Basmati Price: इस साल बासमती धान की जल्दी पकने वाली किस्मों की खेती कर किसान भरपूर उत्पादन ले रहे हैं और अच्छी कीमत पर बेच भी रहे हैं. वहीं, हरियाणा के उत्तरी जिलों- करनाल, कुरूक्षेत्र, पानीपत और यमुनानगर की अनाज मंडियों में धान की आवक शुरू हो चुकी है और किसानों को पूसा-1509, पूसा-1847 और पूसा-1692 जैसी जल्दी पकने वाली किस्मों की एक क्विंटल कीमत 3,500 रुपये से 4,000 रुपये के बीच मिल रही है. उत्तर प्रदेश के किसान भी कीमतों में बढ़ोतरी का लाभ उठा रहे हैं, क्योंकि हरियाणा की मंडियों में बेचा जाने वाला 70 प्रतिशत से अधिक धान यही से आता है. इस बीच, हरियाणा में धान की कटाई के लिए अभी भी लगभग दो सप्ताह बाकी हैं.
मालूम हो कि पिछले साल, इन किस्मों की कीमतों में लगभग 10 सालों के अंतराल के बाद अचानक बढ़ोतरी देखी गई थी और लगभग 3,500 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गई थी. अब, व्यापारियों और आढ़तियों को उम्मीद है कि बाजारों में अधिक धान आने से कीमतें और बढ़ सकती हैं.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, लाडवा मंडी में तीन एकड़ धान बेचने वाले किसान मनमोहन सिंह ने कहा, “पूसा 1509 की कीमत 3,800 रुपये प्रति क्विंटल है, जबकि पूसा 1847 की कीमत 3,500 रुपये है. पिछले साल, मैंने अपनी धान की उपज 3,200 रुपये प्रति क्विंटल पर बेची थी.
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उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के एक अन्य किसान संदीप कुमार, जिन्होंने करनाल मंडी में पूसा 1509, 3,650 रुपये प्रति क्विंटल बेचा, ने कहा, “केवल कीमतें ही नहीं, फसल की पैदावार भी इस साल अच्छी है और पूसा 1509 की औसत उपज भी लगभग 21-22 क्विंटल अच्छी रही है. इससे किसानों को पिछले साल बौने रोग के कारण हुए नुकसान को भरपाई करने में मदद मिलेगी.”
जबकि चावल व्यापार से जुड़े लोगों ने कहा कि कीमतों में उछाल के पीछे मुख्य कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में बासमती चावल की मांग और हरियाणा और पंजाब के धान उत्पादक जिलों में बाढ़ के कारण रकबे में गिरावट है.
एपीडा की मासिक रिपोर्ट के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय बाजार में बासमती चावल की कीमतें पिछले साल के 85,334 रुपये के मुकाबले इस साल जून में 91,803 रुपये प्रति टन तक पहुंच गईं. इस साल अप्रैल से जून के बीच देश का बासमती चावल निर्यात 11.72 लाख मीट्रिक टन तक पहुंच गया, जो पिछले साल की समान अवधि में 11.25 लाख मीट्रिक टन था.
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ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन (एआईआरईए) के पूर्व अध्यक्ष विजय सेतिया ने कहा कि मांग में बढ़ोतरी के कारण भारत का चावल उद्योग अच्छी स्थिति में है. "लेकिन घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार में चावल की कीमतों में वृद्धि के पीछे मुख्य कारण यह है कि लोगों को चिंता है कि देश के सबसे बड़े बासमती उत्पादक क्षेत्रों हरियाणा और पंजाब में बाढ़ के कारण इस साल चावल का उत्पादन कम हो सकता है."