इंडिया टुडे ग्रुप का डिजिटल चैनल 'किसान तक', 'किसान तक यूट्यूब' चैनल का उद्घाटन (kisantakofficial Youtube Channel), केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, 'किसान तक' डिजिटल वेबसाइट का उद्घाटन (Kisan Tak Digital Channel), केंद्रीय मत्स्य, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री परषोत्तम रूपाला, 'किसान तक' है देश का पहला एग्रीकल्चर डिजिटल प्लेटफॉर्म, किसान तक समिट 2023 (Kisan Tak Summit 2023), दिल्ली में 'किसान तक समिट' (Kisan Tak Summit in Delhi), देश के पद्मश्री किसान (Padma Shri Awardee Farmers of India), किसान तक पर गांव और खेती- किसानी से जुड़ी हर जरूरी जानकारी, किसान तक समिट 2023 से जुड़ी खास खबरों के लिए पढ़ते रहें आज का हमारा लाइव अपडेट्स (Kisan Tak Summit 2023 Live Updates)-
पद्मश्री से सम्मानित सहारनपुर के प्रगतिशील किसान सेठपाल सिंह ने किसान तक समिट ने कहा कि खेती में मैंने ज्यादा लाभ पाने के लिए विविधिकरण के सिद्धांत को अपनाया और फ्रेंचबिन कि खेती की. गाँव के बराबर में मेरा खेत था. लोग मेरा मजाक उड़ाते थे. लेकिन बाद में उनके ये विचार बदल गए.
किसान तक समिट में किसान चाची ने कहा कि खेती से ही हमारी गरीबी दूर हुई है. 1990 से ही वे खेती कर रही हैं, लेकिन पूसा कृषि संस्थान से बीज लेकर आए और नए तरीके से खेती शुरू की. किसान चाची ने कहा, मेरे पति पढ़े-लिखे नहीं थे और वे खैनी बेचते थे. लेकिन हमने सब्जी की खेती शुरू की और उसमें अच्छा मुनाफा कमाया. पूसा से बीज लाकर सब्जियों की खेती शुरू की. किसान चाची ने कहा कि आज किसानों में एकता नहीं है. अगर एकता रहती तो हमारी उपज का दाम सरकार तय नहीं करती बल्कि हम खुद तय करते क्योंकि हमलोग ही उत्पादन करते हैं. खेती-बाड़ी में किसान चाची ने अपने संघर्ष की पूरी कहानी बताई.
पद्मश्री राजकुमार देवी को किसान चाची के नाम से भी जाना जाता है. पद्मश्री अवॉर्ड से सम्मानित किसान चाची महिला किसानों के लिये एक मिसाल हैं. बिहार के मुजफ्फरपुर जिले की रहने वाली किसान चाची ने 'किसान तक समिट' में कहा कि किसानों को खेती में आत्मनिर्भर बनने के अलावा में विज्ञान को अपनाने की जरूरत है.
'किसान तक समिट' के अंतिम सत्र में पद्मश्री किसान अपने अनुभव साझा कर रहे हैं. इनमें सहारनपुर के प्रगतिशील किसान सेठपाल सिंह, बुलंदशहर के भारत भूषण त्यागी, सोनीपत के कंवल सिंह चौहान, बांदा के उमाशंकर पांडे और बिहार की राजकुमारी देवी शामिल हैं.
प्रोफेशनल तरीके से हम बैंक को चलाना चाहिए जो हम नहीं चला पा रहे हैं. हर गांव में कोऑपरेटिव सोसाइटी बनेगी और इससे किसानों को लोन भी मिलेगा और उसके प्रोडक्ट को वैल्यू एडिशन के माध्यम से बाजार में अच्छा दाम मिलेगा. किसान के जेब में जब पैसा होगा तो बैंकों का लोन नहीं डूबेगा. सहकारिता के माध्यम से बेरोजगारी और महंगाई से भी निजात पा सकते हैं: उमाकांत दाश
देश में सहकारिता विश्वविद्यालय बनने से कॉपरेटिव के क्षेत्र में काफी ज्यादा तरक्की होगी.हालांकि अभी देश में 192 एग्रीकल्चर के इंस्टीट्यूट हैं जो हर राज्य में मौजूद हैं: उमाकांत दाश
एनसीडीसी में युवा सहकार के माध्यम से बिना बैलेंस शीट के माध्यम से 3 महीने में ही लोन मिल सकेगा और 6 महीने में तीन करोड़ तक का लोन मिल सकेगा: आर विनिथा- एनसीडीसी
1963 से एनसीडीसी काम कर रही है. कोऑपरेटिव के माध्यम से डेयरी, फिशरीज और किसानों को भी लोन दे रहे हैं. 6 जुलाई 1921 को सहकारिता मंत्रालय बनाया गया. पैक्स का कंप्यूटराइजेशन करना होगा. गांव में कॉपरेटिव संस्थाओं के पास कंप्यूटर तक नहीं है: आर विनिथा- एनसीडीसी
देश में सहकारिता का बहुत बड़ा महत्व है. क्योंकि सहकारिता के माध्यम से ही उर्वरक और अच्छे बीज की आपूर्ति सही दाम में उपलब्ध हो रहा है. किसानों को इससे लाभकारी मूल्य मिल रहा है. किसान की आमदनी को बढ़ाना हमारा उद्देश्य हैं: श्रीचंद पाल यादव, चेयरमैन, कृभको
देश में रॉक फास्फेट की कमी है. मैं भारत सरकार का धन्यवाद देता हूं, क्योंकि सरकार ने हमेशा से किसानों का साथ दिया है. एक बोरी यूरिया की कीमत ₹2000 आती है लेकिन सरकार इसे ₹266 में किसानों को देती है. देश में उर्वरक के उत्पादन लागत और विक्रय मूल में काफी बड़ा अंतर है: श्रीचंद पाल यादव, चेयरमैन, कृभको
