Drip Irrigation: ड्रिप सिंचाई प्रणाली से बदल रही खूंटी के किसानों की तकदीर, खेती से आमदनी बढ़ी तो पलायन कम हुआ

Drip Irrigation: ड्रिप सिंचाई प्रणाली से बदल रही खूंटी के किसानों की तकदीर, खेती से आमदनी बढ़ी तो पलायन कम हुआ

जिले में अब ग्रामीण क्षेत्रों में सिंचाई सुविधाओं का विकास हुआ है. लोगों के खेतों में ड्रिप इरिगेशन के पाइप दिखाई देते हैं, इसके साथ ही यहां पर अब तरबूज की खेती के अलावा अन्य सब्जियों की खेती होती है. साथ ही अब यह जिला लेमनग्रास की खेती के लिए भी जाना जाता है.

ड्रिप इरिगेशन से बदल रही खूंटी की तस्वीर (सांकेतिक तस्वीर)ड्रिप इरिगेशन से बदल रही खूंटी की तस्वीर (सांकेतिक तस्वीर)
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Mar 10, 2024,
  • Updated Mar 10, 2024, 6:24 PM IST

झारखंड का खूंटी जिला कभी नक्लसवाद और पिछड़ेपन के लिए जाना जाता था. पर अब इसकी पहचान बदल रही है. एक वक्त था जब जिले में सिंचाई के अभाव में किसान खेती नहीं कर पाते थे और प्रत्येक गांव के लगभग आधे से अधिक पुरुष रोजगार की तलाश में दूसरे शहरों में पलायन कर जाते थे. पर कृषि में तकनीक का विकास, सिंचाई सुविधाओं में नई तकनीक के सामने आने से अब तस्वीर बदल रही है. इसके अलावा अब खेती का पैटर्न भी बदला है. खूंटी जिलें की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि यह ऊंचाई पर बसा हुआ है इसलिए यहां पर भूगर्भजस्तर भी नीचे हैं इसके कारण किसान पारंपरिक जलस्त्रोत से सिंचाई नहीं कर पाते थे. पर अब सरकार और विभिन्न संस्थाओं के प्रयास से तस्वीर बदल रही है. 

जिले में अब ग्रामीण क्षेत्रों में सिंचाई सुविधाओं का विकास हुआ है. लोगों के खेतों में ड्रिप इरिगेशन के पाइप दिखाई देते हैं, इसके साथ ही यहां पर अब तरबूज की खेती के अलावा अन्य सब्जियों की खेती होती है. साथ ही अब यह जिला लेमनग्रास की खेती के लिए भी जाना जाता है. खूंटी जिले के खूंटी प्रखंड स्थिति बिरहू पंचायत के मनहू गांव की रहने वाली सुनीता समद भी एक ऐसी ही महिलाओं में से एक है जो खेती के जरिए अपना जीवन बदल रही है. क्योंकि एक वक्त ऐसा था जब खेती के लिए पर्याप्त जमीन होने के बाद भी उन्हे अपने जीवन-यापन के लिए परेशानियों का सामना करना पड़ता था. 

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माइक्रो इरिगेशन परियोजना का मिला लाभ

आज सुनीता डेढ़ लाख रुपए सालाना की कमाई कर रही है. सिंचाई सी बेहतर सुविधा मिलने पर वो अच्छे से खेती कर पा रही है और उन्हे अच्छी आमदनी हो रही है. उन्हें एक गैरसरकारी संस्था टीआरआई द्वारा शुरू की गई इस समुदाय प्रबंधित सूक्ष्म सिंचाई योजना का लाभ मिला. इस सिंचाई तकनीक से तहत कम पानी में अधिक जगह पर सिंचाई सुविधा दी जा सकती है और अधिक उत्पादन हासिल किया जा सकता है. इसके अलावा सनीता समद महज एक उदाहरण है. यहां के मुरहू प्रखंड अंतर्गत अनिगड़ा गांव में भी ड्रिप इरिगेशन सिंचाई प्रणाली के जरिए गांव की महिलाएं सफलता की कहानी लिख रही है. 

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पलायन में आई कमी

ड्रिप इरिगेशन से मिली सफलता से प्रोत्साहित होकर सुनीता समद अब आगे की तैयारी कर रही है. अब वह अपने महिला समूह और ग्राम संगठन के साथ मिलकर चावल प्रसंस्करण जैसे ईकाई शुरू करने की योजना बना रही है. मूरहू के हांसा पंचायत के पूर्व मुखिया विल्सन पूर्ति बताते हैं कि खूंटी जिले में ड्रिप इरिगेशन प्रणाली से कृषि की तस्वीर बदल गई है. इसके जरिए पानी का कम इस्तेमाल से किसान अच्छी खेती कर रहे हैं . सब्जियों की खेती से किसानों की आय बढ़ी है. अपने गांव का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि सिंचाई सुविधाओं में विकास होने के बाद अब गांव से पलायन में कमी आई है. 
 

 

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