कोयंबटूर में जारी है सूखे का दौर, सिंचाई के अभाव में सूख रहे नारियल के पेड़

कोयंबटूर में जारी है सूखे का दौर, सिंचाई के अभाव में सूख रहे नारियल के पेड़

कोयंबटूर के इस इलाकों में नारियल के लगभग एक करोड़ से अधिक पेड़ हैं. इस बार पड़ रहे जबरदस्त सूखे और भयंकर गर्मी के कारण कई पेड़ सूख रहे हैं. जो पेड़ बचे हुए हैं उनके भी पत्ते पीले पड़ रहे हैं. गर्मी के कारण उत्पादन त्पादन घटकर 25 फीसदी हो गया है. आपूर्ति में कमी आने के कारण कच्चे नारियल की की कीमत पिछले साल के मुकाबले 34-39 फीसदी तक बढ़ गई है.

नारियल की खेती (सांकेतिक तस्वीर)
क‍िसान तक
  • Noida,
  • May 05, 2024,
  • Updated May 05, 2024, 12:39 PM IST

कोयंबटूर में लंबे सूखे का दौर चल रहा है. इसके कारण यह पर बड़े पैमाने में नारियल की खेती प्रभावित हुई है. पानी की कमी से जूझ रहे किसानों को अपने नारियल के बगानों में पेड़ों को बचाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है. पेडों को बचाने के लिए किसानों को पानी खरीदना पड़ रहा है. किसानों का कहना है कि वह अपने बगानो की सिंचाई के पानी के लिए टैंकरों पर निर्भर हैं. एक टैंकर में 6000 लीटर पानी रहता है जिसके लिए किसानों को 1000 रुपये देने पड़ते हैं. बता दें कि कोयंबटूर में, पोलाची, अनाईमलाई और किनाथुकाडावु तालुकों में नारियल के पेड़ों की बड़े पैमाने पर खेती की जाती है.

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार जानकारी मिलती है कि इस इलाकों में नारियल के लगभग एक करोड़ से अधिक पेड़ हैं. इस बार पड़ रहे जबरदस्त सूखे और भयंकर गर्मी के कारण कई पेड़ सूख रहे हैं. जो पेड़ बचे हुए हैं उनके भी पत्ते पीले पड़ रहे हैं. पोलाची के पास अंबारामपालयम में करपगा विरुक्षम नारियल उत्पादक कंपनी के अध्यक्ष एनके बागावथी ने कहा कि उनके सभी बोरवेल और कुएं सूख चुके हैं. नारियल के पेड़ों को बचाने के लिए किसानों को पानी खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि पानी से भरे एक टैंकर से सिर्फ 30 पेड़ों की ही सिंचाई हो पाती है.

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मंडरा रहा पेड़ों के सूखने का डर

जबकि पेड़ों को बचाने के लिए महीने में कम से कम 10 बार पानी देना पड़ रहा है. इसके कारण उन्हें प्रति एकड़ में सिर्फ सिंचाई के लिए 20,000 रुपये तक खर्च करना पड़ रहा है. एनके बागावथी ने कहा कि सूखे पेडों को बचाने के लिए वो पिछले डेढ़ महीने से पानी खरीद रहे हैं. किसानों को लिए चिंता की बात यह है कि कई जगहों पर भूगर्भ जल स्तर 1000 फीट से नीचे चला गया है. इसके कारण उनकी नारियल की खेती अब संकट में आ गई है. पानी की कमी का जिक्र करते हुए एनके बागावथी ने कहा कि अगर क्षेत्र में अगले 15 दिनों के अंदर अच्छी बारिश नहीं होती है तो लगभग 50 प्रतिशत पेड़ सूख जाएंगे. इससे इलाके के नारियल किसानों की आजीविका पर एक बड़ा संकट खड़ा हो सकता है. 

तेजी से खत्म होती है नमी

उन्होंने कहा कि पहले इलाके के किसानों एक सूखा हुआ नारियल का पेड़ बेचने पर 1000 रुपये मिलते थे, पर अब केवल 800 रुपये मिलते हैं. पर अगर यही स्थिति बनी रही तो अगले एक महीने के बाद सूखे पेड़ों को खरीदनेवाला कोई नहीं मिलेगा. इसलिए सरकार को ऐसे पेड़ों के लिए किसानों को मुआवजा देना चाहिए. अन्नामलाई ब्लॉक के गणपतिपालयम के किसान के जोथिमनी ने कहा कि इससे पहले उन्होंने 2014 और 2017 में इस तरह के सूखे का अनुभव किया था पर उस वक्त हालात इतने गंभीर नहीं थे. उस समय अधिकतम तापमान  98 डिग्री फॉरेनहाइट पहुंच गया था. जबकि इक बार बार पारा 105 डिग्री फॉरेनहाइट के पार पहुंच गया है. इसलिए जब भी पेड़ में पानी डाला है तो वो तेजी से सूख जाता है. 

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नारियल के उत्पादन में आई है कमी

अन्नामलाई टेंडर कोकोनट ग्रोवर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष एई श्रीनिवासन पानी की कमी और अधिक गर्मी के कारण सफेद मक्खी के हमले और जड़ विल्ट रोग के कारण नारियल के पेड़ बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं. इसके कारण उत्पादन घटकर 25 फीसदी हो गया है. उन्होंने कहा कि आम तौर पर अप्रैल मई के महीने में पोलाची और उडुमलाईपेट्टई क्षेत्रों से हर दिन 1.50 से लेकर दो लाख तक नारियल बाजार में पहुंचते थे पर इस बार आपूर्ति घट कर 50,000 से नीचे गिर गई है. आपूर्ति में कमी आने के कारण कच्चे नारियल की की कीमत पिछले साल के मुकाबले 34-39 फीसदी तक बढ़ गई है. 

 

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