दिल्ली से सटे राज्य पंजाब और हरियाणा में खासकर धान की खेती अधिक से अधिक क्षेत्रफल में की जाती है. ऐसे में धान की कटाई का काम भी शुरू हो गया है. कटाई के बाद पराली के प्रबंधन का काम किसानों द्वारा किया जाता है. वहीं कई किसान ऐसे भी हैं जो समय बचाने के लिए खेतों में कटी हुई पराली को जला देते हैं. जिसके कारण दिवाली के आसपास दिल्ली का प्रदूषण स्तर काफी हद तक खराब हो जाता है. जिस वजह से दिल्ली के लोग और सरकार की चिंताएँ एक बार फिर बढ़ती नजर आ रही है.
पंजाब और हरियाणा में फसल जलाना दिल्ली एनसीआर के लिए एक बड़ी चिंता का विषय है क्योंकि आने वाले दिनों में प्रदूषण का स्तर बढ़ने की आशंका है. वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) के प्रयासों के बावजूद, पंजाब में फसल जलाने के मामले बढ़ रहे हैं.
अब तक, फसल जलाने की घटनाएं पिछले साल की तुलना में काफी कम हैं, लेकिन अभी भी चिंता की बात है. फसल जलाने की वार्षिक समस्या पर अंकुश लगाने के लिए आधा दर्जन से अधिक बैठकें करने के बावजूद प्रमुख प्रदूषण प्रबंधन निकाय को लगता है कि पंजाब सरकार को बहुत कुछ करना है. इस साल अब तक सिर्फ पंजाब से 3300 से ज्यादा आग लगने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं, जो पिछले साल आज तक राज्य में हुई आग की घटनाओं का लगभग आधा है.
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सीएक्यूएम के सूत्रों के मुताबिक, "सभी 23 अधिकारियों को अपने-अपने जिलों में फसल जलाने पर नियंत्रण करने के लिए एक निर्देश दिया गया है. यहां तक कि वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के साथ बैठकें भी की गईं. केंद्रीय पर्यावरण मंत्री और कृषि मंत्री दोनों ने इस समस्या को रोकने के लिए अंतर-विभागीय बैठकें भी कीं." फिर भी, राज्य सरकारों की प्रतिक्रिया अब तक अच्छी नहीं है." इस साल बड़ी समस्या मॉनसून में देरी और पंजाब के कई इलाकों में बाढ़ के कारण फसल कटाई का देर से आना भी है. इसके कारण, फसल की कटाई अभी शुरू हुई है और जहां तक खेत में आग लगाने का सवाल है तो अगले 15-20 दिन काफी महत्वपूर्ण होंगे. इस बीच, विभिन्न एजेंसियों द्वारा किए गए प्रयासों के कारण, पंजाब में पराली प्रबंधन के लिए विभिन्न प्रकार की लगभग 1.5 लाख मशीनें तैनात हैं. एक अनुमान के मुताबिक सिर्फ इस सीजन में पंजाब में 20 लाख टन पराली पैदा हो रही है.
पिछले तीन वर्षों के वार्षिक रुझान पर नजर डालें तो फसल जलाने की घटनाओं में तेजी से गिरावट आ रही है. राज्य सरकारों और केंद्र द्वारा किए गए प्रयासों के परिणाम देखने को मिल रहा है. वर्ष 2021 में केवल पंजाब में खेतों में आग लगने की लगभग 79000 घटनाएं हुईं जो पिछले वर्ष से लगभग 35% कम हो गईं और आंकड़ा 49000 ही रह गया. इस साल राज्य और जिला प्रशासन को आग की घटनाओं को घटाकर 25000 तक लाने का लक्ष्य दिया गया है.