गोरखपुर का जिक्र आते ही लोगों के जेहन में वहां की कई ऐतिहासिक और खाने-पीने वाली जगहों की यादें ताजा हो जाती है, लेकिन गोरखपुर की एक अपनी अलग ही पहचान रही है. कुछ ऐसा ही इतिहास गोरखपुर के पनियाले का भी है. पनियाला एक ऐसा फल है जो लोगों को काफी पसंद आता है. यह दिखने में बिल्कुल जामुन की तरह और स्वाद में खट्टा-मीठा होता है, स्वाद की वजह से इसकी एक अलग ही पहचान है और ऐसा कहा जाता है पूरे भारत में सिर्फ गोरखपुर का ही पनियाला फेमस है. गोरखपुर के पनियाले की बात होती है तो पूरे देश में यहां का पनियाला सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है. जिले के लच्छीपुर के आसपास के गांव में पहले इस फल कई बगीचे थे.
लेकिन बढ़ते आबादी से लोगों को जमीन और घर की जरूरत पड़ी, तो लोगों ने इस फेमस फल के पेड़ को काट कर वहां घर बना लिया. जहां कभी पनियाला के पेड़ों के बगीचे होते थे. आज वहां मकानों का जंगल बन गया है. वहीं इस फेमस फल को जीआई टैग मिल गया है.
गोरखपुर के इस फेमस फल को अब जीआई टैग मिल गया है. पनियाला को उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से जीआई टैग के लिए अनुमति मिल चुकी है. इससे खत्म होते जा रहे पनियाले के पेड़ को एक नई संजीवनी मिलने जा रही है. जीआई टैग मिलने से किसानों को भी काफी फायदा होगा.
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जीआई टैग का मतलब बिल्कुल सामान्य सा है. इसका पूरा नाम Geographical Indication Tag होता है. यह टैग मिलने के बाद कोई भी वस्तु उस क्षेत्र या राज्य के लिए विशेष होती है. भारत में जीआई टैग की शुरुआत साल 2003 में हुई थी. जीआई टैग किसी वस्तु की विशेषता और उसकी दुर्लभ गुण (rare) को अच्छी तरह से जांचने परखने के बाद दिए जाने का प्रावधान है.
गोरखपुर विश्वविद्यालय में 2011 से 2018 के बीच बॉटनी विभाग में शोध करने पर पता चला कि पनियाला का फल गुणों से भरा हुआ है. शोध के अनुसार, इसके पत्ते, छाल, जड़ों और फलों में बैक्टीरिया से प्रतिरोधात्मक क्षमता होती है. पेट से जुड़े रोगों में पनियाला काफी लाभकारी होता है, लेकिन आज गोरखपुर का यह पनियाला कम होता नजर आ रहा है.