कर्नाटक और महाराष्ट्र में चने (देसी चने) की नई उपज की आवक शुरू हो गई है, जिसके चलते दलहन फसल की कीमत में गिरावट का दौर शुरू हो गया है. वर्तमान में यहां चने का भाव 5,500 से 6,300 रुपये प्रति क्विंटल चल रहा है. सरकार की ओर से इस बार यानी मार्केटिंग सीजन 2024-25 में चने के लिए बढ़ाकर 5,650 रुपये न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) घोषित किया है. पिछली बार एमएसपी 5,440 रुपये था. अनुमान के मुताबिक, आगामी दिनों में आवक बढ़ने से कीमतें और कम होने की आशंका है.
घरेलू उपज की आवक और बढ़ते आयात के कारण तो मंडियों में दाम तो गिर ही रहे हैं. वहीं पिछले सीजन में आयात की गई पीली मटर का स्टॉक रहने से भी चने की कीमतें प्रभावित हो रही है. कर्नाटक के कलबुर्गी, बीदर और यादगीर जैसे मंडियों में चने की नई उपज 5,500-6,000 रुपये प्रति क्विंटल के भाव से किसानों से खरीदी जा रही है.
महाराष्ट्र के अकोला और लातूर में चने का भाव 6,000-6,400 रुपये प्रति क्विंटल मिल रहा है. वहीं, उदगीर और धुधानी जैसी मंडियों में भाव एमएसपी के थोड़ा कम-ज्यादा 5,500 से 5,800 रुपये के बीच चल रहा है. वहीं, इससे पहले से ही मध्य प्रदेश की मंडियों में पुरानी चने की फसल का भाव एमएसपी से काफी नीचे 5,000 रुपये तक चल रहा है. गिरती कीमतों के कारण सोमवार को कृषि मंत्रालय ने कर्नाटक में मूल्य समर्थन योजना (PSS) के तहत 96,498 टन चने की खरीद को मंजूरी दी है.
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केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने हाल ही में रबी फसलों की बुवाई को लेकर ताजा आंकड़े जारी किए है. जिसके अनुसार, चालू रबी 2024-25 सीजन में दलहन का रकबा 24 जनवरी तक 2.3 प्रतिशत बढ़ा हुआ दर्ज किया गया है. इस बार यह 142.49 लाख हेक्टेयर है, जबकि एक साल पहले इस अवधि तक यह 139.29 लाख हेक्टेयर था. वहीं, चना फसल के रकबे में भी 2.8 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. एक साल पहले चने का रकबा 95.87 लाख हेक्टेयर था, जो इस बार 98.55 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया.
'बिजनेसलाइन' की रिपोर्ट के मुताबिक, कैलेंडर वर्ष 2024 में जनवरी से नवंबर के दौरान चने के आयात में 93 प्रतिशत का भारी उछाल दर्ज किया गया है. इस अवधि में 2.32 लाख टन चना आयात किया गया, जो कैलेंडर वर्ष 2023 की समान अवधि में 1.19 लाख टन था.