राज्य के किसानों की आय में वृद्धि और कृषि अनुसंधान के क्षेत्र में बेहतर काम करने को लेकर बिहार सरकार और अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान (आईएफ़पीआरआई) के बीच समझौता ज्ञापन (एम.ओ.यू.)पर हस्ताक्षर किया गया है. वहीं, इस एम.ओ.यू से होने वाले लाभ को लेकर कृषि विभाग के सचिव संजय कुमार अग्रवाल ने कहा कि इस साझेदारी से अंतरराष्ट्रीय संस्थान के वैश्विक शोध और नीति निर्धारण में विशेषज्ञता का लाभ मिलेगा. साथ ही, कृषि और संबंधित क्षेत्रों में योजनाओं की रणनीति और क्रियान्वयन में सहयोग प्राप्त होगा. कृषि मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने आईएफपीआरआई के अधिकारियों से मुलाकात की. वहीं,अधिकारियों ने प्रस्तावित समझौते की विस्तृत जानकारी कृषि मंत्री को दी.
कृषि विभाग के सचिव ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार ने कृषि, पशुपालन, डेयरी, मछली पालन और खाद्य और पोषण सुरक्षा के क्षेत्रों में केंद्रित निवेश के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण प्रगति की है. इस समझौते का उद्देश्य ग्रामीण आजीविका में सुधार, नीति नियोजन को सुदृढ़ करना और कृषि संबंधित क्षेत्रों में सरकारी कार्यक्रमों की प्रभावशीलता को बढ़ाना है. आगे उन्होंने बताया कि यह समझौता पांच वर्षों के लिए प्रभावी रहेगा, जिसके अंतर्गत विश्लेषणात्मक शोध, तकनीकी सलाह, क्षमता निर्माण और हितधारकों के साथ परामर्श जैसी संयुक्त गतिविधियां की जाएंगी. यह साझेदारी बिहार की शोध संस्थाओं के साथ सहयोग को भी बढ़ावा देगी और संस्थागत मजबूती के लिए ज्ञान विनिमय को प्रोत्साहित करेगी.
ये भी पढ़ें;- कृषि मंत्री ने खेती-ग्रामीण विकास से जुड़ी योजनाओं की समीक्षा की, लखपति दीदी स्कीम पर जताई खुशी
बिहार सरकार और आईएफ़पीआरआई के बीच हुए एम.ओ.यू के दौरान बिहार सरकार के मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा, पूर्व सचिव टी. नंद कुमार, पशु और मत्स्य संसाधन विभाग की अपर मुख्य सचिव डॉ. एन. विजयालक्ष्मी, कृषि सचिव संजय कुमार अग्रवाल उपस्थित रहे. वहीं, समझौता ज्ञापन पर बिहार सरकार की ओर से कृषि निदेशक नितिन कुमार सिंह और आईएफपीआरआई की ओर से वरिष्ठ रिसर्च फेलो डॉ. अंजनी कुमार ने हस्ताक्षर किए.