फल खाना भला किसे अच्छा नहीं लगता है लेकिन बाजार में इन दिनों जहरीले फल भी बिक रहे हैं. अंगूर और सेब में जहरीले केमिकल के उपयोग के कारण कृषि वैज्ञानिकों की चिंता बढ़ गई है. हालांकि किसान के द्वारा इस केमिकल फसल की सुरक्षा के लिए उपयोग किया जाता है लेकिन इसका सेहत के ऊपर दुष्प्रभाव भी है. अंगूर के ऊपर इस्तेमाल होने वाले केमिकल से तंत्रिका तंत्र को नुकसान पहुंचता है. यहां तक के शरीर में हार्मोन का संतुलन भी बढ़ जाता है जिसके कारण कैंसर की पैदा होने का खतरा हो सकता है. इसलिए ऐसे कीटनाशकों वाले अंगूर के सेवन से बचना चाहिए.
अंगूर में मोनोक्रोटोफास नाम का केमिकल कीटनाशक के रूप में उपयोग किया जाता है. इस केमिकल के संपर्क में आने से दिमाग को काफी नुकसान पहुंच सकता है. यहां तक की सांस लेने में दिक्कत भी हो सकती है.
फलों में भी कई तरह की बीमारियां लगती है. ऐसे में किसान फसल को बचाने के लिए कई ऐसे कीटनाशक और फफूंद नासक का इस्तेमाल करता है जो सेहत के लिए किसी जहर से कम नहीं है. सामान्य रूप से फलों को सुरक्षित रखने के लिए चार से पांच खतरनाक केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है. अगर सावधानीपूर्वक इनका सेवन ना किया गया तो सेहत के लिए गंभीर खतरा बन सकते हैं. मोनोक्रोटोफास ऐसा ही एक कीटनाशक है जो से अंगूर जैसे फलों में इस्तेमाल होता है. क्लोरोथैनोनिल और मेथोमिल इस केमिकल का इस्तेमाल सब के साथ-साथ पालक जैसी सब्जियों में होता है. इस कीटनासक के दुष्प्रभाव से सांस लेने में परेशानी, त्वचा में जलन और नर्वस सिस्टम को भी नुकसान पहुंच सकता है. अलैक्लोर मुख्य रूप से इसका इस्तेमाल मक्का और सोयाबीन पर होता है. इस केमिकल दुष्प्रभाव से लीवर और किडनी के साथ-साथ कैंसर का खतरा बढ़ सकता है.
ग्लाइफोसेट नाम का कीटनाशक जिसका उपयोग गेहूं, जई, सोयाबीन में किया जाता है. इसके दुष्प्रभाव से उल्टी और सांस लेने में तकलीफ हो सकती है जबकि लंबे समय तक इसका इस्तेमाल करने से दिमाग को नुकसान पहुंच सकता है.
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खट्टे फलों खास तौर से अंगूर ,शिमला मिर्च में एसिफेट का इस्तेमाल होता है. इस केमिकल के संपर्क में आने से सांस लेने में तकलीफ पेट की समस्या और नर्वस सिस्टम को नुकसान पहुंच सकता है. वही मोनोक्रोटोफॉस का इस्तेमाल सेब, अंगूर ,टमाटर और आलू जैसे फलों और सब्जियों में किया जाता है. यह कीटनाशक है इसके दुष्प्रभाव के चलते बच्चों के विकास में बाधा के साथ-साथ लीवर और किडनी को खराब कर सकता है.
गर्मी के मौसम में आम सबसे खास फल होता है. आम खाने से पहले पानी में भिगोना चाहिए . ऐसा करने से अतिरिक्त फाइटिक एसिड को बाहर निकालने में मदद मिलती है, जो शरीर में गर्मी पैदा कर सकता है. अगर आम का ऐसे सीधे सेवन किया जाए. स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार तरबूज, आम और पपीता जैसे फल शरीर में गर्मी पैदा करने के लिए जाने जाते हैं और इसकी जरूरत से ज्यादा गर्मी डाइजेस्टिव सिस्टम को प्रभावित कर सकती है. जिसके चलते दस्त और स्किन में इंफेक्शन की समस्या हो सकती है. ऐसे में फलों को पानी में भिगोने से प्राकृतिक गर्मी कम हो जाती है और ये शरीर के लिए सुरक्षित हो सकते हैं.
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