तेलंगाना में कामारेड्डी विधानसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार कटिपल्ली वेंकट रमण रेड्डी ने 6,741 वोटों के अंतर से जीत हासिल की है. उन्होंने मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव और राज्य कांग्रेस प्रमुख रेवंत रेड्डी को हराकर ये जीत हासिल की है. उन्हें कुल 66,652 वोट मिले हैं. जीत के बाद भाजपा नेता कटिपल्ली वेंकट रमण रेड्डी ने कहा कि मैंने उन दोनों को सामान्य उम्मीदवारों के रूप में लिया था. लोगों ने मुझे बहुत समर्थन दिया है और यही कारण है कि मैं जीत गया. उन्होंने कहा कि मैं सिर्फ बीजेपी के वोट देने वाले 65,000 मतदाताओं का विधायक बनकर नहीं रहूंगा, बल्कि मैं अपने क्षेत्र के 4 लाख लोगों का विधायक बनना चाहूंगा.
तेलंगाना में भारत राष्ट्र समिति की सरकार है और के चंद्रशेखर राव इस पार्टी के सुप्रीमो हैं. उनके खिलाफ कांग्रेस और बीजेपी ने पूरी ताकत झोंक दी थी. बीजेपी ने जहां चंद्रशेखर राव के खिलाफ कामारेड्डी विधानसभा सीट से के वेंकट रमन्ना रेड्डी को मैदान में उतारा था, वहीं कांग्रेस से रेवंत रेड्डी चुनाव लड़ रहे थे.
तेलंगाना में 30 नवंबर को मतदान हुआ था. जैसे ही मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने कामारेड्डी विधानसभा से नामांकन किया, तो यह सीट तुरंत लाइमलाइट में आ गई. हालांकि, साल 2018 के विधानसभा चुनाव में कामारेड्डी विधानसभा सीट पर तेलंगाना राष्ट्र समिति अब भारत राष्ट्र समिति हो गई है, के उम्मीदवार गंपा गोवर्धन और कांग्रेस प्रत्याशी मोहम्मद अली शब्बीर के बीच कड़ा टक्कर हुई थी. हालांकि, जीत का सेहरा गंपा गोवर्धन के माथे ही बंधा था. उनको 68,167 मिले थे, जबकि दूसरे नंबर पर रहे मोहम्मद अली शब्बीर को 63,610 वोट आए थे. वहीं, बीजेपी प्रत्याशी के वेंकट रमन्ना रेड्डी को महज 15,439 वोट से संतोष करना पड़ा था.
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साल 2014 से कामारेड्डी विधानसभा सीट पर भारत राष्ट्र समिति का कब्जा है. 2014 के विधानसभा चुनाव में भी गंपा गोवर्धन को जीत मिली थी. तब भी वे कांग्रेस के शब्बीर अली को ही हराकर विधानसभा पहुंचे थे. हालांकि, 2023 के चुनाव में कामारेड्डी विधानसभा सीट से मुख्यमंत्री केसीआर के उतरने से चुनाव बहुत ही रोचक हो गया था. खास बात यह है कि मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव दो सीटों से भाग्य अजमा रहे थे. वे कामारेड्डी सीट के अलावा गजवेल विधानसभा सीट से भी चुनाव मैदान में उतरे थे.
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