Water Bodies Census: पहली बार हुई जल निकायों की गणना, पश्चिम बंगाल ने किया टॉप, जानें अन्य राज्यों का हाल

Water Bodies Census: पहली बार हुई जल निकायों की गणना, पश्चिम बंगाल ने किया टॉप, जानें अन्य राज्यों का हाल

देश में कुल कितने जल निकाय हैं? जल निकाय यानी पानी का स्रोत बनने वाले प्राकृतिक साधन. क्या कभी आपने सोचा है कि देश में इनकी कुल संख्या कितनी है? अपनी तरह की एक ऐसी पहली रिपोर्ट सामने आई है जिसमें इससे जुड़े सारे आंकड़े सामने आए हैं. इस मामले में पश्चिम बंगाल टॉप पर है. पढ़िए ये पूरी रिपोर्ट-

देश में पहली बार जल निकायों की हुई गणनादेश में पहली बार जल निकायों की हुई गणना
व‍िवेक कुमार राय
  • Noida ,
  • Apr 30, 2023,
  • Updated Apr 30, 2023, 11:04 PM IST

देश के कुछ इलाकों में गिरते जलस्तर की वजह से तालाबों, झीलों और टैंकों जैसे जल निकाय पहले से कहीं अधिक अहम हो गए हैं. खासकर ग्रामीण इलाकों में जहां भूजल निकालने के लिए डीजल या बिजली की मदद लेनी पड़ती है, वहां लोगों के लिए यह अतिरिक्त वित्तीय बोझ बन जाता है. ऐसे में जल निकायों पर आंकड़ों की कमी को दूर करने के लिए केंद्रीय जल मंत्रालय ने 23 अप्रैल को एक रिपोर्ट प्रकाशित की है. यह जल निकायों की पहली जनगणना है, जिसमें देश में मौजूद जल निकायों की कुल संख्या दर्ज की है.

इस जनगणना के अनुसार, देश में कुल प्राकृतिक और मानव निर्मित  जल निकायों की संख्या  2,424,540 है. इनमें से 59.5 प्रतिशत (14,42,993) तालाब हैं, 15.7 प्रतिशत (381,805) टैंक हैं, 12.1 प्रतिशत (292,280) जलाशय हैं जबकि शेष 12.7 प्रतिशत (307,462) जल संरक्षण योजनाएं/चेक डैम/छिद्रण टैंक/झीलें और अन्य जल निकाय हैं. 

खास बात ये है कि जनगणना में दर्ज कुल जल निकायों में से 97.1 प्रतिशत (23,55,055) ग्रामीण इलाकों में हैं, जबकि 2.9 प्रतिशत (69,485) शहरी इलाकों में हैं. वहीं पश्चिम बंगाल जलनिकायों की संख्या के मामले में टॉप पर है. इसके बाद उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, ओडिशा और असम का स्थान है. गौरतलब है कि जनगणना अपनी तरह की पहली है, क्योंकि अब तक केंद्रीय मंत्रालय द्वारा प्रकाशित जल निकायों के आंकड़ों में केवल उन निकायों को शामिल किया जाता था जिनका उपयोग लघु सिंचाई गतिविधियों के लिए किया जाता था. 

जल निकायों की जनगणना आयोजित करने की जरूरत

रिपोर्ट में कहा किया गया है कि जल निकायों पर अतिक्रमण का संज्ञान लेने और जल निकायों को बहाल करने के लिए इन अतिक्रमणों को हटाने के लिए आवश्यक उपायों के लिए 'जल संसाधनों पर संसदीय स्थायी समिति' द्वारा जल निकायों की एक अलग जनगणना आयोजित करने की आवश्यकता बताई गई थी.

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जल आपूर्ति और मांग के बीच अंतर 

जनगणना रिपोर्ट में, मंत्रालय ने एक जल निकाय को 'सभी तरफ से बंधी सभी प्राकृतिक या मानव निर्मित इकाइयों के रूप में परिभाषित किया है, जिसमें सिंचाई या अन्य उद्देश्यों के लिए पानी के भंडारण के लिए कुछ या कोई चिनाई का काम नहीं किया जाता है.’ जनगणना के दौरान यह नोट किया गया कि पानी एक पुनर्चक्रण (recyclable) योग्य संसाधन है, लेकिन उपलब्धता सीमित है और आपूर्ति और मांग के बीच का अंतर समय के साथ दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है.

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जलवायु परिवर्तन की वजह से पैदा हो सकता है पानी का संकट

इसके अलावा, इसने चेतावनी दी कि वैश्विक स्तर पर जलवायु परिवर्तन दुनिया के कई क्षेत्रों में पानी के संकट की स्थिति को और अधिक पैदा करेगा. वर्षों से गायब हो रहे तालाब और झीलें चिंता का विषय रहे हैं. जून 2019 में नीति आयोग द्वारा प्रकाशित 'समग्र जल प्रबंधन सूचकांक' नामक एक रिपोर्ट से पता चला है कि उत्तर प्रदेश, राजस्थान, केरल और दिल्ली सहित बड़े आर्थिक योगदान वाले राज्यों में जल प्रबंधन स्कोर कम था. रिपोर्ट कहती है कि इस तरह के "खराब प्रबंधन से भारत की आर्थिक प्रगति में बाधा आ सकती है."

 

 

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