अमूल ने तेलंगाना में पांच LLPD की क्षमता के डेयरी प्लांट को स्थापित करने की घोषणा की

अमूल ने तेलंगाना में पांच LLPD की क्षमता के डेयरी प्लांट को स्थापित करने की घोषणा की

गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन लिमिटेड (GCMMF) ने 5 लाख लीटर प्रति दिन (LLPD) की क्षमता के साथ मिल्क प्रोसेसिंग प्लांट स्थापित करने के लिए हैदराबाद के पास वर्गल में भूमि की पहचान की है.

अमूल ने तेलंगाना में डेयरी प्लांट को स्थापित करने की घोषणा की, सांकेतिक तस्वीर अमूल ने तेलंगाना में डेयरी प्लांट को स्थापित करने की घोषणा की, सांकेतिक तस्वीर
क‍िसान तक
  • Noida ,
  • Apr 30, 2023,
  • Updated Apr 30, 2023, 2:57 PM IST

गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन लिमिटेड (GCMMF), अमूल के मार्केटर ने शनिवार को कहा कि उसने 5 लाख लीटर प्रति दिन (LLPD) की क्षमता के साथ मिल्क प्रोसेसिंग प्लांट स्थापित करने के लिए हैदराबाद के पास वर्गल में भूमि की पहचान की है. वहीं, आगामी प्लांट 18 GCMMF  मेंबर डेयरी यूनियनों में से एक, साबरकांठा जिला सहकारी दुग्ध संघ (सबर डेयरी) के माध्यम से किया जाएगा. शनिवार को GCMMF के प्रबंध निदेशक जयन मेहता ने हैदराबाद में फूड कॉन्क्लेव 2023 में भारतीय डेयरी उद्योग को प्रतिस्पर्धी बनाने पर एक पैनल चर्चा के दौरान कहा, “बहुत जल्द हम हैदराबाद से लगभग 50 किलोमीटर दूर वर्गल में 5 लाख लीटर का डेयरी प्लांट स्थापित करने जा रहे हैं. न्यू इंडस्ट्रियल प्रोसेसिंग एरिया में 25 एकड़ भूमि की पहचान की गई है जिसमें शानदार आधारभूत संरचना है. यह अत्याधुनिक प्लांट मिल्क, आइसक्रीम और अन्य मूल्य वर्धित उत्पादों को संसाधित करेगा.” 

दूध की खरीद तेलंगाना राज्य के डेयरी उत्पादकों से होगी. बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के अनुसार, प्रस्तावित अमूल प्लांट की प्रारंभिक क्षमता पांच लाख लीटर प्रतिदिन होगी और यह राज्य में एक विशेष खाद्य प्रोसेक्षेत्र में स्थित होगा.

प्लांट से लगभग 500 लोगों को मिलेगा रोजगार

दिसंबर 2021 में, सबर डेयरी ने ₹500 करोड़ के अनुमानित निवेश के साथ सुविधा मुहैया करने के लिए तेलंगाना सरकार के साथ एक एमओयू किया था. लगभग 500 लोगों को रोजगार देने वाला यह प्लांट दही, छाछ, लस्सी, दही, पनीर और मिठाई जैसे मूल्यवर्धित डेयरी उत्पादों का भी निर्माण करेगा.

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इस सत्र में डेयरी उद्योग के लिए प्रतिस्पर्धात्मकता के साथ-साथ उत्पाद नवाचार और उपभोक्ताओं के क्षेत्रीय स्वाद के अनुरूप विविधीकरण के लिए सरकारी समर्थन पर भी चर्चा हुई. सत्र में मदर डेयरी के प्रबंध निदेशक, मनीष बंदिश ने कहा कि संगठित डेयरी खिलाड़ियों को क्षेत्रीय बाजारों में प्रासंगिक और आकर्षक बनाए रखने के लिए स्थानीयकरण के माध्यम से नवाचार को महत्व मिल रहा है.

मनीष बंदिश ने कहा, "भारत एक विविधताओं का देश है, जहां हर कुछ किलोमीटर पर अलग-अलग खाने की आदतें हैं. स्वाद उसी के अनुसार बदलता है. इसलिए, जो महत्वपूर्ण है वह एक स्वाद प्रोफ़ाइल (उत्पाद का) विकसित करना है जो स्थानीय खपत के अनुरूप हो.”  उन्होंने आगे कहा कि मदर डेयरी ने अपने मिष्टी दोई उत्पाद में इसे सफलतापूर्वक लागू किया है, जिसकी बंगाली स्वाद प्रोफ़ाइल वाले उपभोक्ताओं के बीच मजबूत अपील है.

'वन-डिस्ट्रिक्ट वन-प्रोडक्ट' को बढ़ावा 

GCMMF के प्रबंध निदेशक जयन मेहता ने डेयरी क्षेत्र में 'वन-डिस्ट्रिक्ट वन-प्रोडक्ट' की अवधारणा के महत्व और व्यावहारिक व्यवहार्यता को रेखांकित किया. गुजरात के अपने परिचालन क्षेत्र में, अमूल ने स्वदेशी गिर गाय या मेहसानी भैंस के दूध जैसे स्थानीय जुड़ाव के साथ डेयरी उत्पादों की कोशिश की है.

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मेहता ने कहा, "हमारी विभिन्न नस्लें हमारे उत्पादों में महत्वपूर्ण अंतर हैं. इन सभी नस्लों में अपने आप में ब्रांड बनने की क्षमता है. ये ऐसे उत्पाद हैं जो उपभोक्ताओं के मन में कुछ मूल्यों को समाहित करते हैं. यह वह जगह है जहां हम क्षेत्र-विशिष्ट जाकर मूल्य जोड़ सकते हैं और एक बार जब किसान को पता चलता है कि उसे उसके लिए बेहतर कीमत मिल रही है, तो वे इसकी ओर रुख करना शुरू कर देते हैं.

 

 

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