्वेयर की संख्या बढ़ाने को भी कहा गया है. यह भी निर्धारित किया गया है कि प्रति सर्वेयर माह में 1500 प्लॉट्स और 45 दिन में 2250 प्लॉट्स का सर्वे सुनिश्चित किया जाए. साथी ही, 54 जिलों के 10 राजस्व ग्रामों में आगामी 15 दिनों में सर्वे पूरा करने के भी निर्देश दिए गए हैं. उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश में डिजिटल क्रॉप सर्वे प्रगति पर है. इसके लिए स्टेट प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट (एसपीएमयू) की स्थापना की गई है, जबकि 10 सेक्टर्स में हेल्प डेस्क भी संचालित की जा रही है. सर्वेयर्स को इंटरनेट कनेक्टिविटी और पावर पैक से जोड़ा गया है.
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मौसम विभाग के मुताबिक देश में मॉनसून एक बार फिर सक्रिय हो गया है. जिसके कारण कुछ राज्यों में फिर से बारिश देखने को मिल सकती है. विभाग के मुताबिक, इसका असर हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में आज भी दिखेगा. इस दौरान सोमवार को इन दोनों राज्यों में बारिश की संभावना है. उधर, दक्षिण भारत में मॉनसून की गतिविधियां जारी हैं और वहां भारी बारिश हो रही है. इसके साथ ही उत्तर भारत में पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पिछले कई दिनों से तेज हवाएं चल रही हैं.
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में आज यानी सोमवार को 'किसान तक समिट' का आयोजन किया जा रहा है. कार्यक्रम में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के अलावा प्रदेश के कृषि मंत्री ताम्रध्वज साहू का भी संबोधन होगा. कार्यक्रम में और भी कई दिग्गज हस्तियां शामिल होंगी. इसमें सरकारी विभाग से लेकर कृषि क्षेत्र के जुड़े लोग शिरकत करेंगे. इंडिया टुडे ग्रुप के किसान तक चैनल (यूट्यूब और वेबसाइट) का छत्तीसगढ़ समिट सोमवार को 12 बजे से शुरू होकर शाम 6.30 बजे तक चलेगा. छत्तीसगढ़ एक कृषि प्रधान राज्य है जहां किसानों के हित में कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. इनमें राजीव गांधी कृषि न्याय योजना (RGKNY), नरुवा गरुवा घुरुवा अऊ बाड़ी (NGGB) योजना, इथेनॉल, गोधन और रीपा जैसी स्कीम प्रमुख हैं. समिट में इन सभी योजनाओं पर चर्चा की जाएगी.
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