खेती का व्यवसाय किसान को लाभकारी तरीके से करना होगा, क्योंकि फसल की लागत बढ़ रही है.एमएसपी भी सही नहीं मिल रही है: श्रीचंद पाल यादव, चेयरमैन, कृभको
प्रोफेशनल की कमी को दूर करके ही कॉपरेटिव को कॉर्पोरेट सेक्टर की तरह बनाया जा सकता है. प्रोफेशनल की कमी को दूर करने के लिए कॉपरेटिव यूनिवर्सिटी मील का पत्थर साबित होगी: उमाकांत दाश
1979 में कोरियन जी ने इरमा का गठन किया था. देश के लिए सबसे बड़ा चैलेंज ट्रेंड और प्रोफेशनल की कमी हैं: उमाकांत दाश- निदेशक इरमा
देश में 8.54 लाख कोऑपरेटिव हैं और अभी देश में तीन लाख और कोऑपरेटिव बनने हैं. विश्व में सबसे बड़ी कोऑपरेटिव संस्था इफको है: बिनोद आनंद, सदस्य, एमएसपी कमेटी
क्या किसान बिल लेकर कीटनाशक खरीदते हैं?. किसानों को अपना अनाज लेकर कहीं भी जाने की छूट होनी चाहिए. एमएसपी बाजार और बाजार के नियमों के आधार पर तय हो- बिनोद आनंद, सदस्य, एमएसपी कमेटी
किसान को निजी क्षेत्र से मतलब नहीं है. उसे बस उपज की कीमत सही मिले. 200 साल पहले कोई निजी क्षेत्र नहीं था. लेकिन तब किसानों के दम पर सोने की चिड़िया था. देश में 5 करोड़ गन्ना किसान हैं. किसान के पास जब माल होता है तब कीमत बहुत कम मिलती है. हम यह नहीं कह रहे कि सब सरकार खरीदे. बस फसल की कीमत पूरी मिले. क्या किसानों को एमएसपी लेने का भी हक नहीं है?: राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के अध्यक्ष सरदार वीएम सिंह
दुर्भाग्य से देश का किसान एकजुट नहीं है. इसी का फायदा उठाया जाता है. सबसे पहले धान पर एमएसपी के लिए हमने साल 2000 में आंदोलन किया. उससे पहले यूपी में धान पर एमएसपी नहीं था: राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के अध्यक्ष सरदार वीएम सिंह
अंग्रेजों के समय कृषि और रेवेन्यु विभाग होता था. बाद में यह कृषि और कल्याण मंत्रालय बना. 6 जून को मंदसौर में गोली चली. 7 जून को 11.23 मिनट पर मानवाधिकार आयोग में अर्जी लग गई. किसान आंदोलन बेहद प्लानिंग के साथ किया गया था. आंदोलनों की एक वैल्यू चेन होती है - बिनोद आनंद, सदस्य, एमएसपी कमेटी
किसान आंदोलन में किसानों को बहकाया गया. पक्ष-विपक्ष हुआ. हमारे देश में मुद्दों को ना देखकर पक्ष-विपक्ष देखा जाता है. किसान आंदोलन किसानों के लिए नुकसानदायक बना- कंवल सिंह, पद्मश्री किसान
किसानों को फसल बेचने की आजादी होनी चाहिए. मंडी तक पहुंचने और प्रोसेसिंग यूनिट तक पहुंचने में 25 प्रतिशत लागत बढ़ जाती है. कंपनियां किसानों से सीधा फसल खरीदें तो आमदनी बढ़ेगी: कंवल सिंह, पद्मश्री किसान
उत्पादन लागत को कम करके आय बढ़ाई जा सकती है. टेक्नोलॉजी का प्रचार-प्रसार नहीं हो पा रहा है. केवीके में ट्रेनिंग किसान के खेत में की जाए. इससे किसान सीख लेंगे- - कंवल सिंह, पद्मश्री किसान
प्रोसेसिंग यूनिट्स जितनी ज्यादा होगी, किसान की आय उतनी ज्यादा बढ़ेगी. - कंवल सिंह, पद्मश्री किसान
एमएसपी पूरे देश में होनी चाहिए. लेकिन क्वालिटी का भी ध्यान रखा जाए. आवश्यकता से अधिक कीटनाशक पर रोक लगे. मंडियों का होना जरूरी है- कंवल सिंह, पद्मश्री किसान
किसानों की समस्याओं के कई समाधान हैं. खुशहाली के दो आयाम कर्ज मुक्ति और पूरा दाम- बिनोद आनंद, सदस्य, एमएसपी कमेटी
जो किसान हाशिये पर हैं, उन्हें एमएसपी का फायदा नहीं मिलता. एमएसपी पारदर्शी हो. किसान एक्पोर्टर कैसे बनें. इस पर बात हो. हमें किसानों को वोट बैंक एमएसपी के सहारे नहीं बनाना चाहिए - बिनोद आनंद, सदस्य, एमएसपी कमेटी
भारत में कुल मिलाकर एक लाख 26 हजार वैरायटी के पैडी किस्में हैं. 2800 पैडी किस्म हमारी हैं. लेकिन एमएसपी में सिर्फ दो तरह के चावल को शामिल किया है. - बिनोद आनंद, सदस्य, एमएसपी कमेटी
5 ट्रिलियन इकोनॉमी में किसानों का योगदान होगा. किसान अपना पैसा कभी बैंक और जेब में नहीं रखता. वो सीधे बाजार में लेकर जाता है: सरदार वीएम सिंह, अध्यक्ष, राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन
