ड्रैगनफ्रूट की खेती किसानों के लिए बेहद फायदेमंद होती है. पर इस तेज धूप और चिलचिलाती गर्मी में इसके पौधों का खास ध्यान रखना पड़ता है. क्योकि ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए अधिकतम तापमान 36 डिग्री तक चाहिए होती है. पर झारखंड और छत्तीसगढ़ के कई जिलों में इस वक्त तापमान 42 डिग्री सेल्सियससे पार दर्ज किया जा रहा है. इसके कारण किसानों को काफी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है. इस मौसम में ड्रैगन फ्रूट के पौधे झुलस जा रहे हैं. साथ ही फूलों और फलों को भी तेज धूप से नुकसान हो रहा है. हालांकि इसकी खेती के पर्याप्त रोशनी की जरूरत होती है पर अधिक धूप इसकी खेती को नुकसान पहुंचा सकती है.
इसलिए ड्रैगन फ्रूट की खेती को धूप से बचाने के लिए उपाय किए जाने चाहिए.क्योंकि इसके प्रभाव के कारण इसके फलों की बढ़वार कम हो जाती है और पौधे सूखकर मर सकते हैं. इतना ही नहीं धूप से पौधों के झुलसने के बाद तना सड़न रोग भी हो सकता है, इससे पूरे खेत को नुकसान हो सकता है. बता दें कि पौधें के तने ते पश्चिमी भाग में धूप से जलने की तीव्रता 10-50 फीसदी के बीच होती है. इसलिए ड्रैगन फ्रूट को धूप से होने वाले नुकसान से बचाने के लिए किसानों को समय पर सावधानी बरतने की जरूरत होती है और इसके साथ ही समय पर उसका इलाज भी करना होता है.
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अधिक धूप की स्थिति होने पर झुलसने से बचाने के लिए ड्रैगनफ्रूट पर एंटी ट्रांसपिरेंटस का ओलिनाइट को 25 ग्राम प्रति लीटर पानी और नीम का साबुन चार ग्राम प्रति लीटर के साथ मिलाएं. फिर इसमें फिर इसमें समुद्री घांस के अर्क और ह्यूमिक एसिड 4 ग्राम प्रति लीटर पानी के साथ मिलाकर खेत में छिड़काव करना चाहिए. यह सन बर्न से होने वाले नुकसान फंगल और बैक्टिरिया के संक्रमण को कम करता है और इससे बचा जा सकता है. इसके साथ ही ड्रैगन फ्रूट के बगीचे में प्रति पोल आठ से से 10 लीटर पानी की सिंचाई फसल को धूप से होने वाले नुकसान से बचाया सकता है और नुकसान को कम किया जा सकता है.
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ड्रैगनफ्रूट एक बारहमासी पौधा होता है. यह मूल रूप से दक्षिण मेक्सिकों में पाया जाता है. लेकिन पिछले एक दशक से देश के कई राज्यों में इसकी खेती जोर पकड़ रही है. इसकी खेती से किसानों को काफी फायदा होता है क्योंकि एक बार पौधा लगा देने के बाद किसान इससे 25 सालों तक फल ले सकते हैं. बाजार में इसकी मांग भी बहुत होती है इसलिए इसके दाम भी अच्छे मिलते हैं, पर अच्छा उत्पादन हासिल करने के लिए पौधौं की सही तरीके से देखरेख करने की जरूरत होती है. खास कर गर्मियों के मौसम में इसे धूप से बचाने की जरुरत होती है, इसके लिए हमेशा सिंचाई करते रहना चाहिए.