Soil health : खेतों में बेहिसाब नाइट्रोजन के इस्तेमाल से मिट्टी हो रही है बंजर, श्वसन गति भी हुई प्रभावित

Soil health : खेतों में बेहिसाब नाइट्रोजन के इस्तेमाल से मिट्टी हो रही है बंजर, श्वसन गति भी हुई प्रभावित

किसान अपने खेतों में ज्यादा पैदावार लेने के लिए बेहिसाब यूरिया सहित डी.ए. पी का भी इस्तेमाल कर रहा है जिसका असर मिट्टी के स्वास्थ्य पर अब सीधे दिखाई देने लगा है. काशी हिंदू विश्वविद्यालय के वनस्पति विभाग में हुए शोध में  यह सामने आया की मिट्टी की उर्वरा शक्ति नाइट्रोजन के अधिक इस्तेमाल से समाप्त हो रही है और खेत धीरे-धीरे बंजर होते जा रहे हैं.

नाइट्रोजन की बढ़ती मात्रा से मिट्टी हो रही है बंजर नाइट्रोजन की बढ़ती मात्रा से मिट्टी हो रही है बंजर
धर्मेंद्र सिंह
  • Varanasi ,
  • Aug 09, 2023,
  • Updated Aug 09, 2023, 11:32 AM IST

किसान अपने खेतों में ज्यादा पैदावार लेने के लिए बेहिसाब यूरिया सहित डी.ए. पी का भी इस्तेमाल कर रहा है जिसका असर मिट्टी के स्वास्थ्य पर अब सीधे दिखाई देने लगा है. काशी हिंदू विश्वविद्यालय के वनस्पति विभाग में हुए शोध में  यह सामने आया की मिट्टी की उर्वरा शक्ति नाइट्रोजन के अधिक इस्तेमाल से समाप्त हो रही है और खेत धीरे-धीरे बंजर होते जा रहे हैं. वनस्पति विज्ञानं के प्रोफेसर आर. सागर ने बताया की मिट्टी में दो तरह के जीवाणु होते हैं जो उसके स्वास्थ्य के लिए जिम्मेदार होते हैं. अधिकाधिक नाइट्रोजन के इस्तेमाल से मिट्टी की  सांस लेने की गति भी प्रभावित होने लगती है. इसलिए किसानों को अपने खेतों में यूरिया का इस्तेमाल ज्यादा मात्रा में नहीं करना चाहिए. 

जीवों की तरह मिट्टी भी लेती है सांस

पृथ्वी पर रहने वाले सभी जीव और पेड़ पौधे हीन सांस नहीं लेते हैं बल्कि हमारी खेतों की मिट्टी भी सांस लेती है. काशी हिंदू विश्वविद्यालय के वनस्पति विभाग के एक शोध के अनुसार एक हेक्टेयर खेत में अगर किसान के द्वारा 90 किलोग्राम से अधिक नाइट्रोजन का इस्तेमाल किया जाता है तो मिट्टी की श्वसन गति कम हो जाती है.  मिट्टी के सामान्य श्वसन गति 169 मिलीग्राम कार्बन डाइऑक्साइड प्रति वर्ग मीटर- प्रति घंटे होती है. सामान्य श्वसन गति रहने पर मिट्टी उपजाऊ बनी रहती है लेकिन इससे कम होने पर मिट्टी की उर्वरा शक्ति खत्म होने लगती है.

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नाइट्रोजन की बढ़ती मात्रा से मिट्टी की घटती श्वसन गति

काशी हिंदू विश्वविद्यालय के वनस्पति विभाग के प्रोफ़ेसर आर. सागर के मुताबिक मिट्टी में दो छोटे जीवाणु होते हैं. माइक्रोबियल नाइट्रोजन व माइक्रोबियल कार्बन नाम के जीवाणु मिट्टी की उर्वरा शक्ति के लिए जिम्मेदार होते हैं. इनके घटने से मिट्टी की उर्वरा प्रभावित होने लगती है. 2013 से 2016 तक हुए शोध के परिणाम स्वरूप ये तथ्य सामने आए कि अगर  नाइट्रोजन का इस्तेमाल  खेतों में बढ़ने की वजह से मिट्टी की उर्वरा शक्ति प्रभावित होने लगती है. शोध के दौरान पांच खेतों में हर माह विभिन्न मात्रा में यूरिया डाला गया जिसके परिणाम स्वरुप यह पाया गया कि अधिक यूरिया का इस्तेमाल जिन क्षेत्रों में हुआ उसकी श्वसन गति कम हो गई. दिसंबर 2022 में यह शोध जापान के जनरल इकोलॉजिकल रिसर्च में प्रकाशित हो चुका है.

यूरिया                                मिट्टी की श्वसन गति
(किग्रा/हेक्टेयर/प्रतिवर्ष) 

30                                   186

60                                   189

90                                 197

120                               177

150                              156 


मिट्टी में  नाइट्रोजन के प्राकृतिक स्रोत

मिट्टी में यूरिया के अलावा कई ऐसे स्रोत है जिनसे नाइट्रोजन की प्राप्ति होती है. खेत में मटर , अरहर, चना और ढैंचा जैसे पौधे स्वयं नाइट्रोजन पैदा करते हैं. नाइट्रोजन ऑक्सीजन हवा में प्रक्रिया करके नाइट्रेट मनाते हैं जो बारिश की बूंदों के साथ जमीन पर आता है. मुर्गी फार्म के मल- मूत्र से भी नाइट्रोजन पैदा होती है.

 

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