बिहार में धान 1100-1200 में बिक रहा है. यूपी में 1200-1300 रुपये बिक रहा है. कहीं भी एमएसपी पर नहीं बिक रहा धान. एमएसपी पर कानून बेहद जरूरी है-- राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के अध्यक्ष सरदार वीएम सिंह
स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट में एमएसपी देने की बात हुई, लेकिन क्या सरकारी एमएसपी किसानों को मिल पा रही है? - राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन से अध्यक्ष सरदार वीएम सिंह
आंकड़ों से किसी का पेट नहीं भरता. किसान के बेटे को रोजगार नहीं मिल रहा. किसान के बच्चों की शादी तक नहीं हो रही. यह हकीकत है. - राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन से अध्यक्ष सरदार वीएम सिंह
किसान को हर पार्टी ने वोट बैंक बना कर रख दिया है- राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन से अध्यक्ष सरदार वीएम सिंह
आय बढ़ाने की बात दूर है, पहले उसकी आय सुनिश्चित करना जरूरी- राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन से अध्यक्ष सरदार वीएम सिंह
किसी किसान का बच्चा खेती नहीं करना चाहता- राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन से अध्यक्ष सरदार वीएम सिंह
कृषि प्रधान देश में किसान की आय बढ़ाने की चर्चा करना शर्म की बात है- राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन से अध्यक्ष सरदार वीएम सिंह
Kisan Tak summit 2023: ‘धान्य से धनवान - कैसे बढ़ेगी किसानों की आय’ सेशन में एमएसपी कमेटी के सदस्य बिनोद आनंद, राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन से अध्यक्ष सरदार वीएम सिंह, पद्मश्री किसान कंवल सिंह शामिल हुए.
शहरों में ओला-उबर सर्विस की तरह बीज पहुंचाए जा रहे हैं. अगर किसी किसान को कोई दिक्कत आती है तो मेरे नंबर 9899045037 पर संपर्क करें: एके सिंह, डायरेक्टर, आईएआरआई
एक कार्बन क्रेडिट की क्वालिटी पर उसकी कीमत तय होती है. एक कार्बन क्रेडिट का 30-40 डॉलर तक मिलता है. हमारी गुजारिश है कि कंपनियां इससे जुड़ें और कार्बन क्रेडिट को फाइनेंस करें. - एके सिंह, डायरेक्टर, आईएआरआई
बीज उत्पादन से युवा जुड़े हैं. इससे स्थानीय स्तर पर कंपनी बनीं. इसका बाजार काफी बढ़ रहा है. हमने ऑनलाइन बीज देने की प्रक्रिया भी शुरू की है. ताकि किसानों के दरवाजे तक बीज की पहुंच हो. - एके सिंह, डायरेक्टर, आईएआरआई
सब्जी में काफी संभावना है. धान की सीधी बिजाई के लिए और कई नई किस्में इजाद की गई हैं. - एके सिंह, डायरेक्टर, पूसा
कार्बन फुटप्रिंट क्षेत्र में बड़ी संभावना- एके सिंह, डायरेक्टर, पूसा
आम के बड़े उत्पादक लेकिन सेल्फ लाइफ बढ़ाने की जरूरत है. – एके सिंह, डायरेक्टर, पूसा
मोथा के लिए जापानी तकनीक से एक ऐसा कीटनाशक विकसित किया है जिससे इसका रोकथाम हो रहा है. मोथा से किसान काफी ज्यादा परेशान थे: आर एस अग्रवाल
हम तकनीक के माध्यम से पूरे देश में 2000 एकड़ में खेती कर रहे हैं. हमें तकनीक के माध्यम से ही वेदर की जानकारी भी मिलती है.उसके हिसाब से हम नुकसान से बच सकते हैं: ऋतुराज शर्मा
151 केवीके के माध्यम से स्मार्ट गांव विकसित किया गया है जिसको किसान के द्वारा हैंडल किया जा रहा है. वही तकनीकी के माध्यम से 45 परसेंट ज्यादा पैदावार किसानों को यहां मिल रही है. तकनीकी के सारे आयाम को जानना होगा, तभी हम उसका ज्यादा से ज्यादा फायदा ले सकते हैं. जीरो टिलेज तकनीक के माध्यम से किसानों का काफी ज्यादा पैसा बच रहा है: यूएस गौतम, डीडीजी एक्सटेंशन, आईसीएआर, पूर्व कुलपति बांदा कृषि विश्वविद्यालय
किसान को अच्छे उत्पादन के लिए यह जरूरी है कि बीज को उचित गहराई पर डाला जाए. इसके लिए हमने हाइड्रोलिक सिस्टम का विकास किया है. वही गियर पर भी हमने काम किया है. अलग-अलग तरह की फसलों के लिए अलग-अलग तरह के ट्रैक्टर मौजूद हैं. इसीलिए इंजन पर भी हमने काम किया है. इसमें सीआरडी टेक्नोलॉजी पर काम किया है जिससे कि किसान की तेल की बचत होती है: सरोज मोहंती, वाइस प्रेसिडेंट, सोनालिका ट्रैक्टर्स
किसान को एग्री इनपुट यानी बीज और खाद की सही जानकारी होनी चाहिए. अगर जानकारी नहीं होगी, तो इसका नुकसान भी किसान को होगा. बाजार में नकली कीटनाशक भरे हुए हैं. 40% फसलें नकली कीटनाशकों से बर्बाद होती हैं.
