भारत खाद्य तेल का बड़ा आयातक देश है. बावजूद इसके घरेलू बाजार में किसानों को तिलहन फसलों का उचित दाम नहीं मिल पा रहा है. तिलहन की दो प्रमुख फसलों सोयाबीन और मूंगफली की कीमतों का हाल बुरा है. दोनों ही न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से नीचे चल रही हैं. हालांकि, सरसों और रेपसीड का भाव में उछाल देखने को मिल रहा है, जो एमएसपी से ऊपर है. वर्तमान में सोयाबीन का थोक मंडी भाव 3998 रुपये प्रति क्विंटल चल रहा है, जबकि इसका एमएसपी 4892 रुपये घोषित है. वहीं, मूंगफली 6783 रुपये एमएसपी के मुकाबले काफी नीचे करीब 4808 रुपये प्रति क्विंटल चल रहा है. वहीं सरसों और रेपसीड का भाव 5859 रुपये है. सरसों का एमएसपी 5650 रुपये है.
तिलहन किसानों के लिए फसलों की गिरती कीमतें सिरदर्द बनी हुई हैं. पिछले दो साल के मुकाबले इन फसलों की कीमतें 3 प्रतिशत से लेकर 25 प्रतिशत तक कम हुई है. वहीं अब एमएसपी के नीचे उपज बेचनी पड़ रही है. दो साल पहले यानी जनवरी 2023 के दूसरे हफ्ते में सोयाबीन की कीमत 5310 रुपये प्रति क्विंटल थी यानी की इस साल सोयाबीन के दाम लगभग 25 प्रतिशत तक गिर चुके हैं. वहीं, मूंगफली कीमत करबी 22 प्रतिशत तक कम हुई हैं, दो साल पहले यह 6130 रुपये थी. वहीं, सरसों की कीमत में भी गिरावट दर्ज की गई है. तब इसकी कीमत 5859 रुपये प्रति क्विंटल थी, जो 3.41 प्रतिशत गिरावट को दर्शाती है.
इस बार सोयाबीन फसल का बंपर उत्पादन हुआ है, लेकिन किसान कम कीमतों को लेकर परेशान हैं. महाराष्ट्र की मंडियों में सोयाबीन खरीदी की तारीख बढ़ाकर 31 जनवरी 2025 कर दी गई है, जबकि राजस्थान में भी खरीदी की तारीख बढ़ाकर 4 फरवरी कर दी गई है. सरकार ने पिछले साल ही 15 प्रतिशत तक नमी वाली सोयाबीन की खरीद को भी मंजूरी दे रखी है.
केंद्र सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने रबी फसलों के बुवाई रकबा क्षेत्र के आंकड़े जारी किए हैं. ये आंकड़े 14 जनवरी तक के हैं. इनमें तिलहन फसलों के रकबे में कमी देखी गई है. रबी सीजन 2023-24 में तिलहन फसलों का रकबा 101.80 लाख हेक्टेयर था, जो चालू रबी सीजन 2024-25 में घटकर 96.82 लाख हेक्टेयर रह गया है. इसमें मुख्य तिलहन फसल सरसों का बुवाई क्षेत्र काफी घट गया है. सीजन 2024-25 सरसों का रकबा 88.50 लाख हेक्टेयर दर्ज किया गया है, जो इसके पिछले सीजन में 93.73 लाख हेक्टेयर था.