बिहार के भोजपुर में किसानों ने सामूहिक एकता की मिसाल पेश की है. उन्होंने यह दिखा दिया है कि अगर एकजुट होकर कार्य किया जाए तो सफलता निश्चित हो जाती है. भोजपुर जिले के किसानों को यह सफलता फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी बनाने के बाद मिली है. यह एफपीओ जिले के चार प्रखंड बड़हरा, बिहिया, कोइलवर और शाहपुर के किसानों ने मिलकर बनाया है. इसमें 309 किसान शामिल हैं. अब इन किसानों की तकदीर बदल रही है क्योंकि इन किसानों को अब बाजार की समझ हो गई है. क्योंकि अब ये किसान सिर्फ उत्पादन ही नहीं प्रसंस्करण के क्षेत्र में भी आगे आ रहे हैं.
अब तक ये किसान रांची स्थित एक कंपनी को फ्रोजेन मटर के लिए अपने मटर भेजते थे पर अब इन किसानों को यह समझ में आ गया है कि बाजार में अच्छी गुणवत्ता होने पर दाम अच्छे मिलते हैं, इसलिए अब ये किसान खुद ही अपने उत्पादन को बाजार में उतारने की तैयारी कर रहे हैं. दूसरे के ब्रांड के लिए मटर की सप्लाई करने के बाद अब किसान खुद अपना मटर का ब्रांड लॉन्च करने की तैयारी कर रहे हैं. इसके तहत जिला उद्यान विभाग की तरफ से कोईलवर में स्थापित पैकेजिंग इकाई क्षमता को बढ़ाया जाएगा. मटर के अलावा यह और भी सब्जियों की ग्रेडिंग और पैकेजिंग भी की जाएगी.
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मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक यहां किसान इस तरह से तैयारी की जा रही है अगले मटर के सीजन में वो अपना खुद का मटर का ब्रांड लाने का तैयारी कर रहे हैं. हालांकि एक समय ऐसा था जब उद्यान विभाग ने किसानो की मदद करने से मना कर दिया था पर फिर किसानों का हौसला देखते हुए प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना के तहत लोन के तौर पर वित्तीय सहायता दी जा रही है. इसलिए यह माना जा रहा है कि अगर सब कुछ ठीक रहा तो अगले सीजन में किसानों का मटर का अपना ब्रांड बाजार में आ जाएगा. हालांकि किसानों ने कहा कि अभी तक ब्रांड का नाम तय नहीं किया गया है. सभी किसानों से पूछकर नाम तय किया जाएगा.
उल्लेखनीय है कि एक जिला एक उत्पाद योजना के तहत भोजपुर जिले के लिए मटर का चयन किया गया है. यहां के प्रगतिशील किसान कौशल सिंह ने 309 मटर किसानों को एकजुट करके एक किसाम उत्पादक कंपनी का गठन किया है. साथ ही कंपनी एक्ट के तहत इसका निंबधन भी कराया है. इस एफपीसी के सफलता की कहानी 2022 में शुरू हुई. जब एक कंपनी ने गुणवत्तापूर्ण बीज के लिए एफपीसी के साथ एमओयू किया. इसके बाद जब किसानों को बीज मिला को एफपीसी से जुड़े किसानों ने 438 एकड़ से अधिक जमीन में मटर की आधुनिक खेती की शुरुआत की.
एफपीसी के लिए अच्छी बात यह रही की किसानों को बीज उपलब्ध कराने वाली कंपनी ही किसानों के मटर की खरीदार बनी. बस कंपनी की शर्त यह थी कि मटर के दानों की गुणवत्ता अच्छी होनी चाहिए औऱ आकार एक सामान होना चाहिए. किसानों ने इस शर्त को पूरा किया. इतना ही नहीं किसानों को अच्छी गुणवत्ता के बीज मिलने से अच्छा उत्पादम हासिल हुआ. इस साल जनवरी के महीने में किसानों ने कंपनी की रांची यूनिट में 20 टन मटर भेजा. यहां से किसानों को बाजार भाव से 20 प्रतिशत अधिक दाम मिला. इस मुनाफे को देखते हुए किसानों से खुद से अपना ब्रांड बाजार में लॉन्च करने का विचार किया.
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कंपनी के अध्यक्ष कौशल सिंह बताते हैं कि उद्यान विभाग की तरफ से एक पैक हाउस बनाया गया है पर इसकी क्षमता कम है. इसलिए अब लोन लेकर इसकी क्षमता बढ़ाई जा रही है. बता दे कि जिले में 1200 एकड़ में सब्जी वाले मटर की खेती की जाती है. इस मटर को अधिक दिन तक फ्रेश रखने के लिए फ्रोजेन रखने की जरूरत होती है. भोजपुर केवीके के निदेशक के अनुसार जिले में पी-3, जी-10 और हरिभजन प्रजाति के मटर की खेती की जाती है. इस मटर को धूप में सूखा कर नहीं रख सकते हैं. इसलिए पैक हाउस में फ्रीज करने के बाद किसान इसे लंबे समय तक रख पाएंगे और औने-पौने दाम में बेचने के लिए किसानों को मजबूर नहीं होना पडे़गा.