किसान को मार्केट का ज्ञान अगर सही हो जाए तो वह अपनी फसल का अच्छा दाम पा सकता है. किसान को सही मार्केट मिलना चाहिए. किसान को पानी का ज्ञान भी होना चाहिए. देश का 40 फीसदी खेती का इलाका सिंचित है. किसान पानी का सही प्रयोग कर लें तो उसकी आधी समस्या दूर हो जाए: आर जी अग्रवाल
किसान तक समिट के 'नया दौर, तकनीक की ओर, एग्रीटेक एंड स्टार्टअप' सत्र में आर जी अग्रवाल ने कहा मैं तकनीकी की जगह, ज्ञान की बात करूंगा. किसान को ज्ञान मिल जाए तो वह सब कुछ कर सकता है. किसान खेत से सस्ती फसल भेजता है जबकि बाजार में वह महंगा बिकता है
भारत में कई तकनीक मौजूद है, लेकिन हमारे किसानों के लिहाज से उनकी कीमत काफी ज्यादा है. पूसा और आईसीआर ने अलग-अलग तरह की तकनीकी को विकसित किया है: ऋतुराज फाउंडर ग्रोपिटल
किसान तकनीकी का प्रयोग करके अलग-अलग तरह से लाभ पा सकते हैं. जैसे कैमरा लगाकर एआई के माध्यम से वह जरूरी सूचना के माध्यम से अपने काम को आसान कर सकते हैं: ऋतुराज फाउंडर ग्रोपिटल
किसान तक समिट के 'नया दौर, तकनीक की ओर, एग्रीटेक एंड स्टार्टअप' सत्र में यूएस गौतम, डीडीजी, आईसीएआर, ने कहा कि पूरे देश में 126 एग्रो क्लाइमेटिक जोन है. जोन के हिसाब से प्रत्येक जिले में के केवीके खुले हुए हैं और हर जिले में कृषि तकनीकी बैंक का गठन किया जा रहा है. यही नहीं, किसान सारथी पोर्टल पर अब तक 60 लाख किसानों का रजिस्ट्रेशन हो चुका है.
केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर, ने 'किसान तक समिट 2023' के दौरान, किसान तक के यूट्यूब चैनल का औपचारिक उद्घाटन किया.
किसान तक समिट में केंद्रीय कृषि मंत्री तोमर ने कहा कि वेयरहाउस और कोल्ड स्टोरेज जैसी ढांचागत सुविधाएं अब गांव तक पहुंचाने का प्रयास एग्रीकल्चर इंफ्रा फंड की मदद से किया जा रहा है. जिससे किसान गांव में ही इन सुविधाओं का लाभ उठा सकें. तोमर ने आह्वान किया कि मंडी को भी अपने आय के स्रोत बढ़ाना चाहिए जिससे मंडियों को भी ढांचागत सुुुुुुुविधाएं मिल सकें. तोमर ने कहा कि गन्ना किसान को समय पर भुगतान होना चाहिए. मोदी सरकार ने इस दिशा में माकूल प्रयास किए हैं. यूपी में ये दिक्कत ज्यादा थी, इस दिशा में यूपी में काफी सुधार आया है. तोमर ने किसानों से आह्वान किया कि केन्द्र या राज्य सरकारें लगातार किसानों के लिए काम करती हैं. किसान के हित में चल रही योजनाओं के बारे में किसान जागरुक हों, यही हमारी अपील है.
किसान तक समिट में केंद्रीय कृषि मंत्री तोमर ने कहा कि सरकार की जिम्मेदारी है कि रासायनिक खाद की उपलब्धता को पूरा कराए, कहीं थोडा बहुत परेशानी होती है. कुछ देशों ने रासायनिक खादों के दाम बढ़ाए तब हमें सब्सिडी बढानी पड़ी. हमें सोचना होगा कि उर्वरक के मामले में देश कैसे आत्मनिर्भर हो. किसानों को चिंता करने की जरूरत नहीं है. उन्हें उसी दर पर खाद मिलेगी.
किसान तक समिट में केंद्रीय कृषि मंत्री तोमर ने कहा कि रासायनिक खाद से जमीन और इंसानों की सेहत पर दुष्प्रभावों पर हमें विचार करना चाहिए और किसान एवं पूरा देश इस पर विचार कर रहा है. इससे प्रेरित होकर प्राकृतिक खेती पर जोर दिया जा रहा है.
किसान तक समिट में केंद्रीय कृषि मंत्री तोमर ने कहा कि एक समय था जब सरकार के समक्ष खाद्यान्न के अभाव का संकट था. उस दौर में हरित क्रांति हुई और उससे समस्या का समाधान भी हुआ. रासायनिक खाद की खूबियों का लाभ भी है, जिसका भारत ने लाभ भी उठाया है. इसकी जो खामियां हैं उसे समय के साथ समझते हुए समझदार समाज विकल्पाें की तलाश करता है.
किसान तक समिट में केंद्रीय कृषि मंत्री तोमर ने कहा कि कृषि आधारित अर्थव्यवस्था ने ही भारत को मजबूती प्रदान की है. 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने में किसान अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं. इसके लिए सरकार किसानों को दो कराेड़ रुपये तक का लोन भी देती है. जिससे प्रसंस्करण को किसान ज्यादा से ज्यादा अपनी खेती में बढ़ाएं.
