जानवरों को बेहोश करने के लिए इस पौधे के तेल से बनता है ट्रेंकुलाइजर, जानें डिटेल्स

जानवरों को बेहोश करने के लिए इस पौधे के तेल से बनता है ट्रेंकुलाइजर, जानें डिटेल्स

आइएचबीटी के साइंटिस्ट का कहना है कि इंडियन वैलेंटिना जटामांसी का पौधा प्राकृतिक रूप से हिमलाय के क्षेत्र में भी होता है. लेकिन आईएचबीटी के कैम्पस में भी इसे उगाया जा रहा है. साथ ही किसानों को इसकी खेती करने के लिए भी दिया गया है. हरे ताजा पौधे से लेकर इसकी सूखी हुई जड़ तक से कई तरह के तेल निकाले जाते हैं. 

आईएचबीटी में इंडियन वैलेंटिना जटामांसी के पौधे लगे हैं. फोटो क्रेडिट-किसान तकआईएचबीटी में इंडियन वैलेंटिना जटामांसी के पौधे लगे हैं. फोटो क्रेडिट-किसान तक
नासि‍र हुसैन
  • नई दिल्ली,
  • Jul 13, 2023,
  • Updated Jul 13, 2023, 12:25 PM IST

बहुत सारी वजहों के चलते कई बार जंगली जानवरों को जिंदा पकड़ना होता है. कभी जानवरों का इलाज करने तो कभी आबादी के बीच घुस आने के चलते उन्हेंं जिंदा पकड़ना जरूरी हो जाता है. ऐसा करने के लिए जानवरों को बेहोश किया जाता है. खास बात ये है कि उन्हें बेहोश करने के लिए एक खास गन (ट्रेंकुलाइजर गन) की मदद से एक इंजेक्शन दिया जाता है. इसी इंजेक्शन को ट्रेंकुलाइजर कहते हैं. ये एक खास तरह के पौधे इंडियन वैलेंटिना जटामांसी से तैयार होता है. ये पौधा 15 सौ मीटर से लेकर तीन हजार मीटर तक की ऊंचाई यानि हिमालय के क्षेत्र में उगता है. 

अवैध तरीके से तोड़ने और इसकी तस्करी के चलते ये पौधे बहुत ही कम रह गए हैं. इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन बायोरिसोर्स टेक्नोलॉजी (आईएचबीटी), पालमपुर, हिमाचल प्रदेश ने इनकी संख्या  बढ़ाने और कमर्शियल रूप से इसकी खेती को बढ़ावा देने के लिए एक अभियान चलाया हुआ है.

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परच्यूली अल्कोहल से बनता है ट्रेंकुलाइजर

आईएचबीटी के साइंटिस्ट डॉ. प्रोवीन कुमार पाल ने किसान तक को बताया कि इंडियन वैलेंटिना जटामांसी के पौधे से दो तरह से तेल निकाला जाता है. एक तब जब वो एक साल का होता है और दूसरा तब जब वो दो साल का होता है. जब पौधा दो साल का होता है तो उसकी जड़ को सुखाकर उसमे से तेल निकाला जाता है. लेकिन इस एक तेल में कई तरह के कंपोनेंट होते हैं. इसी में से एक होता परच्यूली अल्कोहल. इसकी डिमांड फाइटो फार्मा कंपनियों में बहुत होती है.

इसी से ट्रेंकुलाइजर और उसी तरह की दूसरी दवाईयां बनाई जाती हैं. अच्‍छी बात ये है कि कंपनियां इसकी जड़ में से निकलने वाले तेल में 30 फीसद तक परच्यूली अल्कोहल की डिमांड करती हैं. लेकिन हमारे यहां हिमाचल प्रदेश में होने वाले इस पौधे के तेल में 50 फीसद और उससे भी ज्यादा परच्यूली अल्कोहल होता है. इसलिए इसके रेट भी अच्छे मिलते हैं.

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75 हजार रुपये लीटर बिकता है एक साल के पौधे का तेल 

डॉ. प्रोवीन पाल का कहना है कि जब इंडियन वैलेंटिना जटामांसी का पौधा एक साल का होता है तो इसकी जड़ में से तेल निकलना शुरू हो जाता है. ये तेल परफ्यूम, इत्र और कॉस्मेटिक इंडस्ट्री में बहुत इस्तेमाल होता है. इसकी कीमत बाजार में 70 से लेकर 75 हजार रुपये प्रति लीटर तक होती है.

पहले परेशानी ये थी कि बड़ी मात्रा में इसे संभालकर नहीं रख सकते थे. लेकिन फिर बाद में इसकी जड़ को सुखाकर रखा जाने लगा. क्योंकि इसके तेल की बाजार में डिमांड भी बहुत है और रेट भी अच्छे मिलते हैं तो इसलिए किसानों को जटामांसी की खेती के लिए प्रेरित किया जा रहा है.  

 

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