Explainer: क्या है किसान ऋण राहत आयोग के मायने, कैसे मिलेगी किसानों को मदद?

Explainer: क्या है किसान ऋण राहत आयोग के मायने, कैसे मिलेगी किसानों को मदद?

राजस्थान में विपक्ष में बैठी बीजेपी अक्सर कांग्रेस सरकार पर किसानों के कर्जमाफी के वादे को लेकर घेरती रहती है. साथ ही किसानों के कर्ज ना चुकाने पर जमीन कुर्की के मामले को विपक्ष लंबे समय से उठा रहा है. बीजेपी का दावा है कि कांग्रेस सरकार में 19 हजार से अधिक किसानों की जमीन कुर्क हुई है. यह आयोग किसानों की जमीन कुर्की को भी रोकेगा.

 कांग्रेस सरकार ने राजस्थान राज्य कृषक ऋण राहत आयोग का गठन कर दिया. फाइल फोटो- DIPR कांग्रेस सरकार ने राजस्थान राज्य कृषक ऋण राहत आयोग का गठन कर दिया. फाइल फोटो- DIPR
माधव शर्मा
  • Jaipur,
  • Oct 07, 2023,
  • Updated Oct 07, 2023, 4:55 PM IST

राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने कल यानी शुक्रवार को  राजस्थान राज्य कृषक ऋण राहत आयोग का गठन कर दिया. इस आयोग में किसानों की जमीन नीलामी, लोन संबंधी समस्याओं का समाधान किया जाएगा. आयोग गठन करते ही सरकार ने अध्यक्ष और चार सदस्यों को भी मनोनीत कर दिया. इस एक्प्लेनर में हम आपको इस आयोग के काम और मायनों को समझाने की कोशिश करेंगे. साथ ही यह बताने की कोशिश भी करेंगे कि इस आयोग को बनाने के पीछे क्या सियासी रणनीति और सोच है? पढ़िए यह जानने से पहले आप समझिए कि इस आयोग के काम क्या होंगे और यह किस तरह काम करेगा? 

कौन होंगे आयोग के अध्यक्ष और सदस्य? 

गहलोत सरकार ने दो अगस्त को विधानसभा में में ‘राजस्थान राज्य कृषक ऋण राहत आयोग विधेयक-2023’ पारित किया था. आयोग बनाने के साथ ही सरकार ने रिटायर्ड जज प्रकाशचंद गुप्ता को अध्यक्ष मनोनीत किया है. इसके अलावा रिटायर्ड आईएएस पी.के. गोयल, महाराणा प्रताप कृषि विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति एस.एन. राठौड़, हरिकुमार गोदारा एवं सुनील गहलोत को सदस्य मनोनीत किया गया है. 

क्या रहेगा आयोग का काम?

आयोग किसानों को कर्ज माफी पर सुझाव देगा. साथ ही किसानों और बैंकों के बीच सेटलमेंट भी कराएगा. आयोग बनने के बाद बैंक और कोई भी वित्तीय संस्था किसी भी वजह से किसानों पर फसल खराब होने पर कर्ज वसूली का दबाव नहीं बना पाएगा. प्रदेशभर के किसान फसल खराब होने पर कर्ज माफी के लिए आयोग में आवेदन कर सकेंगे. इसके अलावा आयोग सरकार को कर्ज माफी या काश्तकारों की मदद के लिए सुझाव भी देगा.

वहीं, अगर सुनवाई के दौरान आयोग की जानकारी में यह आता है कि किसान किसी भी स्थिति में कर्ज नहीं चुका सकता तो आयोग उस किसान को संकटग्रस्त किसान की सूची में डाल सकेगा. इस सूची में आने के बाद बैंक किसान से कर्ज की जबरन वसूली नहीं कर पाएगा. आयोग को कोर्ट जैसी शक्ति देने के प्रावधान बिल में किए गए थे.

ऐसे में संकटग्रस्त घोषित किसान के लिए आयोग बैंकों से लिए गए कर्ज को सेटलमेंट के आधार पर चुकाने की प्रक्रिया भी तय कर सकेगा. इस प्रक्रिया में बैंकों को आयोग सुनवाई के लिए बुलाएगा. इन सुनवाई में किसानों के साथ सेटलमेंट करने जैसे लोन की किस्तों को आगे बढ़ाने या ब्याज कम करने जैसे सुझाव या आदेश देगा. 

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क्या आयोग बनाने के पीछे है गहलोत की चुनावी रणनीति?

राजस्थान में किसी भी दिन विधानसभा चुनावों के लिए आचार संहिता लग सकती है. नवंबर और दिसंबर के महीने में यहां वोटिंग होगी. ऐसे में गहलोत का चुनावों से एकदम पहले ऋण राहत आयोग बनाना पूरी तरह से चुनावी रणनीति है. वहीं, राजस्थान में विपक्ष में बैठी बीजेपी अक्सर कांग्रेस सरकार पर किसानों के कर्जमाफी के वादे को लेकर घेरती रहती है. साथ ही किसानों के कर्ज ना चुकाने पर जमीन कुर्की के मामले को विपक्ष लंबे समय से उठा रहा है.

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बीजेपी का दावा है कि कांग्रेस सरकार में 19 हजार से अधिक किसानों की जमीन कुर्क हुई है. यह आयोग किसानों की जमीन कुर्की को भी रोकेगा. इसीलिए आयोग के गठन को बीजेपी के लिए गहलोत का जवाब भी माना जा रहा है. इससे गहलोत ने संदेश देने की कोशिश की है कि वे किसानों की समस्याओं को लेकर गंभीर हैं और इसके लिए कानून भी बना सकते हैं.  

इसके अलावा अगले दो महीने में होने वाले चुनाव प्रचार में गहलोत गांव-गांव में किसानों के लिए किए गए कामों को गिनाएंगे. इन कामों में राजस्थान राज्य कृषक ऋण राहत आयोग भी मुख्य होगा. राजस्थान में करीब 56 लाख किसान केसीसी कार्ड धारक हैं. ऐसे में इन किसानों के लिए बैंकों से लोन लेने में और डिफॉल्टर होने पर जमीन कुर्की का डर नहीं होगा. यह आयोग किसानों को इस स्थिति में आने से रोकेगा. 


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