केंद्रीय कृषि मंत्री तोमर ने कहा कि छोटे और बड़े किसानों के बीच कोई टकराव नहीं है. छोटे किसानों तक सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचे, यह सरकार की प्राथमिकता है. 14 प्रतिशत किसान भले ही बडे किसान हैं लेकिन 80 प्रतिशत उत्पादन छाेेटे किसान करते हैं.
किसान तक सबमिट में केंद्रीय कृषि मंत्री तोमर ने कहा कि पिछले साल 4 लाख करोड केे कृषि उत्पादों का निर्यात हुआ है. यह अब तक का सबसे ज्यादा निर्यात है. भारत का किसान भारत ही नहीं बल्कि दुनिया का भी पेट भरने में सक्षम है. तोमर ने आगे कहा कि जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिए भी काफी काम करने की जरूरत है. किसानों की सफलता की कहानियां बाकी किसानों काे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेंगी.
केंद्रीय कृषि मंत्री तोमर ने कहा कि अब किसान सरकारी योजनाओं का लाभ लेकर तकनीक से जुड़ रहे हैं. साथ ही कृषि वैज्ञानिकों के प्रयास भी किसानों को तकनीक से जोड़ने में मदद मिल रही है. उन्होंने आगे कहा कि कृषि का क्षेत्र चुनौतियों से भरा है, यह क्षेत्र देश की अर्थव्यवस्था का मेरूदंड है और इसे समझते हुए सरकार कृषि क्षेत्र को मजबूती प्रदान कर रही है.
केंद्रीय कृषि मंत्री तोमर ने कहा कि 2.40 लाख करोड़ रुपये की किसानों को सम्मान निधि के माध्यम से मदद दी गई. अटल सरकार से पहले तक किसानों को लोन नहीं मिलता था. अटल सरकार में किसान क्रेडिट कार्ड योजना शुरू की थी. अब इस स्थिति को आगे ले जाया जा रहा है.
केंद्रीय कृषि मंत्री तोमर ने कहा कि पिछली सरकारों ने कृषि क्षेत्र में निजी निवेश के लिए दरवाजे खोलने के समुचित उपाय नहीं किए. अब पशुपालन क्षेत्र में 15 हजार करोड़ रुपये, हर्बल खेती के लिए 4 हजार करोड़ रुपये और खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र सहित समूचे कृषि क्षेत्र में कुल 1.5 लाख करोड़ रुपये के निवेश के उपाय किए गए हैं. तोमर ने कहा कि इस निवेश से गांव स्तर पर खेती को बाजार से जोड़ने के लिए ढांचागत सुविधाएंं देने का सिलसिला शुरू हुआ है.
केंद्रीय कृषि मंत्री तोमर ने कहा कि क्लस्टर में खेती करने से किसानों की बाजार में ताकत बढ़ेगी. उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ाना होगा. बीते सालों में कृषि को छोड़कर सभी क्षेत्रों निजी निवेश को बढ़ाने के हर संभव उपाय किए गए.
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि छोटे किसानों को ताकतवर बनाने के लिए एफपीओ को टूल बनाया जा रहा है. जिससे किसान समूह में खेती कर खेती को आसान बना सकेंगे. किसान समूह में खेती करेंगे तो क्रॉप पैटर्न से लेकर तकनीक पर विचार करेंगे.
केंद्रीय कृषि मंत्री तोमर ने कहा कि स्वच्छता अभियान में हर घर को एक शौचालय मिलने का लक्ष्य प्राप्त होने का उदाहरण बताता है कि जब तक छोटे उद्देश्य प्राप्त नहीं होगे तब तक बड़े लक्ष्य प्राप्त नहीं होंगे. तोमर ने आगे कहा कि अगर छोटे किसान की ताकत नहीं बढ़ेगी तो देश की अर्थव्यवस्था की ताकत भी नहींं बढ़ेगी. क्योंकि छोटे किसानों की हिस्सेदारी 85 प्रतिशत तक है. कोरोना संकट में भी किसानों ने देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती दी.
केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने किसान तक समिट 2023 में कहा कि पीएम मोदी किसानों की समस्याओं के समाधान की दिशा में निरंतर प्रयत्नशील रहते हैं.
केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने किसान तक समिट 2023 में कहा कि डिजिटल प्लेटफार्म 'किसान तक' किसान कल्याण का माध्यम बनेगा.
किसान तक समिट के 'सोशल किसान, किसानों के स्क्रीन गुरु' सत्र में डॉक्टर बलराम, Youtuber, किसान पाठशाला, दर्शन सिंह, Youtuber, फ़ार्मिंग लीडर, आकाश जाधव और संतोष जाधव, Youtuber, इंडियन फार्मर, वैष्णवी सिन्हा, को- फाउंडर, शून्य डेयरी और मोहब्बत दीप सिंह चीमा, फाउंडर, The Pizza Factor ने शेयर किया अपना अनुभव.
किसान तक डिजिटल चैनल के उद्घाटन के मौके पर नई दिल्ली में आयोजित किसान तक समिट में यू-ट्यूबर दर्शन सिंह ने कहा, हमने मोबाइल फोन से 2017 में खेती-बाड़ी का वीडियो बनाना शुरू किया. तब किसानों का कंटेंट न मात्र था, लेकिन हमने क्लिक बनाकर डालना शुरू किया. बहुत जल्दी मुझे लोगों का रेस्पोंस मिला. दर्शन सिंह ने कहा कि हमें बहुत खुशी है कि इंडिया टुडे ग्रुप खेती-किसानी के क्षेत्र में उतरा है. किसान चाहें तो खेती-किसानी का वीडियो बनाकर दूसरे किसानों की मदद कर सकते हैं.
