राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के किसान संगठन भारतीय किसान संघ (BKS) ने हाल ही में संपन्न हुए एमपी विधानसभा चुनाव में किसानों और महिलाओं की अग्रणी भूमिका को देखते हुए आगामी लोकसभा चुनाव की रणनीति के केंद्र में गांव और किसानों के मुद्दों को रखा है. किसान संघ ने किसानों को खुश करने के लिए उनकी समस्याओं के प्रभावी समाधान खोजने का रोडमैप बनाया है. इसके लिए किसान संघ ने अपने सदस्यता अभियान के पैटर्न में बदलाव किया है. इसमें किसान संघ ने पहली बार किसानों के अलावा डॉक्टर, इंजीनियर, वकील, सेवानिवृत्त सैन्य और प्रशासनिक अधिकारी, पत्रकार, शिक्षाविद और इतिहासकारों को भी सदस्य बनाने की मुहिम शुरू कर दी है.
किसान संघ की एमपी इकाई के प्रवक्ता राहुल धूत ने बताया कि भारतीय किसान संघ प्रत्येक राज्य में हर 3 साल के अंतराल पर सदस्यता अभियान चलाता है. इस क्रम में अगले एक महीने के दौरान पूरे एमपी में सदस्यता अभियान के तहत 15 लाख सदस्य बनाने का लक्ष्य तय किया गया है. उन्होंने बताया कि 15 जनवरी से शुरू हुई यह मुहिम 15 जनवरी तक चलेगी. इसमें किसानों के अलावा हर जिले के लिए प्रोफेशनल्स को भी किसान संघ का सदस्य बनाने की अनूठी पहल की गई है.
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धूत ने बताया कि सरकारी आंकड़ों के मुताबिक एमपी में लगभग एक करोड़ पंजीकृत किसान हैं. किसान संघ ने इनमें से 15 लाख किसानों और उनके परिजनों तक अपनी पहुंच बना कर आगामी आम चुनाव के लिए ग्रामीण आबादी में भाजपा का मजबूत आधार बनाने के मकसद से इस मुहिम को शुरु किया है.
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धूत ने कहा कि हर किसान परिवार में औसतन 4 सदस्य होने के आधार पर संघ का आकलन है कि अगले एक महीने में 60 लाख ग्रामीणों तक पहुंचा जा सकेगा. उन्होंने बताया कि सदस्यता अभियान के साथ पूरे प्रदेश में गांव गांव जाकर 'राम बलराम' यात्रा भी निकाली जा रही है. इसके माध्यम से ग्रामीण इलाकों में अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का संदेश पहुंचाने के साथ किसानों के आराध्य देव हलधर बलराम के नाम पर भी किसानों को संघ से जोड़ा जा रहा है.