बुंदेलखंड, जहां पथरीली जमीन और पानी की कमी किसानों के लिए हमेशा एक चुनौती रही है, वहां अब एक नई उम्मीद की किरण दिख रही है. यहां बडे पैमाने में पाए जाने वाले छोटे और लोकल किस्म के बेर, जिनकी बाजार में ज्यादा मांग नहीं थी, वही बेर अब मध्य प्रदेश के जिला टीकमगढ़ की एक महिला की सोच के कारण किसानों की आय का नया जरिया बन सकता है. माडूमर गांव की रानी राणा ने लोकल देसी बेर से एक ऐसा स्वादिष्ट और सेहतमंद सॉफ्ट ड्रिंक बनाया है, जो न केवल लोगों को पसंद आ रहा है बल्कि बाजार में मौजूद कोल्ड ड्रिंक्स से भी हेल्दी है.
रानी राणा और उनके पति रमाकांत राणा के पास कभी मात्र 3 एकड़ कम उपजाऊ जमीन थी और रोजगार का कोई निश्चित साधन नहीं था. उनके गांव में बेर के अनगिनत पेड़ थे, लेकिन उनसे कोई खास आमदनी नहीं होती थी. उन्होंने बेर को सुखाकर बेचने की कोशिश की पर मुनाफा सीमित था. साल 2018 में रानी राणा 'तुलसी स्वयं सहायता समूह' से जुड़ीं. समूह की महिलाओं को कृषि विज्ञान केंद्र टीकमगढ़ में बेर का जूस बनाने का प्रशिक्षण मिला. लगभग 20 महिलाओं ने यह प्रशिक्षण लिया, लेकिन किसी ने इस पर गंभीरता से काम नहीं किया. रानी राणा ने इस अवसर को पहचाना और लगातार प्रयास कर बेर का स्वादिष्ट और पौष्टिक जूस बनाना सीख लिया.
रानी द्वारा बनाई गई इस ड्रिंक को जब टीकमगढ़ के कृषि अधिकारियों ने चखा, तो उन्हें इसकी गुणवत्ता का अंदाजा हुआ. एक परियोजना के तहत रानी राणा को तकनीकी मदद दिलाई गई. कृषि वैज्ञानिकों ने इस नेचुरल ड्रिंक को छोटी बोतलों में पैक करने और बेचने में सहायता की. रानी राणा ने अपनी तकनीक में लगातार सुधार किया और नाबार्ड के मेलों, भोपाल, टीकमगढ़ और झांसी में अपने बेर के जूस को बेचा. लोगों को यह खूब पसंद आया. कृषि विज्ञान केंद्र टीकमगढ़ ने उनकी रुचि को देखते हुए उन्हें जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय से जोड़ा. दिसंबर 2024 में रानी राणा ने विश्वविद्यालय में 30 दिन का गहन प्रशिक्षण प्राप्त किया, जहां उन्होंने बेर बैरी नेचुरल हेल्थ ड्रिंकिंग बनाना, पैकेजिंग करना और उसकी गुणवत्ता में सुधार करना सीखा.
अब रानी एक किलो देसी बेर से लगभग 1 लीटर जूस बनाती हैं. सबसे पहले जबलपुर में जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित संभाग स्तरीय मिनट्स मेल किसान मेले में उनके 'बेरी नेचुरल हेल्थ ड्रिकिंग' का स्टॉल लगाया गया, जो इतना लोकप्रिय हुआ कि मेले में उनके जूस को खरीदने वालों की भीड़ लगी रही. रानी राणा 200 मिली लीटर की बोतल को 30 रुपये में बेचती हैं. लोगों को यह खूब पसंद आ रहा है, क्योंकि यह गर्मी में ताजगी देने के साथ-साथ सेहत के लिए भी फायदेमंद है. रानी राणा के पति का कहना है कि देसी बेर का यह जैविक पेय स्वाद और सेहत दोनों में बाजार के हानिकारक सॉफ्ट ड्रिंक्स से कहीं बेहतर है. यह नेचुरल हेल्थ ड्रिंक आयरन, विटामिन सी, विटामिन बी1, प्राकृतिक शक्कर, फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर है, जो शरीर को तुरंत ऊर्जा प्रदान करता है, पाचन तंत्र को सुधारता है और लू व गर्मी से राहत दिलाता है.
रानी राणा ने कृषि वैज्ञानिकों के माध्यम से इस ड्रिंक की लैब में टेस्टिंग भी करवाई है. लैब रिपोर्ट में विटामिन सी, आयरन और अन्य महत्वपूर्ण मिनरल्स की पुष्टि हुई है. जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने लैब रिपोर्ट तैयार करवाने में मदद की. रानी राणा के पति रमाकांत राणा बताते हैं कि इस ड्रिंक को बनाने की प्रक्रिया ऐसी है कि इसे कई दिनों तक खुले में रखने पर भी यह खराब नहीं होता, क्योंकि इसमें किसी भी तरह का प्रिजर्वेटिव इस्तेमाल नहीं किया गया है. उनका दावा है कि यह सॉफ्ट ड्रिंक सेहत के लिए फायदेमंद है. जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के मार्गदर्शन में रानी राणा ने 'मान्यता नेचुरल फूड प्रोसेसिंग प्राइवेट लिमिटेड' कंपनी बनाई और FSSAI रजिस्ट्रेशन, उद्यम रजिस्ट्रेशन आदि प्राप्त किए. विश्वविद्यालय द्वारा रानी राणा का चयन स्टार्टअप इंडिया में भी किया गया है, जिसके अंतर्गत भारत सरकार द्वारा उन्हें सहायता मिलेगी. लेकिन अभी तक मदद की दरकार है .
आठवीं पास होने के बावजूद रानी राणा ने अपने निरंतर प्रयास से यह मुकाम हासिल किया है. हर साल वह किसानों से बेर खरीदकर उनकी आय बढ़ाने में भी योगदान दे रही हैं. इस देसी ड्रिंक को एग्री स्टार्टअप योजना के तहत बनाया गया है, जिसमें जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने भी अहम भूमिका निभाई है. रानी राना की यह सफलता बुंदेलखंड के उन किसानों के लिए एक बड़ा संदेश है जो अभी तक बेर जैसे गौण फलों को कमतर आंकते थे. रानी राणा ने न केवल अपने लिए रोजगार का नया रास्ता बनाया है, बल्कि अपने क्षेत्र के किसानों को भी एक नई दिशा दिखाई है, जहां देसी बेर अब उनकी समृद्धि का आधार बन सकता है. यह 'बेर क्रांति बुंदेलखंड के किसानों के जीवन में निश्चित रूप से मिठास घोलने वाली है.
ये भी पढ़ें-