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'किसान तक समिट 2023' में शिरकत कर रहे केंद्रीय मत्स्य, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री परुषोत्तम रूपाला ने खेती-किसानी से जुड़ी हर जरूरी जानकारी से देश को रूबरू कराने वाले डिजिटल मंच 'किसान तक' के वेब पोर्टल का औपचारिक उद्घाटन किया.
केंद्रीय मंत्री रूपाला ने 'किसान तक समिट 2023' में ''पशुधन - गांव का कामधेनु'' विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि छोटे किसान केज कल्चर के माध्यम से मछली पालन कर सकते हैं. किसानों को इस तरह की तमाम योजनाओं के बारे में सरकार द्वारा जागरुक भी किया जा रहा है. मीडिया भी इसमें सरकार की मदद कर सकता है. केंद्रीय मंत्री रूपाला ने देश के किसानों से आह्वान किया कि उन्हें सिर्फ फसल उपजाने पर निर्भर नहीं रहना चाहिए, किसानों को खेती किसानी से जुड़े पशुपालन सहित सभी काम अपने फार्म में करने होंगे. तभी किसान सही मायने में आत्मनिर्भर हो सकेगा.
केंद्रीय मंत्री रूपाला ने कहा कि फिशरीज क्षेत्र में अभी भी संभावनाओं का दोहन किया जाना शेष है. विधवा महिलाओं को मछली पालन की खास योजना के बारे में पूछे जाने पर रूपाला ने कहा कि यह योजना उनके संज्ञान में नहीं है, लेकिन छोटे किसानों के लिए अब तकनीक के साथ जोड़कर लागू किया जा रहा है. केंद्रीय मंत्री रुपाला ने कहा कि 'आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन' के मामले में मोबाइल एंबुलेंस की योजना काे जोड़कर एंबुलेंस इसमें मददगार साबित होगी.
किसान तक समिट में केंद्रीय मंत्री रूपाला ने कहा कि ट्रॉट फिश के लिए अब हैदराबाद में भी उपयुक्त माहौल बनाकर इसका उत्पादन शुरू कर दिया. जबकि यह मछली ठंडी जलवायु में होती थी. यह सब सरकार की नीतियों की वजह से संभव हुआ है.
केंद्रीय मंत्री रूपाला ने कहा कि अकेले झींगा पालन ने दुनिया भर में धूम मचा रखी है. आंध्र प्रदेश और अन्य राज्यों के किसान इसका शानदार उत्पादन कर रहे हैं.
केंद्रीय मंत्री रूपाला ने कहा कि पीएम मोदी ने पशुधन के इलाज के लिए 4000 से ज्यादा एंबुलेंस दे दी हैं जिससे पशुधन का इलाज हो सके. 1962 नंबर के जरिए पशुपालक बीमार पशु के इलाज के लिए एंबुलेंस बुला सकते हैं. डॉक्टर को बुलाकर घर पर भी इलाज करा सकते हैं. रूपाला ने कहा कि जम्मू कश्मीर में तो दूरदराज के इलाकों में मोटर साइकिल काे एंबुलेंस में तब्दील कर पशुओं के इलाज की सहूलियत शुरू की.
केंद्रीय मंत्री रूपाला ने कहा कि आईसीएआर ने लंपी वायरस की भी वैक्सीन तैयार कर ली है. इसके अंतिम दौर की प्रक्रिया चल रही है. केंद्रीय मंत्री रूपाला ने आगे कहा कि लंंपी वायरस के प्रकोप के समय सरकार ने 24 घंटे काम करने वाला कंट्रोल रूम भी शुरू किया था. रूपाला ने कहा कि मुर्गी पालन को वातानुकूलित वातावरण में संभव करने पर भी काम चल रहा है. उन्होंने कहा कि मुर्गीपालकों की मांग पर उन्होंने दखल देकर सोया फीड के प्रयोग की अनुमति दिलवाई. उन्होंने कहा कि किसी भी प्रकार के पशुपालन के लिए भारत सरकार की सब्सिडी आधारित योजनायें चल रही हैं. इसके लिए अलग से पोर्टल भी बनाया गया है.
केंद्रीय मंत्री रूपाला 'किसान तक समिट 2023' में ''पशुधन - गांव का कामधेनु'' विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि पशुधन में महामारी की समस्या से निपटने के लिए पीएम मोदी ने इस दिशा में अहम फैसले किए. उन्होंने कहा कि कोरोना के भारत में कुशल प्रबंधन करने से पहले ही इसी तर्ज पर मोदी सरकार ने पशुधन के वैक्सीनेशन का मिशन शुरू कर दिया. यह मिशन देश भर में राज्य सरकारों की मदद से चल रहा है.
केंद्रीय मंत्री रूपाला ने पॉल्ट्री व्यवसाय के बारे में कहा कि इस व्यवसाय को कुछ कंपनियों के साथ मिल कर किसानों ने ही खड़ा किया है. यदि छोटे किसान को मुर्गीपालन करना है तो सरकार की ऐसी याेजना है जिसकी मदद से वह किसान एक दिन के भीतर ही मुर्गी पालन शुरू कर सकता है. मगर बाजार में उत्पाद को बेचने की समस्या से निपटने के लिए सरकार ने समूह में यानी एफपीओ के माध्यम से ये व्यवसाय करने को प्रोत्साहित करना शुरू किया है. इससे किसान मजदूर के बजाय मालिक बन सकेगा.
