हरे धनिया की खेती बारिश के दिनों में काफी फायदेमंद होती है. क्योंकि गर्मियों के मुकाबले बरसात के दिनों में इसकी मार्केट में आवक बहुत कम होती है. एक हेक्टेयर में लगभग 10 क्विंटल तक हरी धनिया प्राप्त होती है. ऐसे में किसान इसकी खेती से अच्छी कमाई कर सकते हैं. अगर किसान अगस्त में धनिया की खेती करते हैं तो इसकी खेती से बहुत अधिक मुनाफा कमा सकते हैं. बरसात के दिनों में हरी धनिया की डिमांड इतनी अधिक हो जाती है. महाराष्ट्र में किसान ने जुलाई में हारा धनिया बेच कर 2 लाख रूपये का रेकॉर्ड भाव कमाया है. अगस्त महीने में धनिये की खेती करने के लिए जून, जुलाई के महीने में ही खेतों की गहरी जुताई करके छोड़ देना चाहिए.
भारत में धनिया की खेती मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, आंध्रप्रदेश और उत्तर प्रदेश राज्यों में की जाती है. इसके अंदर अनेक प्रकार के उपयोगी तत्व कैल्शियम, आयरन, फाइबर, विटामिन-ए, सी, कैरोटिन और कॉपर पाए जाते है. बाज़ार में हरे धनिये की हमेशा मांग बनी रहती है.खरीफ सीजन शुरू हो चुका हैं ऐसे में किसान हरी धनिया की सही तरीके से खेती करते हैं तो अच्छा उत्पादन और मुनाफा दोनों कमा सकते हैं.
धनिया की खेती को उचित जलनिकासी वाली किसी भी उपजाऊ भूमि में किया जा सकता है. इसकी खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी को उपयुक्त माना जाता है. अधिक पानी वाले स्थान में इसकी खेती के लिए काली मिट्टी की आवश्यकता होती है.
धनिया की इस किस्म में बीजो की गुणवत्ता काफी अच्छी पाई जाती है. इसके बीजो से सुगन्धित तेल की मात्रा भी अधिक पाई जाती है. इस तरह की धनिया के लिए आर सी आर 435, आरसीआर 684, और सिम्पो एस 33 अच्छी किस्में मानी जाती हैं.
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मुख्य खेत में धनिया की बुआई के 50 दिन के बाद पौधे मंडियों में बेचने के लिए तैयार हो जाते हैं. अगर आपको दूर मंडियों में इसको बेचना हो तो धनिया की कटाई हमेशा शाम को सूर्यास्त के बाद करना चाहिए. और यदि आपके पास ही सब्जी मंडी है तो आप सुबह में इसकी कटाई करके मंडियों में ले जाकर बेच सकते हैं.
जो किसान बरसात में धनिया की खेती करते हैं उनकी फसल अक्टूबर महीने में मंडियों में बेचने के लायक तैयार हो जाती है. अगस्त महीने में धनिया की अगेती खेती की जाती है. इस प्रकार अक्टूबर महीने में जब धनियां की कटाई होती है तो उस समय मार्केट में इसकी डिमांड इतनी अधिक होती है की मंडियों में यह 200 रूपये/किलो से लेकर 250 रुपये प्रति किलो के थोक के भाव से बिकती है. जिससे किसान को धनिया की खेती में उम्मीद से भी ज्यादा लाभ होता है.