Bird Flu: अंडे-चिकन को ऐसे मिलता है बर्ड फ्लू फ्री होने का सर्टिफिकेट, जानें डिटेल 

Bird Flu: अंडे-चिकन को ऐसे मिलता है बर्ड फ्लू फ्री होने का सर्टिफिकेट, जानें डिटेल 

एक रिपोर्ट की मानें तो 1.7 मिलियन वायरस जंगल में फैले होते हैं. इसमे से बहुत सारे ऐसे हैं जो जूनोटिक हैं. जूनोटिक वो होते हैं जो पशु-पक्षियों से इंसान में फैलते हैं. लेकिन अब वर्ल्ड लेवल पर इस पर काबू पाने की कवायद शुरू हो गई है. भारत में भी नेशनल वन हैल्थ मिशन (एनओएचएम) के नाम से एक अभियान शुरू किया गया है.

पोल्ट्री फार्म में बंद अंडा देने वाली मुर्गियां. फोटो क्रेडिट-किसान तकपोल्ट्री फार्म में बंद अंडा देने वाली मुर्गियां. फोटो क्रेडिट-किसान तक
नासि‍र हुसैन
  • नई दिल्ली,
  • Oct 16, 2023,
  • Updated Oct 16, 2023, 8:47 PM IST

अगर एक्सपर्ट की सलाह पर साइंटीफिक तरीके से पशुपालन किया जाए तो फिर पशुओं के साथ-साथ उनकी देखभाल करने वाला इंसान भी तमाम तरह की बीमारियों से सुरक्षित रहता है. एनीमल एक्सपर्ट की मानें तो इंसानों को होने वाली 70 से 75 फीसद बीमारियां पशुओं से लगती हैं. ऐसी बीमारियों को जूनोटिक कहा जाता है. साथ ही बीमारी फ्री होने से हमारे प्रोडक्ट की क्वालिटी और रेट दोनों ही बढ़ जाते हैं. पोल्ट्री फार्म में भी साइंटीफिक तरीके अपनाकर अंडे-चिकन को बर्ड फ्लू फ्री बनाया जा सकता है. हाल ही में चार राज्यों के 26 इलाकों में अंडे और चिकन को बर्ड फ्लू फ्री घोषित किया गया है. 

लेकिन ये कैसे मुमकिन हुआ इस बारे में गुरु अंगद देव वेटरनरी एंड एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी (गडवासु), लुधि‍याना के वाइस चांसलर डॉ. इन्द्रजीत सिंह का कहना है कि आज क्लाइमेट चेंज के चलते बहुत बड़ा बदलाव आ चुका है. अगर हम अपने पशु-पक्षी और उनसे मिलने वाले प्रोडक्ट को बीमारी फ्री रखना चाहते हैं तो हमे पशु-पक्षियों के फार्म पर बॉयो सिक्योरिटी का पालन करना होगा. कोविड, स्वानइन फ्लू, एशियन फ्लू, इबोला, जीका वायरस, एवियन इंफ्लूंजा समेत और भी न जानें ऐसी कितनी महामारी हैं जो पहले पशु-पक्षियों हुई और उसके बाद इंसानों में आई हैं. 

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अपने फार्म की ऐसे करें बॉयो सिक्योरिटी 

डॉ. इन्द्रजीत ने किसान तक को बताया कि बॉयो सिक्योरिटी प्लान के तहत सबसे पहले अपने फार्म की बाड़बंदी करें. जिससे सड़क पर घूमने वाला कोई भी जानवर आपके फार्म में नहीं घुस सकें. अपने फार्म के अंदर और बाहर दवा का छिड़काव जरूर कराएं. कुछ दवा फार्म पर रखें जिनका इस्तेमाल हाथ साफ करने के लिए हो. हाथ सेनेटाइज करने के बाद ही पशु-पक्षियों को हाथ लगाएं. पशु को हाथ लगाने के बाद एक बार फिर से दवाई का इस्तेमाल कर हाथ साफ करें, जिससे पशु-पक्षियों की बीमारी इंसानों को न लगे.  

अगर कोई व्यक्ति बाहर से फार्म में आ रहा है तो उसके शूज बाहर ही उतरवाएं या फिर उन्हें सेनेटाइज करें. हाथ और उसके कपड़ों को भी सेनेटाइज कराएं. मुमिकन हो तो पीपीई किट पहनाकर ही फार्म के अंदर ले जाएं. जब भी फार्म पर कोई नया पशु-पक्षी आए तो उसे कम से कम 15 दिन के लिए अपने पशुओं से अलग कमरे या जगह पर रखें. पशु के छोटे बच्चे, बीमार पशु, गर्भवती पशु, हेल्दी पशु, दूध देने वाले पशुओं को अलग-अलग रखें. मौसम के हिसाब से बाड़े में पशुओं का रखरखाव रखें, खासतौर से बरसात के मौसम में जब मच्छर-मक्खियों का प्रकोप ज्यादा होता है. 

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