देश में कई खाद्य और अखाद्य पदार्थों पर लगने वाले टैक्स को लेकर सालों से कई विवाद सामने आते रहे हैं. ऐसे ही नारियल तेल पर टैक्स से जुड़े पुराने विवाद का निपटारा हो गया है. सुप्रीम कोर्ट ने इस पर फैसला सुनाया है. दरअसल, नारियल तेल पर खाद्य तेल के रूप में या इसे बालों में लगाने वाले तेल की श्रेणी में रखकर एक्साइज टैक्स लगाया, इससे जुड़े मामले में पहले की बेंच ने खंडित फैसला सुनाया था, जिसके कारण स्थिति साफ नहीं थी. अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शंकर ठक्कर ने कहा कि अब इस मामले में सीजेआई संजीव खन्ना की बेंच ने एक स्पष्ट आदेश जारी कर दिया है.
सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच के सामने आए 20 साल पुराने मामले में एक्साइज ड्यूटी को लेकर चले आ रहे विवाद में सीजेआई संजीव खन्ना की बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा कि तेल की पैकेजिंग के आधार पर उस पर ड्यूटी लगाई जानी चाहिए. यह तेल की पैकेजिंग से ही तय होगा कि वह खाने के इस्तेमाल के लिए बनाया गया है या लगाने के उद्येश्य से. न्यायालय के सामने सवाल यह था कि नारियल तेल को किस श्रेणी में रखा जाए. क्या खाने के तेल के रूप में रखकर उसपर ड्यूटी लगाई जाए या फिर लगाने के तेल के तहत ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट के तहत इसपर टैक्स की वसूली हो.
इस मामले में तत्कालीन सीजेआई आर भानुमति की बेंच ने विभाजित फैसला सुनाया था. उस बेंच में नवंबर 2019 में सीजेआई के पद से सेवानिवृत्त हुए जस्टिस गोगोई का मानना था कि छोटे पैकेजिंग में नारियल तेल को उचित रूप से खाद्य तेल के रूप में क्लासिफाइड किया जाना चाहिए, जबकि जस्टिस भानुमति का मानना था कि छोटे कंटेनरों में पैक किए गए नारियल तेल को हेयर ऑयल के रूप में देखा जाए.
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मौजूदा वक्त में भी देश के अलग-अलग हिस्सों में नारियल तेल का दोहरा उपयोग हो रहा है. अब सीजेआई संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार और आर महादेवन की बेंच ने माना कि कंपनियां जिस तरह से अपने तेल को ब्रॉन्ड करके बेचेंगी, उसी आधार पर इसे क्लासिफिकेशन कर खाद्य सुरक्षा नियमों या फिर ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट के तहत उसपर टैक्स वसूला जाएगा.
इस मामले में राजस्व विभाग की इस दलील थी कि शुद्ध नारियल तेल को हमेशा ही बालों के तेल के रूप में क्लासिफाइड किया जाना चाहिए. न्यायमूर्ति कुमार ने यह कहते हुए इस दलील को खारिज कर दिया कि हमारा मानना है कि खाद्य तेल के रूप में कम मात्रा में बेचा जाने वाला शुद्ध नारियल तेल खाद्य तेल के रूप में क्सासिफाइड किया जा सकता है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ''यह तथ्य कि इस तरह के खाद्य नारियल तेल को छोटे कंटेनरों में बेचा गया, अपने आप में यह संकेत नहीं देता कि यह बालों के तेल के रूप में उपयोग के लिए उपयुक्त पैकेजिंग है. कोई व्यक्ति अपने खाना पकाने के तेल को कम मात्रा में खरीदना चुन सकता है?''
सर्वोच्च न्यायालय के इस निर्णय का स्वागत करते हुए शंकर ठक्कर ने कहा किसी भी सरकारी विभाग द्वारा अपनी आवश्यकता के मुताबिक, किसी भी वस्तु का क्लासिफिकेशन नहीं करना चाहिए, ताकि जनता को टैक्स का बोझ झेलकर अपनी जेब ढीली ना करनी पड़े.