14 फरवरी से एक बार फिर किसानों ने अपना आंदोलन शुरू कर दिया है. बताया जा रहा है कि प्रदर्शनकारी किसान अब ड्रोन से निपटने के लिए पतंग उड़ा रहे हैं. किसानों का कहना है कि वे इसलिए पतंग उड़ा रहे हैं क्योंकि अगर ड्रोन धागे में फंस जाएगा तो वे गिर जाएंगे. इसलिए आज से वे पतंगबाजी का सहारा ले रहे हैं. जिस समय किसान पतंग उड़ा रहे थे, उसी समय भारी आंसू गैस की गोलाबारी शुरू हो गई. इस बीच वरिष्ठ किसानों द्वारा युवाओं से संयम बरतने और आंसू गैस के गोले का जवाब न देने की लगातार घोषणा की जा रही है क्योंकि आगे का रास्ता तय करने के लिए बैठक चल रही है.
एक वरिष्ठ अधिकारी की तरफ से बताया गया है कि पंजाब के अधिकारियों ने शंभू सीमा पर अपने क्षेत्र में आंदोलनकारी किसानों पर आंसू गैस के गोले छोड़ने के लिए हरियाणा द्वारा ड्रोन के इस्तेमाल पर आपत्ति जताई है. पंजाब के पटियाला के डिप्टी कमिश्नर (डीसी) शौकत अहमद पर्रे ने अंबाला के डिप्टी कमिश्नर को पत्र लिखकर कहा है कि वे अंबाला के पास शंभू सीमा पर पंजाब के क्षेत्र के अंदर अपने ड्रोन न भेजें.
हरियाणा सुरक्षाकर्मियों ने किसानों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़ने के लिए मंगलवार को एक ड्रोन तैनात किया था. अपनी मांगों को मनवाने के मकसद से केंद्र पर दबाव बनाने के लिए किसान दिल्ली की तरफ मार्च करने में लगे थे. इस दौरान उन्होंने बैरिकेड तोड़ने की कोशिश भी की थी. पर्रे ने पीटीआई-भाषा को बताया, ''मैंने अंबाला डीसी को हमारे क्षेत्र के अंदर ड्रोन नहीं भेजने के लिए पत्र लिखा था.' उन्होंने कहा कि उन्होंने इस बारे में अंबाला के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को भी बता दिया है.
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किसानों ने दावा किया कि जब वे पंजाब क्षेत्र के अंदर खड़े थे तो ड्रोन ने उन पर कई आंसू गैस के गोले गिराए. आंसू गैस के गोले गिराने के लिए ड्रोन के इस्तेमाल को प्रदर्शनकारियों के खिलाफ अपनी तरह की पहली कार्रवाई बताया गया. मंगलवार को, राज्यों के बीच दो सीमा बिंदुओं पर किसानों की हरियाणा पुलिस के साथ झड़प हुई. इस दौरान उन्हें आंसू गैस और पानी की बौछारों का सामना करना पड़ा.
शंभू बॉर्डर पर हरियाणा के सुरक्षाकर्मियों ने बैरिकेड तोड़ने का प्रयास करने पर किसानों पर कई राउंड आंसू गैस के गोले दागे. हरियाणा पुलिस ने कहा कि जब पुलिस पर पथराव किया गया तो स्थिति को नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस का इस्तेमाल किया गया. संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य और ऋण माफी पर कानून सहित अपनी मांगों के लिए केंद्र पर दबाव बनाने के लिए 'दिल्ली चलो' आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं.
(श्रेया)
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