Edible Oil: भारत में खाद्य तेल उद्योग संकट में, रिफाइंड पाम ऑयल आयात में वृद्धि, IVPA ने जताई चिंता

Edible Oil: भारत में खाद्य तेल उद्योग संकट में, रिफाइंड पाम ऑयल आयात में वृद्धि, IVPA ने जताई चिंता

Edible Oil: भारत का खाद्य तेल उद्योग एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है, जो लाखों लोगों की आजीविका से जुड़ा हुआ है. रिफाइंड पाम ऑयल के आयात में वृद्धि से यह उद्योग संकट में है. IVPA की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए सरकार को उचित कदम उठाने चाहिए, ताकि घरेलू रिफाइनिंग उद्योग को समर्थन मिले.

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क‍िसान तक
  • Noida,
  • May 29, 2025,
  • Updated May 29, 2025, 5:16 PM IST

खाद्य तेल उद्योग की प्रमुख संस्था इंडियन वेजिटेबल ऑयल प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (IVPA) ने सरकार से  निवेदन किया है कि क्रूड और रिफाइंड खाद्य तेलों के बीच ड्यूटी अंतर को अभी के लिए 8.25% से बढ़ाकर 20% किया जाए. उनका कहना है कि रिफाइंड पाम ऑयल के आयात में अचानक वृद्धि ने घरेलू रिफाइनिंग उद्योग को संकट में डाल दिया है, जिससे न केवल उद्योग की क्षमता उपयोग में कमी आई है, बल्कि किसानों को भी नुकसान हो रहा है.

रिफाइंड पाम ऑयल आयात में बढ़त

आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर 2024 से फरवरी 2025 के बीच भारत ने 8.24 लाख मीट्रिक टन रिफाइंड पाम ऑयल (RBD Palmolein) आयात किया, जो जून–सितंबर 2024 के 4.58 लाख मीट्रिक टन से 80% अधिक है.  इस अवधि में रिफाइंड पाम ऑयल का आयात कुल पाम ऑयल आयात का लगभग 30% था, जबकि जून–सितंबर 2024 में यह 14% था. यह बढ़त मुख्य रूप से निर्यातक देशों द्वारा क्रूड पाम ऑयल पर उच्च निर्यात शुल्क और रिफाइंड पाम ऑयल पर कम या शून्य शुल्क लगाने के कारण हुई है.

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घरेलू रिफाइनिंग उद्योग पर प्रतिकूल प्रभाव

रिफाइंड पाम ऑयल के आयात में वृद्धि से भारत के घरेलू रिफाइनिंग उद्योग की क्षमता उपयोग में कमी आई है. रिफाइनिंग उद्योग में निवेश करने वाले कई रिफाइनर्स अब केवल पैकिंग का काम कर रहे हैं, जिससे रोजगार पर भी असर पड़ा है. IVPA का कहना है कि यदि यह स्थिति जारी रहती है, तो उद्योग में और अधिक संकट आ सकता है.

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किसानों और उपभोक्ताओं पर प्रभाव

रिफाइंड पाम ऑयल के आयात से किसानों को भी नुकसान हो रहा है, क्योंकि इससे तेलसीड्स की कीमतों में गिरावट आई है. इससे किसानों की आय पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. उपभोक्ताओं को भी इसका कोई विशेष लाभ नहीं हुआ है, क्योंकि रिफाइंड पाम ऑयल के आयात से कीमतों में स्थिरता आई है, लेकिन वास्तविक लाभ सीमित है.

IVPA की सिफारिशें

  • ड्यूटी अंतर को बढ़ाना: क्रूड और रिफाइंड खाद्य तेलों के बीच ड्यूटी अंतर को वर्तमान 8.25% से बढ़ाकर 20% किया जाए.
  • एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट सेस (AIDC) में बदलाव: रिफाइंड खाद्य तेलों पर 10–15% AIDC लगाया जाए, जबकि क्रूड खाद्य तेलों पर 5% AIDC लागू किया जाए.
  • रिफाइंड खाद्य तेलों को 'रिस्ट्रीक्टेड लिस्ट' में डालना: रिफाइंड खाद्य तेलों को 'रिस्ट्रीक्टेड लिस्ट' में डालने से आयात की मात्रा नियंत्रित की जा सकती है.

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