Rajasthan Election Result: टोंक से सचिन पायलट जीते, बीजेपी प्रत्याशी अजीत मेहता को हराया

Rajasthan Election Result: टोंक से सचिन पायलट जीते, बीजेपी प्रत्याशी अजीत मेहता को हराया

“सत्य परेशान हो सकता है, पराजित नहीं” जुलाई 2020 में सचिन पायलट की ओर से किए गए एक लाइन के ट्वीट में ही सचिन पायलट का पूरा राजनीतिक जीवन समेटा जा सकता है. कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे राजेश पायलट के बेटे सचिन पायलट दूसरी बार प्रदेश की टोंक सीट से किस्मत आजमा रहे हैं.

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माधव शर्मा
  • Jaipur,
  • Dec 03, 2023,
  • Updated Dec 03, 2023, 4:14 PM IST

टोंक सीट से कांग्रेस प्रत्याशी सचिन पायलट ने जीत दर्ज की है. उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार अजीत मेहता को हराया है. पायलट ने मेहता को 29475 वोटों से हरा दिया. पायलट लगातार इस सीट से जीतते रहे हैं. इस बार भी तमाम मतभेदों के बीच उन्होंने जीत दर्ज की है. “सत्य परेशान हो सकता है, पराजित नहीं” जुलाई 2020 में सचिन पायलट की ओर से किए गए एक लाइन के ट्वीट में ही सचिन पायलट का पूरा राजनीतिक जीवन समेटा जा सकता है. कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे राजेश पायलट के बेटे सचिन पायलट दूसरी बार प्रदेश की टोंक सीट से किस्मत आजमा रहे हैं. कांग्रेस सहित उन्हें भी पूरी उम्मीद है कि वे ये चुनाव जीत जाएंगे. भाजपा ने उनके सामने अजीत मेहरा को उतारा है. पायलट के पास करीब 6 करोड़ रुपये की संपत्ति है और उन्होंने अपना व्यवसाय कृषि, वेतन और ब्याज को बताया है.

पायलट का राजनीतिक सफर

सचिन पायलट के पिता राजेश पायलट कांग्रेस सरकार में केन्द्रीय मंत्री थे. साल 2000 में एक सड़क हादसे में उनकी मौत हो गई. उनकी मौत के बाद पायलट परिवार बिखर सा गया. पिता की सीट पर सचिन की मां रमा पायलट लोकसभा सांसद बनी. बाद में कांग्रेस हाईकमान ने मात्र 26 साल की उम्र में सचिन पायलट को 2004 के लोकसभा चुनाव में उतार दिया. अपना पहला चुनाव पायलट ने सवा लाख वोटों के अंतर से जीता था. वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में पायलट दूसरी बार लोकसभा सांसद चुने गए. यूपीए शासन में उन्हें केन्द्रीय मंत्री भी बनाया गया. वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों में मोदी लहर के दौरान पायलट को हार का सामना करना पड़ा. 

गहलोत से बगावत के कारण विवादों में आए पायलट

साल 2013 में कांग्रेस की राजस्थान में हुई बुरी हार के बाद पायलट को पीसीसी अध्यक्ष बनाया गया. इन चुनावों में कांग्रेस महज 21 सीटों पर सिमट गई थी. पायलट ने राजस्थान में संघर्ष किया और 2018 में कांग्रेस को वापस सत्ता में ले आए. ऐसा दावा पायलट की ओर से लगातार किया जाका है. सत्ता में आने के बाद सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने की मांग उठी. कहीं ना कहीं सचिन भी यह चाहते थे, लेकिन सत्ता का शीर्ष गहलोत के सिर सजाया गया. पायलट को उप-मुख्यमंत्री पद से ही संतोष करना पड़ा. वे डेढ साल तक उपमुख्यमंत्री पद पर रहे.

मुख्यमंत्री नहीं बन पाने का मलाल पायलट को था. उनका सब्र जुलाई 2020 में जवाब दे गया. उन्होंने अपने समर्थित विधायकों के साथ बगावत कर दी. राजस्थान छोड़कर हरियाणा के मानेसर होटल में चले गए. कई दिनों तक वहीं रहे और पार्टी आलाकमान से मिलने की जिद करने लगे. आखिर में पायलट का दांव सफल नहीं हुआ और अगस्त 2020 में उन्हें वापस लौटना पड़ा. गहलोत और पायलट की इसी अदावत के बाद पायलट ने वह ट्वीट किया था, जिसका जिक्र हमने इस खबर की शुरूआत में किया था. 

हालांकि पायलट और गहलोत के बीच का मनमुटाव यहीं खत्म नहीं हुआ. अप्रैल 2023 में एक बार फिर पायलट ने गहलोत खिलाफ मोर्चा खोल दिया और जयपुर में एक दिन का अनशन किया. पायलट ने आरोप लगाया कि गहलोत पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के साथ मिले हुए हैं. उन्होंने गहलोत के खिलाफ अजमेर से लेकर जयपुर तक जन संघर्ष पद यात्रा निकाली और प्रदेश व्यापी आन्दोलन की चेतावनी भी दी. हालांकि इतनी खिलाफत के बाद भी पायलट कुछ ज्यादा हासिल नहीं कर सके. 

पायलट का जन्म, शिक्षा और निजी जीवन

सचिन पायलट का जन्म 7 सितंबर 1977 में उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में हुआ. पायलट ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से अंग्रेजी साहित्य में ग्रेजुएशन की. उन्होंने अमेरिकन मल्टीनेशनल कारपोरेशन जनरल मोटर्स में काम भी किया है. बाद में पायलट ने अमेरिका के पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय से बिजनेस की पढ़ाई की. इसी दौरान सचिन की मुलाकात जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला की बेटी सारा से हुई. दोनों ने दोस्ती के बाद शादी कर ली. पायलट के एक बेटा और एक बेटी हैं. हालांकि इन चुनावों के हलफनामे में पायलट ने खुद को तलाकशुदा बताया है. 


 

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