केंद्रीय मंत्री रुपाला ने कहा कि एक तरफ हम पराली जला रहे हैं, जबकि यह एक चारा ही है, इसका कच्छ भेजने का सफल प्रयोग हुआ. इसे आगे बढ़ाया जा रहा है. हम इस विषय को राजनीति के नजरिए से नहीं देखते हैं. रुपाला ने आगे कहा कि पराली को चारे में तब्दील करने की बात किसान भी जानते हैं लेकिन छोटे किसानों की इस मामले में मदद करने के लिए सहकारी समितियों और निजी कंपनियों को भी मदद की पहल करनी होगी. केंद्रीय मंत्री रुपाला ने कहा कि सहकारिता पर टिका अमूल मॉडल को देश के किसानों को समझने की जरूरत है. छोटे पशुपालकों को जिस तरह से अमूल से जुड़ने का लाभ हो रहा है उसी तरह अन्य किसानों को भी इस मॉडल को समझने की जरूरत है.
केंद्रीय मंत्री रुपाला ने चारे की समस्या के लिए क्रॉप पैटर्न में बदलाव काे भी एक वजह बताया. बाजार के लिए फसल उत्पादन होना भी इसकी एक वजह है. मगर अब प्रधानमंत्री मोदी की पहल पर मोटे अनाजों का उत्पादन बढ़ेगा. इससे इस समस्या का कुछ हद तक समाधान हो सकता है.
केंद्रीय मंत्री रुपाला ने 'किसान तक समिट 2023' में ''पशुधन - गांव का कामधेनु'' विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि कृषि प्रधान देश भारत में पशुपालन करना, खेती किसानी का मूल आधार है, यही किसानों का मुख्य व्यवसाय है .
केंद्रीय मंत्री रुपाला ने 'किसान तक समिट 2023' में चारे की समस्या के बारे में कहा कि चारे की किल्लत की समस्या से सरकार अवगत है. उन्होंने इसकी वजह बताई कि समय के साथ गौचर जमीनों की कमी आना, मनुष्यों की तरह पशुधन की आबादी भी बढ़ना प्रमुख वजह है.
पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री के गुजरात आगमन का जिक्र करते हुए केंद्रीय मंत्री रुपाला ने कहा कि उन्होंने अमूल डेयरी के माध्यम से डेयरी क्षेत्र की खास बातें गुजरात में समझी थीं और वहीं से एनडीडीबी केे विचार ने जन्म लिया.
केंद्रीय मंत्री रुपाला ने 'किसान तक समिट 2023' में ''पशुधन - गांव का कामधेनु'' विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि कृषि प्रधान देश भारत में पशुपालन करना, खेती किसानी का मूल आधार है, यही किसानों का मुख्य व्यवसाय है .
केंद्रीय मंत्री रुपाला ने 'किसान तक समिट 2023' में कहा कि मैं एक किसान के नाते डिजिटल प्लेटफॉर्म 'किसान तक' के आगाज के लिए बधाई दी.
इंडिया टुडे ग्रुप की कलि पुरी ने केंद्रीय मंत्री रुपाला का किसान तक समिट 2023 के मंच पर तुलसी का पौधा भेंट कर स्वागत किया
किसान तक समिट 2023' के आयोजन स्थल पर केन्द्रीय मत्स्य, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री परुषोत्तम रुपाला का आगमन हुआ. परुषोत्तम रुपाला, खेती किसानी से जुड़ी हर जरूरी जानकारी से देश को रूबरू कराने वाले डिजिटल मंच 'किसान तक' के वेब पोर्टल का औपचारिक उद्घाटन करेंगे.
जीआई टैग अंतरराष्ट्रीय फोरम में बना था. अमेरिका में 20-25 साल पहले बासमती को पेटेंट कराने लगे, हमने केस किया और जीते. एमपी में सुगंधा चावल को बासमती टैग देने पर काफी बात चल रही हैं. - कृषि उत्पाद निर्यातक अशोक सेठी
खेती में टेक्नोलॉजी सबसे जरूरत है. - विनोद कौल- SED, ऑल इंडिया राइस एक्पोर्टर एसोसिएशन
देश में सड़क और संसद को समझा ही नहीं गया. लोहिया ने कहा था जब सड़कें सूनी होंगी तो संसद आवारा हो जाएगी. एमएसपी निर्धारण के लिए क्लाइमेट जोन के हर राज्य में 75 गांव लेते हैं. हर फसल के 10 किसान लेते हैं. एमएसपी के लिए देश में 14 हजार कुछ किसानों का ही सर्वे किया जाता है. जून-जुलाई तक एमएसपी पर बनी कमेटी की रिपोर्ट आ सकती है. सरकार एमएसपी खत्म नहीं करने वाली है. फसल विविधीकरण के आधार पर एमएसपी निर्धारण होगा. - बिनोद आनंद- सदस्य, एमएसपी कमेटी
जितना किसान हमसे जुड़ेगा हम उसकी लैब टेस्ट मुफ्त करा रहे हैं- कृषि उत्पाद निर्यातक अशोक सेठी
हमने किसानों को घर-घर जाकर शिक्षित किया है. हमने उनका विश्वास जीता है. इसी विश्वास के कारण उन्होंने हमारे कहने पर फसलें उगाई हैं. किसानों की आय 35-40 हजार रुपये प्रति एकड़ तक है. 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध से जरूर समस्याएं आई हैं. - कृषि उत्पाद निर्यातक अशोक सेठी
