Rajasthan Election Result: लक्ष्मणगढ़ सीट से गोविंद डोटासरा जीते, 18970 वोटों से सुभाष महरिया को दी मात

Rajasthan Election Result: लक्ष्मणगढ़ सीट से गोविंद डोटासरा जीते, 18970 वोटों से सुभाष महरिया को दी मात

“नाथी का बाड़ा है क्या?” अपने एक वाक्य से विख्यात और कुख्यात हुआ ये नेता आज राजस्थान की राजनीतिक परिदृश्य में बड़े चेहरों में शुमार है. ये नाम है गोविंद सिंह डोटासरा का. जो फिलहाल राजस्थान कांग्रेस यानी पीसीसी के चीफ हैं. राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 में सबसे चर्चित सीट के उम्मीदवार गोविंद सिंह डोटासरा रहे हैं. सीकर जिले के लक्ष्मणगढ़ से कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार डोटासरा ने बहुत जल्दी ही राज्य स्तर पर बड़े नेता के तौर पर अपनी पहचान बनाई है.

Govind Singh DotasraGovind Singh Dotasra
माधव शर्मा
  • Jaipur,
  • Dec 03, 2023,
  • Updated Dec 03, 2023, 6:51 PM IST

लक्ष्मणगढ़ सीट से गोविंद सिंह डोटासरा की जीत हुई है. उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी सुभाष महरिया को 18 हजार से अधिक वोटों से हराया. “नाथी का बाड़ा है क्या?” अपने एक वाक्य से विख्यात और कुख्यात हुआ ये नेता आज राजस्थान की राजनीतिक परिदृश्य में बड़े चेहरों में शुमार है. ये नाम है गोविंद सिंह डोटासरा का. जो फिलहाल राजस्थान कांग्रेस यानी पीसीसी के चीफ हैं. राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 में सबसे चर्चित सीट के उम्मीदवार गोविंद सिंह डोटासरा रहे हैं. सीकर जिले के लक्ष्मणगढ़ से कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार डोटासरा ने बहुत जल्दी ही राज्य स्तर पर बड़े नेता के तौर पर अपनी पहचान बनाई है. छात्र राजनीति से अपना सफर शुरू कर वे राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर पहुंचे हैं. डोटासरा युवक कांग्रेस में कई पदों पर रहे हैं. 2005 में सबसे पहले उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर लक्ष्मणगढ़ से चुनाव लड़ा. वे लक्ष्मणगढ़ पंचायत समिति के प्रधान भी चुने गए. गहलोत सरकार ने 2018 में सरकार बनने के बाद उन्हें शिक्षा मंत्री का पद भी दिया. 

डीजे पर डांस और चुनाव प्रचार के कारण चर्चित रहे डोटासरा

इन विधानसभा चुनावों में डोटासरा का डांस सोशल मीडिया पर काफी वायरल रहा. उन्होंने अपना हर जगह चुनाव प्रचार डीजे के साथ किया. जहां डीजे की तेज धुनों पर वे थिरकते भी नजर आए हैं. कुलमिलाकर कहा जाए तो डोटासरा ने यह चुनाव बेहद मस्ती के साथ लड़ा है. 

पायलट की बगावत के बाद मिली डोटासरा को बड़ी जिम्मेदारी

जुलाई 2020 में सचिन पायलट की बगावत के बाद डोटासरा को पार्टी ने बड़ी जिम्मेदारी दी. इसके पीछे अशोक गहलोत का हाथ था. उन्हें पायलट के स्थान पर पीसीसी अध्यक्ष बनाया गया. इस पद पर वे आज भी हैं. डोटासरा को जाट वोटर्स को कांग्रेस की तरफ लाने के मकसद से पार्टी अध्यक्ष बनाया गया था. 

सख्त प्रशासक, आरएसएस पर सीधे अटैक कर चर्चा में आते रहे हैं डोटासरा

डोटासरा को बेहद सख्त मिजाज का नेता कहा जाता है. यह उनके भाषणों से भी पता चलता है. एक बार जब शिक्षा मंत्री के पद पर रहते हुए कुछ शिक्षक इनके पास ट्रांसफर की मांग लेकर आए तो इन्होंने कह दिया, “नाथी का बाड़ा है क्या”. इस बयान के बाद डोटासरा को विपक्षी पार्टियों ने घेर लिया. उनके सरकारी बंगले की दीवार पर भी यही वाक्य लिख दिया गया.

आज भी राजस्थान की राजनीति में डोटासरा का यह वाक्य गूंजता रहता है. इसके अलावा डोटासरा अपने भाषण में भाजपा और आरएसएस पर खुल कर बिना लाग-लपेट के हमला करते हैं. इसीलिए उनकी छवि बेहद स्पष्ट वक्ता की बनी है. 

शुरूआती जीवन, शिक्षा

डोटासरा का जन्म एक अक्टूबर 1964 को सीकर जिले के लक्ष्मणगढ़ में कृपाराम जी की ढाणी में हुआ. इनके पिता मोहन सिंह एक सरकारी अध्यापक थे. गोविंद सिंह डोटासरा ने राजस्थान यूनिवर्सिटी से बीकॉम और एलएलबी की डिग्री ली है. वे जाट समुदाय से आते हैं. जाटों का राजस्थान में करीब 83 सीटों पर प्रभाव है. चूंकि जाट परंपरागत रूप से बीजेपी का वोट माना जाता है. इसीलिए जाटों को साधने के लिए उन्हें कांग्रेस ने बड़ा पद दिया.


 

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