खासी पहाड़ियों से घिरे उमियम (बारापानी) स्थित केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के कैंपस में आज शनिवार से पहला नॉर्थ ईस्ट एफपीओ कॉन्क्लेव और इनवेस्टर समिट शुरू हो रहा है. इसमें वो लोग भी होंगे जिनके पास कृषि क्षेत्र में लगाने के लिए है लेकिन आइडिया नहीं है और वो लोग भी होंगे जिनके पास आइडिया है लेकिन पैसा नहीं है. ऐसे लोगों को आमने-सामने बैठाकर उनके बीच डील करवाई जाएगी ताकि कृषि क्षेत्र से जुड़े बिजनेस से आगे बढ़ें. इस समिट में कृषि क्षेत्र में निवेश की इच्छुक 21 कंपनियां शिरकत कर रही हैं. साथ ही सौ से ज्यादा एफपीओ भी शामिल होंगे. इसमें शिरकत करने वाले ज्यादातर एफपीओ नार्थ ईस्ट के हैं. इसमें बड़ी संख्या में वो किसान भी आ रहे हैं जो मेघालय की स्थानीय कृषि उपज पर काम करते हैं.
नॉर्थ ईस्ट में एकमात्र केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय है. इसकी कोशिश है कि किसानों, बड़ी कंपनियों और स्टार्टअप के बीच अच्छा तालमेल हो ताकि यहां का कृषि क्षेत्र और तेजी से आगे बढ़ सके. किसानों को उसका फायदा मिले. कार्यक्रम में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक और सेंट्रल एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी इंफाल के वाइस चांसलर डॉ. अनुपम मिश्र सहित कई बड़े कृषि वैज्ञानिक शिरकत कर रहे हैं.
किसी प्रदर्शनी में भूत झोलकिया नाम की मिर्च और उससे बने प्रोडक्ट डिस्प्ले किए जाएंगे. ऐसा दावा किया जाता है कि यह दुनिया की सबसे तीखी मिर्च है. इसे घोस्ट चिली और किंग चिली के नाम से भी जानते हैं. इसके अलावा असम लेमन, खासी संतरा, बड़ी इलायची, लाकाडोंग हल्दी, काली हल्दी, सफेद हल्दी और काली अदरक और उससे बने प्रोडक्ट डिस्प्ले हो रहे हैं.
कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि कई मेडिसिनल प्लांट और उनके फलों के बारे में बताया जाएगा. यहां की लोकल वाइन भी डिस्प्ले होगी. साथ ही ब्लैक राइस, जोहा राइस और सेंटेड राइस भी उपलब्ध होगा. केले का कपड़ा, मूंगा और असम सिल्क बनाने वाले लोग भी प्रदर्शनी में होंगे.
मेघालय में ज्यादातर किसान प्राकृतिक और ऑर्गेनिक खेती करते हैं, लेकिन ऑर्गेनिक स्टेट का टैग न मिलने की वजह से उन्हें ज्यादा फायदा नहीं मिल पा रहा. कुछ किसान एफपीओ के माध्यम से अच्छा बिजनेस कर रहे हैं लेकिन वो चाहते हैं कि सिक्किम की तरह मेघालय को भी ऑर्गेनिक स्टेट का दर्जा मिल जाए तो यहां के किसानों को काफी फायदा होगा. साथ ही किसान यहां पर अलग-अलग फसलों की प्रोसेसिंग के लिए यूनिट भी चाहते हैं.
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यहां के अधिकांश किसान यूरिया, डीएपी जैसी रासायनिक खादों और कीटनाशकों का इस्तेमाल नहीं करते हैं. इसलिए इनके प्रोडक्ट की अच्छे से मार्केटिंग हो तो किसानों की आय और बढ़ सकती है. मेघालय पहले से ही किसानों की आय के मामले में भारत में पहले नंबर पर है. किसानों की इनकम और बढ़ने की संभावनाएं हैं. जिसकी कोशिश में सरकार जुटी हुई है. एफपीओ कॉन्क्लेव और इन्वेस्टर समिट भी सरकार की इसी कोशिश का हिस्सा है.