रायदिघी, दक्षिण 24 परगना: शादी का मंच सजा था, शादी में दूल्हा-दुल्हन सभी शामिल हुए थे. रिवाज के मुताबिक सारा काम हुआ, लेकिन दूल्हा-दुल्हन कौन थे? सुनकर आप हैरान रह जाएंगे. पर्यावरण संरक्षण के लिए ग्रामीणों ने बीते दिन पीपल-बरगद का विवाह कराया. क्या आप सुनकर हैरान हैं? दरअसल, रायदिघी विधानसभा के दक्षिण जायकृष्णापुर नारायणतला में नॉन पेइंग स्कूल के परिसर में शुक्रवार सुबह से बरगद के पेड़ और पीपल के पेड़ का विवाह हुआ.
वहीं, मौके पर बेटी बरगद के पिता कन्नैलाल शिकारी व पीपल के पिता कालीपाद सामंत उपस्थित थे और रिवाज के मुताबिक सुबह से ही इस शादी समारोह में सभी गांव वाले मौजूद थे.
मूल रूप से ग्रामीणों का दावा है कि हिंदू शास्त्रों के अनुसार पेड़ देवता हैं और उनकी शादी की रस्मों का भी जिक्र है. साथ ही क्षेत्र के लोगों का दावा है कि कभी इस नॉन पेइंग स्कूल के परिसर में एक पेड़ हुआ करता था, लेकिन उस पेड़ को काट दिया गया, इसके बाद बरगद और पीपल का पेड़ फिर से उसी स्थान पर उग आया.
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इसके अलावा, उनका दावा है कि जैसे-जैसे दुनिया ग्लोबल वार्मिंग के रास्ते पर आगे बढ़ रही है, पूरी दुनिया को खड़े होने और अधिक से अधिक पेड़ लगाने की जरूरत है और पीपल और बरगद की शादी के माध्यम से वे हर इंसान को यह संदेश देना चाहते हैं, पेड़ लगाएं और जीवन बचाएं.
बरगद के पेड़ के पिता कन्नैलाल शिकारी ने कहा, “हमने हिंदू शास्त्रों में देखा है कि बरगद के पेड़ और पीपल के पेड़ का विवाह समाज का भला करता है. हर कोई अच्छा है. क्षेत्र में खेती, पेड़ बहुत अच्छे हैं. इसलिए हमने यह पहल की है. इस शादी में गांव के लोगों की सहज भागीदारी होती है."
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सुब्रत शिकारी, उद्यमी ने कहा, “एक तरफ जहां हिंदू धर्मग्रंथों में इस विवाह का उल्लेख है, जैसे-जैसे ग्लोबल वार्मिंग बढ़ रही है, इन दो पेड़ों से शादी करके हम अच्छी तरह से रहने के लिए पेड़, पेड़ लगाने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं. ताकि क्षेत्र में कोई पेड़ न काटे. इसके अलावा, यह पहल बिना पेड़ों को काटे उस प्रोत्साहन को देने के लिए है.