हिमाचल प्रदेश में चिट्टा नशे ने ग्रामीणों को बर्बाद कर रहा है. युवा इस चिट्टा नशे की लत का शिकार हो रहे हैं. नशे से बचाने के लिए राज्य की गतवार ग्राम पंचायत ने कड़ा फैसला लेते हुए तय किया है कि गांव जो भी परिवार चिट्टा नशे के साथ पकड़ा जाता है तो उसे सरकारी योजनाओं, सुविधाओं का लाभ नहीं दिया जाएगा. इससे पहले एक ग्राम पंचायत इस तरह का कड़ा फैसला ले चुकी है. बता दें कि हिरोइन नशे को स्थानीय भाषा में लोग चिट्टा कहते हैं.
हिमाचल प्रदेश के औहर ग्राम पंचायत की ओर से चिट्टा के साथ पकड़े गए परिवारों को मिलने वाली सुविधाएं बंद करने के दो दिन बाद अब गतवार पंचायत ने भी सदस्यों को मिलने वाली सुविधाएं बंद करने का फैसला किया है. पीटीआई के अनुसार गतवार पंचायत के उप प्रधान अजय शर्मा ने कहा कि युवाओं और समाज को नशे की लत से बचाने के लिए यह फैसला लिया गया है.
उन्होंने कहा कि नशा करने वालों या इस कारोबार से जुड़े लोगों के खिलाफ कार्रवाई जरूरी है. इसके लिए पंचायत स्तर पर लोगों के लिए चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं के लाभ से ऐसे लोगों को वंचित रखने का निर्णय लिया गया है. उन्होंने कहा कि पंचायत ने फैसला किया है कि अगर कोई व्यक्ति नशे के सेवन या कारोबार में लिप्त पाया जाता है तो उसके परिवार को मिलने वाली सुविधाओं से वंचित करने का प्रस्ताव लाया जाएगा.
पंचायतों की ओर से दी जाने वाली सुविधाओं में गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) योजना के तहत राशन, एकीकृत ग्रामीण विकास योजना (IRDP, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) और अन्य के तहत दी जाने वाली सुविधाएं शामिल हैं. शर्मा ने कहा कि ऐसे परिवारों को घर बनाने, पानी के भंडारण टैंक और अन्य सुविधाओं के लिए धन की मंजूरी नहीं दी जाएगी.
ग्राम पंचायत प्रधान नवल बजाज ने बताया कि युवाओं को नशे की बढ़ती लत और इसके दुष्प्रभावों से बचाने के लिए पंचायत ने जागरूकता अभियान शुरू करने का भी निर्णय लिया है. माता-पिता अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा और बेहतर जीवन स्तर प्रदान करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं. पंचायत हर वार्ड और गांवों में नशे के खिलाफ अभियान चलाया जाएगा. पंचायत ने इस अभियान को सफल बनाने के लिए स्वयं सहायता समूहों, युवा समूहों, महिला समूहों और समाजसेवी संगठनों से सहयोग की अपील की है.