यूपी के 700 गांवों में नहीं होती है चने की खेती, वजह जानकर चौंक जाएंगे आप

यूपी के 700 गांवों में नहीं होती है चने की खेती, वजह जानकर चौंक जाएंगे आप

चने की खेती नहीं करने के पीछे की वजह बताते हुए स्थानीय लोग कहते हैं कि ऐसा माता सीता के श्राप के कारण हुआ है. उनका मानना है कि माता सीता के एक श्राप के कारण इन 700 गांवों के लोग चने की खेती नहीं करते हैं. पौराणिक कथाओं में इस बात का उल्लेख मिलता है कि हर्रैया तहसील में त्रेता युग से ही चने की खेती नहीं की जाती है.

यहां नहीं होती है चने की खेती (सांकेतिक तस्वीर)
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Mar 29, 2024,
  • Updated Mar 29, 2024, 12:22 PM IST

चने की खेती किसानों के लिए फायदेमंद मानी जाती है. इसके अच्छे दाम मिलते हैं. अच्छी उपज होती है. इसकी खेती में मेहनत कम लगती है और पानी की खपत भी कम होती है. पर उत्तर प्रदेश के 700 गांव ऐसे हैं जहां किसान सभी चीजों की खेती करते हैं पर चने की खेती नहीं की जाती है. इन गांवों में चने की खेती क्यों नहीं की जाती है, यह वजह भी बेहद चौंकानेवाली है. हालांकि यह वजह सच है या कोई किवदंती, इसकी सच्चाई का दावा कोई नहीं करता है. पर यहां चने की खेती नहीं होती है. उत्तर प्रदेश के हर्रैया तहसील के 700 गांवों में चले की खेती नहीं की जाती है. इसके पीछे की वजह एक श्राप को बताया जाता है.

जी न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक चने की खेती नहीं करने के पीछे की वजह बताते हुए स्थानीय लोग बताते हैं कि ऐसा माता सीता के श्राप के कारण हुआ है. उनका मानना है कि माता सीता के एक श्राप के कारण इन 700 गांवों के लोग चने की खेती नहीं करते हैं. पौराणिक कथाओं में इस बात का उल्लेख मिलता है कि हर्रैया तहसील में त्रेता युग से ही चने की खेती नहीं की जाती है. पर हमें यह जानना जरूरी है कि आखिर माता सीता ने ऐसा श्राप क्यों दिया था. इल खबर में हम आगे आपको इसकी जानकारी देंगे. 

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माता सीता ने दिया था श्राप

स्थानीय लोगों से मिली जानकारी के अनुसार, इसके पीछे यहां एक कहानी है. इसके मुताबिक एक बार माता सीता जनकपुरी से अयोध्या लौट रही थीं. इस दौरान वे इस इलाके के एक खेत से होकर गुजरी थीं. वह चने का खेत था और हाल ही में वहां पर चने की फसल काटी गई थी. इसके कारण खेत में चने के पौधों की खूंटी लगी हुई थी जो बेहद नुकीली होती है. इस खूंटी में उनका पैर चला गया था और पैर में खूंटी चुभ गई थी. इसके चलते उन्हें काफी दर्द झेलना पड़ा था. इससे उनका मन दुखी हो गया गया. फिर दुखी होकर माता सीता ने श्राप दिया था कि इस स्थान पर कभी चने की खेती नहीं होगी और जो इसकी खेती करेगा उसके परणाम अच्छे नहीं होंगे.

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नहीं होता है चने का उत्पादन

माना जाता है कि इसके बाद से यहां पर किसान चने की खेती नहीं करते हैं. स्थानीय लोगों को मुताबिक उस समय से ही यहां पर चने की खेती नहीं की जाती है. अगर कोई किसान चने की खेती करता भी है तो उसे अच्छा उत्पादन हासिल नहीं होता है. या फिर खेती करने वाले किसान के साथ या उसके परिवार के साथ कुछ अनहोनी हो जाती है. इस वजह से यहां के लोग चने की खेती करने को अशुभ मानते हैं जबकि सरयू नदी के किनारे बसे 700 गांवों के अलावा अन्य गांवों में किसान चने की खेती करते हैं और अच्छी उपज भी हासिल करते हैं.


 

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