गुणों से भरपूर है राम करेला, खाने में स्वाद‍िष्ट ही नहीं सेहत के ल‍िए भी है काफी फायदेमंद 

गुणों से भरपूर है राम करेला, खाने में स्वाद‍िष्ट ही नहीं सेहत के ल‍िए भी है काफी फायदेमंद 

हमारे यहां करेले को लोग सब्जी के रूप में खूब इस्तेमाल करते हैं क्योंक‍ि उसके औषधीय गुण हैं. इसी तरह राम करेले में भी काफी औषधीय गुण हैं. राम करेला के फल पोटेशियम, मैग्नीशियम और फॉस्फोरस का एक अच्छा स्रोत है, जो सेहत के ल‍िए अच्छा है. 

जानिए राम करेला के बारे में
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Apr 30, 2024,
  • Updated Apr 30, 2024, 5:09 PM IST

राम करेले को भारत में पहाड़ी करेला और मीठा करेला भी कहा जाता है. इसके फल के अंदर का भाग खोखला होता है तथा जिसमें कई काले बीज होते हैं. इसका स्वाद व गंध खीरे की तरह होता है. फलों के बीज निकालकर उसमें अन्य खाद्य पदार्थ, जैसे- चावल, पनीर, मछली आदि भरकर उन्हें पकाकर खाया जाता है. इसलिए इसे स्टफिंग कुकुम्बर भी कहते हैं. इसकी नई टहनियों और पत्तियों को साग के रूप में भी खाया जा सकता है. इस राम करेले की लगभग 30 प्रजातियां हैं. कृषि वैज्ञान‍िक राहुल देव, रेनू सनवाल, जयदीप कुमार और लक्ष्मीकान्त ने बताया है क‍ि यह स‍िर्फ खाने में स्वाद‍िष्ट ही नहीं है बल्क‍ि सेहत के ल‍िए भी है काफी फायदेमंद है. 

हमारे यहां करेले को लोग सब्जी के रूप में खूब इस्तेमाल करते हैं क्योंक‍ि उसके औषधीय गुण हैं. इसी तरह राम करेले में भी काफी औषधीय गुण हैं. राम करेला के फल पोटेशियम, मैग्नीशियम और फॉस्फोरस का एक अच्छा स्रोत है, जो सेहत के ल‍िए अच्छा है. इन फलों में खनिज पदार्थों की संरचना इस परिवार के दूसरी सब्जियों, जैसे तरबूज, ककड़ी, कद्दू और तरबूज के समान ही होती है. 

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क‍ितना म‍िलता है कैल्शियम 

इसके 100 ग्राम फल में पोटेशियम 152 मि.ग्रा. होता है. 
100 ग्राम राम करेले में कैल्शियम 14.0 मि.ग्रा. होता है. 
इसके 100 ग्राम फल में फॉस्फोरस 14.0 मि.ग्रा. होता है.  
100 ग्राम राम करेले में मैग्नीशियम 8.4 मि.ग्रा. होता है.
सोडियम की मात्रा बहुत कम (0.91 मि.ग्रा./100 ग्राम) होती है. 

क्या है फायदा 

कृष‍ि वैज्ञान‍िकों के अनुसार इसका उपयोग पोटेशियम, कैल्शियम, फॉस्फोरस और मैग्नीशियम की उच्च मात्रा को देखते हुए एक पोषण पूरक आहार के रूप में किया जा सकता है. इसके फलों का उपयोग शरीर की सूजन, कॉलेस्ट्रॉल और शरीर में शुगर की मात्रा को कम करने में भी किया जाता है. फल आमतौर पर उच्च एंटीऑक्सीडेंट प्रदर्शित करते हैं. इसके बीजों की चाय को उच्च रक्तचाप के उपचार के ल‍िए इस्तेमाल किया जा सकता है. सूखे बीजों के पाउडर का उपयोग आंतों के परजीवी के उपचार में किया जाता है. पौधों के दूसरे हिस्सों का उपयोग गैस्टोइंटेस्टाइनल समस्याओं, उच्च रक्तचाप, टॉन्सिलाइटिस, संचार समस्याओं, धमनी काठिन्य और मधुमेह के इलाज के लिए किया जा सकता है. 

हृदय रोग में कमी का दावा 

फलों के रस को उच्च कोलेस्ट्रॉल, उच्च रक्तचाप, टॉन्सिलाइटिस, धमनी काठिन्य, मधुमेह, रक्तवाही संचार समस्याओं को कम करने और मूत्रवर्धक औषधि के रूप में करने की सिफारिश की जाती है. इसमें फ्लेवोनोइड मौजूद होते हैं, इनमें एंटीऑक्सीडेंट गुण भी होते हैं. यह पाया गया है कि इसके सेवन से हृदय रोग में कमी आती है. इसके फल का सब्जी के रूप में प्रयोग करने से पित्ताशय की प्रक्रिया सन्तुलित रहती है तथा यह शरीर में शुगर की मात्रा को भी नियंत्रित करता है.

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