Punjab: कई इलाकों में पानी की समस्या! किसान कर रहे खेती और पीने के लिए नहरी पानी की मांग

Punjab: कई इलाकों में पानी की समस्या! किसान कर रहे खेती और पीने के लिए नहरी पानी की मांग

पंजाब के कई इलाकों में आजकल पानी की समस्या है. धुरी, मलेरकोटला, दिरबा और संगरूर विधानसभा क्षेत्र के लगभग 65 गांवों के किसान सरकार से नहरी पानी की मांग कर रहे हैं. वहीं सैकड़ों किसानों ने बीते दिनों भगवंत मान सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और सिंचाई, पीने के लिए नहर का पानी उपलब्ध कराने की मांग की.

पंजाब में किसान कर रहे खेती और पीने के लिए नहर के पानी की मांग, सांकेतिक तस्वीर
क‍िसान तक
  • Ludhiana,
  • May 28, 2023,
  • Updated May 28, 2023, 8:49 AM IST

सैकड़ों किसानों ने बीते दिनों पंजाब सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और राज्य से सिंचाई और पीने के लिए नहर का पानी उपलब्ध कराने की मांग की. मोगा जिले की अनाज मंडी में कीर्ति किसान यूनियन (केकेयू) द्वारा आयोजित एक रैली में किसानों ने कृषि उपज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी देने का मुद्दा भी उठाया. केकेयू के राज्य प्रेस सचिव रमिंदर सिंह पटियाला ने कहा, “किसान पंजाब के माझा, मालवा और दोआबा क्षेत्रों के विभिन्न क्षेत्रों से आए थे. पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान जहां किसानों से नहर के पानी का अधिक से अधिक उपयोग करने की अपील कर रहे हैं, वहीं हम उनसे मांग करते हैं कि हर घर में खेती के साथ-साथ पीने के लिए भी नहर का पानी उपलब्ध कराया जाए. हम भी नहर के पानी का इस्तेमाल करना चाहते हैं, लेकिन इसकी पहुंच पंजाब के हर गांव तक नहीं है.”

'65 गांवों के किसान कर रहे हैं नहरी पानी की मांग'

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, केकेयू के राज्य महासचिव राजिंदर सिंह दीप सिंह वाला ने कहा, “सीएम भगवंत मान अपने भाषणों में बता रहे हैं कि पंजाब केवल 34 प्रतिशत नहर के पानी का उपयोग कर रहा है, जबकि राजस्थान 87 प्रतिशत उपयोग करता है. लेकिन अगर राज्य में नहरों का जाल होगा तो हम भी राज्य के अन्य हिस्सों की तरह इसका इस्तेमाल करेंगे. मान को अपने निर्वाचन क्षेत्र धुरी और आसपास के क्षेत्रों का ध्यान रखना चाहिए.

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धुरी, मलेरकोटला, दिरबा और संगरूर विधानसभा क्षेत्र के 65 गांवों के किसान इस सरकार से नहरी पानी की मांग कर रहे हैं, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. ये क्षेत्र शोषित क्षेत्र हैं. सरकार उनके लिए क्या कर रही है? पंजाब में हर घर को पीने के पानी पर खर्च करना पड़ता है, यानी उन्हें पीने का साफ पानी लेने या आम आरओ सिस्टम से पानी खरीदने के लिए रिवर्स ऑस्मोसिस (आरओ) प्यूरीफायर लगाना पड़ता है. क्या हमें स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराना सरकार की जिम्मेदारी नहीं है?” केकेयू के अध्यक्ष निर्भाई सिंह धुदिके ने कहा, "हम खेती को लाभदायक बनाने के लिए भारत-पाकिस्तान व्यापार के लिए अटारी और हुसैनीवाला रोड कॉरिडोर खोलने की भी मांग करते हैं."

'कृषि मॉडल को बदलने की जरूरत'

वहीं, राजिंदर सिंह दीप सिंह वाला ने विरोध रैली में बड़ी सभा को संबोधित करते हुए कहा, “कृषि संकट को हल करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा फसल विविधीकरण के दावे महज आंखों में धूल झोंकने वाले हैं. कृषि संकट की मूल जड़ हरित क्रांति के कॉर्पोरेट समर्थक कृषि विकास मॉडल में निहित है जिसने किसानों को गहरे कर्ज में फंसाने के अलावा पानी और पर्यावरण का संकट पैदा कर दिया है. इस मॉडल को एक आत्मनिर्भर, जहर मुक्त, प्रकृति के अनुकूल और लाभदायक खेती मॉडल के साथ बदलने की जरूरत है.”

उन्होंने कहा कि केकेयू ने स्वामीनाथन आयोग के 'सी2+50% फॉर्मूले' के आधार पर किसानों के लिए कर्ज राहत और एमएसपी पर कानूनी गारंटी की मांग को लेकर एक अभियान भी चलाया है. उन्होंने सरकार से जल संरक्षण की दिशा में आगे बढ़ने के लिए भी कहा है.

'राज्य में बढ़ता जा रहा है पानी का संकट'

रमिंदर सिंह पटियाला ने कहा, 'एक तरफ राज्य में पानी का संकट दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ मुख्यमंत्री राजस्थान को और पानी देने की मंजूरी दे रहे हैं. हम मान सरकार को आगाह कर रहे हैं कि वह राज्य की जनता की भावनाओं से खिलवाड़ बंद करें और हर खेत को नहर का पानी और हर घर को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने की व्यवस्था करें.

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नदी जल विवाद की समस्या को नदी तट सिद्धांत के अनुसार हल करने का आह्वान करते हुए किसान नेताओं ने कहा कि राज्य में 'बर्बाद' नहर प्रणाली की मरम्मत कर उसे बहाल किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए नहर प्रणाली के नेटवर्क का विस्तार करना महत्वपूर्ण है कि पानी हर खेत और घर तक पहुंचे.
 


 

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