सब्जियों का सरताज अगर आलू है तो टमाटर भी उससे कम नहीं है. पूरी दुनिया में घरों से लेकर फूड इंडस्ट्री तक सबसे ज्यादा उपयोग टमाटर का सब्जी के तौर पर किया जाता है. इसके अलावा, टमाटर का उपयोग ज्यादातर हम चटनी और सलाद के लिए करते हैं. यही वजह है मौजूदा वक्त में देश के कई जिलों में टमाटर की खेती खूब की जा रही है. एक ऐसा ही जिला बिहार का रोहतास जिला भी है. यहां के किसान अपनी उपज को बड़े शहरों में भेजने के अलावा ऑनलाइन भी बेच रहे हैं. ऐसे में आइये इस खबर के बारे में विस्तार से जानते हैं-
बिहार का रोहतास जिला अब टमाटर उत्पादन का हब बनता जा रहा है. यहां के टमाटर देश के कई महानगरों की मंडियों तक पहुंच रहे हैं. आलम ये है की जिलों के सैकड़ों किसान रबी की प्रमुख फसलों की खेती को छोड़कर अब अपने खेतों में सिर्फ टमाटर का ही उत्पादन कर रहे हैं. बताया जा रहा है कि घोरिडही गांव के कुछ किसानों ने पहले टमाटर की खेती शुरू की जिससे उन किसानों को काफी मुनाफा हुआ. उन्हें देख कर अन्य किसानों ने भी खेती शुरु कर दी है. अब तो प्रखंड के सैकड़ों किसान गेहूं की जगह पर टमाटर की खेती कर रहे हैं.
किसानों ने बताया कि बरांव पंचायत के दर्जनों गांवों के किसान टमाटर की खेती कर रहे हैं जिससे पूरा इलाका टमाटर की हब से चर्चित हो गया है.
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अब रोहतास जिले में उपजाए गए टमाटर को दिल्ली, चंडीगढ़, कोलकाता, भोपाल, लुधियाना, अमृतसर, आगरा और मेरठ समेत कई नगरों में भेजा जा रहा है. इसके अलावा घोरीडही गांव के किसान तो ऑनलाइन भी टमाटर बेच रहे हैं. टमाटर की खेती से हर किसान को साल में अच्छा मुनाफा हो रहा है.
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टमाटर की फसल अधिक कार्बनिक पदार्थ वाली बलुई दोमट मिट्टी में आसानी से उगाई जा सकती है. अम्लीय मिट्टी जिसका पीएच मान 6-7 हो वह टमाटर उत्पादन के लिए अच्छा माना जाता है. टमाटर गर्म मौसम का फसल है. इसलिए उन जगहों पर अच्छा उगता है जहां पाला पड़ने का खतरा कम होता है. टमाटर के पौधे तैयार करने के लिए 60 से 90 सेंटीमीटर चौड़ा और 16 सेंटीमीटर ऊंची क्यारियां बनानी चाहिए. भरपूर मात्रा में सड़े हुए गोबर की खाद मिलाकर 5 सेंटीमीटर की दूरी पर बीजों की बुवाई करनी चाहिए. जब पौधे 28 दिन के हो जाएं तो इसकी रोपाई कर देनी चाहिए.