राजस्थान में कांग्रेस के अपने ही मंत्री सरकार के खिलाफ बागी हो रहे हैं. कहीं कोई मंत्री किसानों के लिए बिजली के लिए धरने पर बैठ रहा है तो कोई विधायक धरने-प्रदर्शन की चेतावनी दे रहा है. शुक्रवार को राजस्थान सरकार में खेल मंत्री अशोक चांदना अपनी विधानसभा हिंडोली-नेनवा में किसानों को बिजली नहीं मिलने के खिलाफ बूंदी में जिला कलेक्ट्रेट में धरने पर बैठ गए. मंत्री के धरने पर बैठने से प्रशासन ने आनन-फानन में कई फैसले ले लिए और चांदना के साथ आए किसानों की मांगों को माना. इसके बाद चांदना ने धरना खत्म कर दिया. मंत्री का धरना करीब तीन घंटे चला. हालांकि चांदना ने यह स्पष्ट किया है कि उनका धरना सरकार नहीं बल्कि अधिकारियों के खिलाफ है. सरकार की योजनाओं को जमीन पर नहीं उतारकर अधिकारी जनता को परेशान कर रहे हैं.
चांदना की धरने पर बैठने की खबरें मीडिया में तैर ही रहीं थी कि बाड़मेर से कांग्रेस विधायक मेवाराम जैन का मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नाम एक खत मीडिया के वाट्सएप ग्रुपों में वायरल हो गया. इसमें जैन बाड़मेर शहर और ग्रामीण इलाकों में पेयजल सप्लाई नहीं होने से नाराज दिखे. उन्होंने लिखा कि अगर समस्या का समाधान नहीं होता है तो वे 15 सितंबर को बाड़मेर जिला कलेक्ट्रेट पर सरकार के खिलाफ धरने पर बैठ जाएंगे.
बीते कुछ समय से लगातार बारिश की कमी से पूरे प्रदेश में बिजली की मांग बढ़ी है. मंत्री चांदना के क्षेत्र में भी यह मांग आई, लेकिन किसानों को सिंचाई के लिए पूरी बिजली नहीं मिल रही. लोड के कारण कई ट्रांसफॉर्मर जल गए. इसीलिए चार दिन पहले भी चांदना ने विरोध जताते हुए धरने पर बैठने की चेतावनी दी थी.
तब प्रशासन से बातचीत के बाद उन्होंने अपना विरोध आठ सितंबर तक रोक दिया.आज जब उनके विधानसभा क्षेत्र की समस्याओं का हल नहीं हुआ तो वे बूंदी में जिला कलेक्ट्रेट के सामने ही धरने पर बैठ गए. चांदना के धरने पर बैठने के कुछ ही देर बाद डिस्कॉम ने अपने अदीक्षण अभियंता जगदीश प्रसाद बैरवा को एपीओ कर दिया. साथ ही मंत्री के साथ धरना दे रहे लोगों के क्षेत्र में 100 ट्रांसफॉर्मर तत्काल देने के निर्देश दिए गए.
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इससे पहले चांदना ने कलेट्रेट में जनसुनवाई की. इस दौरान बिजली चली जाने पर करीब 20-25 मिनट तक उन्होंने अंधेरे में ही जनसुनवाई की. इसके बाद चांदना धरने पर बैठ गए. उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि वह सरकार के खिलाफ नहीं बल्कि अधिकारियों के खिलाफ हैं. ये धरना किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए दिया जा रहा है.
धरने के दौरान ही खेल मंत्री चांदना से ऊर्जा मंत्री भंवर सिंह भाटी ने फोन पर बात की. भाटी ने अधिकारी को एपीओ करने और 100 ट्रांसफॉर्मर देने की बात कही. ऊर्जा मंत्री के इस आश्वासन के बाद चांदना ने धरना समाप्त कर दिया. इसके कुछ देर बाद ही डिस्कॉम ने अपने एक अधिकारी को एपीओ कर दिया.
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चांदना का धरना एपिसोड खत्म ही हुआ था कि बाड़मेर से कांग्रेस विधायक मेवाराम जैन का मुख्यमंत्री गहलोत के नाम लिखा एक पत्र मीडिया में आ गया. जैन खत में लिखते हैं, “पिछले तीन महीने से मेरे क्षेत्र बाड़मेर शहर और ग्रामीण के इलाकों में पेयजल सप्लाई नहीं होने के कारण आमजन में भयंकर रोष है. मेरे द्वारा बार-बार पीएचईडी और लिफ्ट कैनाल के अधिकारियों की मीटिंग लेकर निर्देशित करने के बाद भी समस्या जस की तस है.
आखिर परेशान होकर क्षेत्र में पेयजल की समस्याओं के समाधान के लिए 15 सितंबर 2023 को जिला कलेक्ट्रेट, बाड़मेर के आगे बाड़मेर की जनता के साथ धरने पर बैठूंगा.” जैन ने यह खत पीएचईडी मंत्री महेश जोशी, विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुबोध अग्रवाल और को भी भेजा है.
कांग्रेस के मंत्री और विधायकों की इस तरह धरना राजनीति से सवाल उठने शुरू हो गए हैं कि आखिर कांग्रेस में चल क्या रहा है? वहीं, राजनीतिक गलियारों में सुगबुहाट है कि अपनी ही सरकार के खिलाफ विरोध करने से नेता क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत बनाना चाह रहे हैं. क्योंकि खबरें बीते महीने भर से प्रदेश के मीडिया में है कि कई मंत्रियों की स्थिति उनके क्षेत्र में काफी खराब है. इसीलिए धरना-प्रदर्शन की राजनीति अपने क्षेत्र में खुद को फिर से स्थापित करने का जरिया हैं.