मॉनसून की देरी ने बढ़ाई क‍िसानों की परेशानी,कलेक्टर ने किसानों से की ये अपील 

मॉनसून की देरी ने बढ़ाई क‍िसानों की परेशानी,कलेक्टर ने किसानों से की ये अपील 

मॉनसून में हो रही देरी के चलते महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले के कलेक्टर किसानों से अपील कर रहे हैं कि जब तक बुवाई योग बारिश नहीं हो जाती तब तक बुवाई में जल्दबाज़ी न करें. 

मॉनसून में देरी के कारण खरीफ सीजन की बुवाई पर पड़ा असर मॉनसून में देरी के कारण खरीफ सीजन की बुवाई पर पड़ा असर
सर‍िता शर्मा
  • Kolhapur,
  • Jun 21, 2023,
  • Updated Jun 21, 2023, 4:15 PM IST

महाराष्ट्र के किसानों को इस साल मॉनसून की देरी के कारण खरीफ सीजन की फसलों की बुवाई करने में देरी हो रही है. राज्य के किसानों का कहना हैं कि अब तक बारिश नहीं होने से समय पर बुवाई नहीं हो रही हैं. खरीफ सीजन में कैसे खेती हो पायेगी इसे लेकर किसान चिंता में है.मॉनसून में हो रही देरी के चलते कई जिलों में कृषि विभाग की तरफ से किसानों से अपील की जा रही है कि जब तक बुवाई योग बारिश न हो तब तक बुवाई न करें. वहीं कोल्हापुर जिले में भी जिला कलेक्टर राहुल रेखावार ने किसानों से अपील कर रहे हैं कि जब 65 मिमी से अधिक बारिश हो और जब तक मिट्टी में पर्याप्त नमी न हो, तब तक बुवाई न करें.  

जिले में जून 2023 के लिए औसत वर्षा 367.90 मिमी का अनुमान है. लेकिन 19 जून तक केवल 18.30 मिमी यानि सिर्फ 5 प्रतिशत बारिश दर्ज की गई है. बारिश नहीं होने से मिट्टी में पर्याप्त नमी नहीं हो पा रही है. किसानों का कहना हैं कि आधा जून बीत चुका है लेकिन उचित बारिश नहीं हो रही है. अगर कुछ दिनों में बुवाई योग बारिश नहीं हुई तो आगे कैसे बुवाई कर पाएंगे. कई जिलों में जिन किसानों के पास पर्याप्त पानी था उन्होंने बुवाई कर ली है. लेकिन बारिश में हो रही देरी के चलते उन्हें भी डर सता रहा है कि कही दोबारा बुवाई न करना पड़े. जिला कलेक्टर का कहना हैं कि कृषि योग्य क्षेत्रों में सोयाबीन, मूंगफली की बुवाई में देरी हो सकती है. पानी की कमी से गन्ने की फसलों की वृद्धि पर असर पड़ सकता है. इसके साथ-साथ सब्जी की फसलों और फलो के उत्पादन पर भी असर पड़ने की संभावना है. 

किसानों को होगा भारी नुकसान 

कोल्हापुर जिले के खरीफ सीजन में बुवाई का सामान्य क्षेत्र 1 लाख 92 हजार 633 हेक्टेयर से अधिक  है. इसमें प्रमुख फसलों के रूप में चावल, रागी, मूंगफली और सोयाबीन शामिल हैं. गत वर्ष बुवाई 2023-24 के खरीफ सीजन के लिए 1 लाख 88 हजार है.पश्चिम के कुछ तालुकों में धान भी बुवाई जाती हैं. जिले के शिरोल हाटकनंगले तालुका में सोयाबीन और मूंगफली की फ़सलें उपलब्ध पानी पर बोई जाती हैं. वहीं 14 जून तक सिर्फ 12 हजार 519 हेक्टेयर क्षेत्र में बुवाई की जा चुकी है. जिला अधीक्षक कृषि अधिकारी दत्तात्रेय दिवेकर ने बताया कि औसत क्षेत्रफल का मात्र 7 प्रतिशत ही बोया गया है.दूसरी ओर जिले में खड़ी फसलें खतरे में हैं क्योंकि सिंचाई विभाग लगभग सभी प्रमुख नदियों में पानी की योजना के लिए डायवर्जन का खेल खेल रहा है.सबसे ज्यादा नुकसान गन्ने की फसल को हो रहा है.

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जिला कलेक्टर ने की आपिल 

कोल्हापुर जिले के कलेक्टर राहुल रेखावार ने किसानों से अपील की है कि जब 65 मिमी से अधिक बारिश हो और जब तक मिट्टी में पर्याप्त नमी न हो, तब तक बुवाई न करें. उन्होंने आगे कहा कि अगर किसान अभी बुवाई करते है उन्हें नुकसान हो सकता हैं. रेखावार का कहना है कि जिन किसानों ने पहले ही बुवाई कर ली हैं वो बारिश का इंतज़ार करें. इस साल खरीफ की मुख्य फसलों जैसे सोयाबीन, कपास प्याज़ की बुवाई में देरी हो सकती हैं.


 

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