देश में 590 किस्म की फसलों की खेती की जा सकती है. किसानों को यह भी बताने की जरूरत है कि वे सिर्फ गाय पालने तक सीमित ना रहें. उसके दूध के प्रोडक्ट, गोबर से बनने वाले प्रोडक्ट के बारे में बताना होगा. किसान को प्रोड्यूसर से एक्पोर्टर बनना होगा- बिनोद आनंद- सदस्य, एमएसपी कमेटी
किसानों को बहुत सारी जमीन पर एकजुट होकर खेती करनी होगी- बिनोद आनंद, एमएसपी कमेटी के सदस्य
बासमती उत्पादन का पूरा श्रेय पंजाब और उसकी पांच नदी, नहरों को जाता है. देश के 86 जिलों में बासमती चावल उगाई जा रही है. हम चाहते हैं कि बासमती के और अच्छे बीज बाजार में आएं. पिछले 22 साल के इतिहास में 15.3 प्रतिशत वार्षिक ग्रोथ है. देश बासमती उत्पादन का 33 प्रतिशत एक्पोर्ट कर रहा है. विदेशों में एक ही खेत में कई फसलें होती है, कॉस्ट कम होती है. भारत में 52 लाख एकड़ में बासमती की खेती हो रही है. 25 लाख किसान इस खेती में शामिल हैं. लेकिन समस्या यह है कि देश में किसान छोटी जोत के हैं.- कृषि उत्पाद निर्यातक अशोक सेठी
1981 में पहली बार बासमती चावल दुबई में भेजा. 160 देशों में बासमती चावल जा रहा है. 10-15 प्रतिशत हर साल ग्रोथ है इस सेक्टर में. आज हमारी 45 लाख टन की एक्सपोर्ट है.- कृषि उत्पाद निर्यातक अशोक सेठी
भुकनवाला ने कहा कि जैसे शरीर में विटामिन और पोषक तत्वों की कमी होती है तो बीमारी हो जाती है. वैसे ही मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी होने से कई तरह के रोग लग जाते हैं. पोषक तत्वों की कमी की वजह से मिट्टी में असंतुलन बन गया है. एक शोध लेख में बताया गया है कि नाइट्रोजन, फास्फोरस के अत्यधिक प्रयोग से मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी हो रही है जिससे इंसानों में कुपोषण हो रहा है. इन सबके पीछे रासायनिक खादों का इस्तेमाल असली वजह है. दूसरी बड़ी वजह क्लाइमेट चेंज की है.
किसान तक के उद्घाटन कार्यक्रम में एसएमल लिमिटेड की डायरेक्टर आरएंडडी और आईपी कोमल साह भुकनवाला ने हिस्सा लिया. किसान तक समिट का प्रेजेंटिंग स्पॉन्सर एसएमएल है. कार्यक्रम में भुकनवाला ने कहा, आज स्वतंत्रता के 75 साल बाद देश ने खाद्य सुरक्षा प्राप्त कर ली है. गेहूं, धान से लेकर कई फलों और सब्जियों में हमारे देश ने आत्मनिर्भरता हासिल कर ली है. हालांकि कृषि क्षेत्र को कई चुनौतियों से सामना करना पड़ रहा है जिसमें सबसे अहम है जलवायु परिवर्तन. कृषि क्षेत्र की स्वास्थ्य चुनौती भी बड़ी है. देश की 40 परसेंट मिट्टी खराब हो चुकी है. इसका कारण है अधिक से अधिक कृषि और दूसरा कारण है रासायनिक खादों का बहुत अधिक प्रयोग.
इंडस्ट्री लेवल पर मछली का उत्पादन कम है. झींगा पालन में हमने अच्छी कामयाबी दर्ज की है . 10 लाख टन झींगा उत्पादन हो रहा है . यहां तक कि समुंदर में भी मछली पालन में हम कामयाब हुए हैं. पूरे देश में मछली पालन के लिए आठ इंस्टीट्यूट और 30 सेंटर हैं और हर साल 10000 किसानों को मुफ्त में ट्रेनिंग दी जा रही है. - जे के जेना
हमारे पास 20 वेटनरी डॉक्टर हैं. यूपी में प्रादेशिक डेरी उतना काम नहीं कर रही है. उन्नत नस्ल के ऊपर हम लोग काम कर रहे हैं .हम 300000 किसानों से दूध ले रहे हैं. हम एसबीआई के साथ मिलकर गोबर से बायो गैस प्लांट लगा रहे हैं. ₹50000 लागत की बायोगैस प्लांट को किसान को दे रहे हैं. हमारा लक्ष्य है कि जीरो कार्बन एमिशन पर काम करना बायोगैस प्लांट के माध्यम से रोटी बना सकता है और उसका सिलेंडर के महंगा होने से खर्च बचेगा. वही हम एसबीआई के साथ मिलकर एक और योजना पर काम कर रहे हैं जिन किसानों के पास जमीन नहीं है पैसा नहीं है उन्हें कैटल लोन 9 परसेंट की ब्याज दर पर दिल आ रहे हैं. अभी तक 200 करोड़ रुपए का लोन किसानों को दिला चुके हैं. अब तक आनंदा के माध्यम से 2000 लोगों को रोजगार दिया जा चुका है.पंजाब में सबसे ज्यादा रोजगार मिला है .यहां तक कि आनंदा युवकों को गाड़ी दे रही है और यह EMI आनंदा भर रही है.- आर एस दीक्षित फाउंडर आनंदा मिल्क