देश की दूसरी महिला राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू बुधवार को पहली बार तीन दिवसीय दौरे पर बिहार आ रही हैं. अपने दौरे के पहले दिन वह बिहार सरकार का चौथा कृषि रोड मैप लॉन्च करेंगी. द्रौपदी मुर्मू पहली महिला राष्ट्रपति होंगी, जो कृषि रोड मैप का उद्घाटन करेंगी. राज्य सरकार द्वारा तीन कृषि रोड मैप सफलतापूर्वक क्रियान्वित किये गये हैं. राष्ट्रपति आज दोपहर 12 बजे से 1 बजे के बीच पटना के बापू सभागार से आने वाले पांच वर्षों के चौथे कृषि रोड मैप का औपचारिक उद्घाटन करेंगी. इस कार्यक्रम के दौरान राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और विभिन्न विभागों के मंत्री मौजूद रहेंगे. पशु एवं मत्स्य संसाधन, ऊर्जा, राजस्व एवं भूमि सुधार, पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन, उद्योग, गन्ना, जल संसाधन, लघु जल संसाधन, ग्रामीण विकास एवं ग्रामीण कार्य विभाग द्वारा किसानों की बेहतरी के लिए कृषि रोड मैप के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों के विकास का ग्राफ खींचा जाएगा.
राज्य में अब तक तीन कृषि रोड मैप के आधार पर काम हुआ है. चौथे कृषि रोड मैप के तहत सरकार 1 अप्रैल 2023 से 31 मार्च 2028 के बीच कृषि विभाग समेत 12 विभिन्न विभागों के विकास कार्यों पर करीब 162268.78 करोड़ रुपये खर्च करने जा रही है. आज बुधवार की सुबह राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू करीब 11.30 बजे पटना एयरपोर्ट पहुंचेंगी. वहां से वह सड़क मार्ग से गांधी मैदान के सामने स्थित बापू सभागार में राज्य के विभिन्न जिलों से आए करीब 1500 किसानों और 800 जीविका दीदियों की मौजूदगी में चौथे कृषि रोड मैप का उद्घाटन करेंगी. वह अपने तीन दिवसीय दौरे के तहत अगले दिन 19 अक्टूबर को सीयूएसबी, गया में दीक्षांत समारोह में भाग लेंगी. 20 अक्टूबर को वह मोतिहारी के महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में भाग लेंगी.
राज्य सरकार चौथे कृषि रोड मैप के माध्यम से कृषि को आधुनिकीकरण से जोड़ने पर काम करेगी. इसके साथ ही जलवायु अनुकूल कृषि, जैविक खेती, कृषि बाजार व्यवस्था में सुधार, बीज और कृषि अनुसंधान में राज्य को आत्मनिर्भर बनाने पर जोर दिया जाएगा. नई नर्सरी नीति से डिजिटल कृषि को बढ़ावा मिलेगा और कृषि उपकरणों के लिए कस्टम हायरिंग सेंटर स्थापित किया जाएगा. सरकार अगले पांच वर्षों में मक्के की खेती को लेकर एक विशेष योजना के जरिए काम करने जा रही है. जलवायु अनुकूल खेती को बढ़ावा देने के लिए हर साल करीब डेढ़ लाख किसानों को प्रशिक्षण देने की योजना है. वहीं, राज्य सरकार डिजिटल कृषि के क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक और ड्रोन और सेंसर तकनीक के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए काम करेगी.
चौथे कृषि रोड मैप के तहत पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग द्वारा कई प्रकार के लक्ष्य प्रस्तावित किये गये हैं. जिसके तहत 2020-21 में अंडा उत्पादन 30132.16 लाख प्रति वर्ष हुआ. जिसे वर्ष 2028 तक बढ़ाकर 60745 लाख कर दिया जाएगा. इसके लिए लेयर फर्मिंग को बढ़ावा दिया जाएगा. प्रस्तावित लक्ष्य मांस का वार्षिक उत्पादन 397.03 हजार टन से बढ़ाकर हर साल 501 हजार टन करना है. इससे मछली उत्पादन 7.62 लाख मीट्रिक टन से बढ़कर 12.70 लाख मीट्रिक टन हो जायेगा. 2020-21 में जहां दूध का उत्पादन 11501.581 हजार मीट्रिक टन हुआ. वर्ष 2028 तक इसे बढ़ाकर 15990 हजार मीट्रिक टन किया जाएगा. सरकार मुर्गी पालन, बकरी पालन, गाय पालन को बढ़ावा देने के लिए नई और पुरानी योजनाओं के जरिए किसानों को अनुदान देगी. लगभग सभी जिलों में आधुनिक पशु चिकित्सालय विकसित किए जायेंगे.
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इतना ही नहीं राज्य सरकार द्वारा 17 इथेनॉल उत्पादन इकाइयों को मंजूरी दी गई है. इसमें कुछ इथेनॉल उत्पादन इकाइयां भी काम कर रही हैं. चौथे कृषि रोड मैप के तहत उद्योग विभाग मक्का प्रसंस्करण के माध्यम से प्रति वर्ष 57 करोड़ लीटर इथेनॉल का उत्पादन करेगा. जबकि इथेनॉल नीति के तहत बिहार को प्रति वर्ष 36 करोड़ लीटर उत्पादन का लक्ष्य मिला है. इससे पांच वर्षों के दौरान मक्का से पशु आहार के क्षेत्र में 50 पशु इकाइयां स्थापित की जाएंगी. इस दौरान मक्के से स्टार्च के क्षेत्र में काम किया जायेगा. नई चावल मिलें खोली जाएंगी, मुख्यमंत्री उद्यमी योजना के तहत हर साल 2000 खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां स्थापित की जाएंगी. इसके साथ ही अन्य विभागों द्वारा भी किसानों एवं ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए कार्य किया जायेगा.
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पिछले एक दशक में बिहार ने कृषि और पशुपालन के क्षेत्र में काफी सफलता हासिल की है. बिहार को अब तक कुल 06 कृषि उत्पादों के लिए जीआई टैग मिल चुका है. जिसमें भागलपुरी जर्दालू, कतरनी चावल, मगही पान, बिहार की शाही लीची और मिथिला मखाना, मार्चा धान शामिल हैं. इसके साथ ही लीची, शहद, चावल और गेहूं, मक्का और सब्जियों के उत्पादन में भी बिहार शीर्ष दस राज्यों में शामिल है. मांस, अंडे, मछली और पशुपालन के क्षेत्र में काफ़ी प्रगति हुई है.
तीन कृषि रोड मैप लागू करने के बाद बिहार सरकार अपनी पीठ थपथपाती है और कहती है कि रोड मैप ने किसानों के लिए समृद्धि का रास्ता खोल दिया है. लेकिन केंद्र सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, 2018-19 की एनएसएस रिपोर्ट कहती है कि बिहार उन राज्यों में से है, जहां ग्रामीण इलाकों के लोगों की प्रति माह आय सबसे कम है. यहां प्रति व्यक्ति मासिक आय लगभग 7,542 रुपये है. झारखंड का 4,895 रुपये, उड़ीसा का 5,112 रुपये, पश्चिम बंगाल का 6762 रुपये प्रति माह है. इन आंकड़ों के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए चौथे कृषि रोड मैप के जरिए किसानों और ग्रामीण इलाकों के लोगों की आय बढ़ाना एक बड़ी चुनौती होगी.