केंद्रीय पंचायती राज राज्य मंत्री कपिल मोरेश्वर पाटिल ने मंगलवार को लोकसभा में एक लिखित उत्तर में कहा कि पंचायती राज मंत्रालय 9 विषय-वस्तुओं का स्वीकार करते हुए 2030 तक लगातार अपने विकास के एजेंडे को प्राप्त करेगा. इसके लिए सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के स्थानीयकरण की प्रक्रिया का संचालन किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि स्थानीयकृत एसडीजी प्राप्त करने और इस प्रकार एसडीजी 2030 अर्जित करने में जमीनी स्तर के संस्थानों द्वारा की गई प्रगति का आकलन और माप करने के लिए, मंत्रालय ने पंचायत विकास सूचकांक (पीडीआई) पर एक रिपोर्ट जारी की है. पंचायत विकास सूचकांक ग्रामीण क्षेत्र में एलएसडीजी अर्जित करने में निष्पादन मूल्यांकन और प्रगति आकलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.
उन्होंने कहा कि संशोधित आरजीएसए के तहत, मंत्रालय पंचायतों के बीच सकारात्मक प्रतिस्पर्धा पैदा करने के लिए एसडीजी की प्राप्ति में उनके निष्पादन का आकलन करके राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार (एनपीए) के माध्यम से सर्वश्रेष्ठ निष्पादन करने वाली पंचायतों को प्रोत्साहित करता रहा है. पीडीआई की तैयारी में प्राप्त स्थानीयकृत सतत विकास लक्ष्यों की नौ विषय-वस्तुओं पर विषयगत स्कोर और ग्राम पंचायतों के समग्र पीडीआई स्कोर से स्थानीय एसडीजी प्राप्त करने में उनकी प्रगति का आकलन करने में मदद मिलेगी. पीडीआई नौ विषय-वस्तुओं के साथ-साथ समग्र पीडीआई स्कोर में विकास लक्ष्यों की प्रगति में पंचायतों की तुलना करने में भी मदद करेगा. इसलिए, पीडीआई विकासात्मक लक्ष्यों के लिए योजना बनाने और काम करने के लिए पंचायत के बीच प्रतिस्पर्धी भावना को बढ़ावा देगा और अपने समकक्ष पंचायतों की तुलना में अपनी स्थिति में सुधार करने के द्वारा सभी स्तरों पर समग्र विकास की उपस्थिति बढ़ाएगा.
मंत्री कपिल मोरेश्वर पाटिल ने कहा कि पीडीआई रिपोर्ट ने 9 विषय-वस्तुओं के स्थानीय संकेतकों, इसके डेटा स्रोतों और निगरानी तंत्रों के आधार पर पंचायत विकास सूचकांक की गणना के लिए तंत्र की व्याख्या की है. पीडीआई की गणना एलएसडीजी की प्रगति की निगरानी के लिए 9 विषय-वस्तुओं, 144 स्थानीय लक्ष्यों और 642 अनूठी डेटा-बिंदुओं पर विकास का आकलन करने वाले 577 स्थानीय संकेतकों पर की जाएगी. मंत्रालय ने पीडीआई पर विभिन्न हितधारकों और भागीदारों के साथ ज्ञान साझा करने के लिए विभिन्न दृष्टिकोण अपनाए हैं. पीडीआई को लागू करने के महत्व और संस्थागतकरण कार्य नीतियों पर ज्ञान बढ़ाने के लिए विभिन्न हितधारकों के साथ राज्य स्तरीय कार्यशाला/बैठक की श्रृंखला; एवी फिल्म्स, लर्निंग मॉड्यूल के विकास आदि के विकास की श्रृंखला शुरू की गई है.
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मंत्री के मुताबिक, पीडीआई पंचायतों को संयोजन तंत्र के माध्यम से एलएसडीजी की विषय-वस्तुओं के विभिन्न नवोन्मेषी मॉडलों पर अनुकरणीय प्रक्रिया विकसित करने के लिए भी प्रेरित करेगा. पंचायतों की सर्वोत्तम प्रथाओं को अन्य राज्यों और पीआरआई के साथ साझा करने की सचेत प्रक्रिया के माध्यम से पंचायतों की अच्छी प्रथाओं को अन्य पंचायतों में दोहराया जा रहा है और इसके परिणामस्वरूप अनुभवों और विशेषज्ञता को साझा करने के माध्यम से जमीनी स्तर पर प्रभावी प्रथाओं को बढ़ावा मिल रहा है. राज्यों के भीतर और बाहर पीआरआई का बाहरी दौरा ज्ञान साझा करने का एक अन्य तरीका है. साथ ही, अन्य हितधारकों के बीच पंचायतों द्वारा अपनाई गई अच्छी प्रथाओं का प्रसार करने के लिए राज्यों में पंचायत शिक्षण केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं.
उन्होंने कहा कि मंत्रालय ने विभिन्न रणनीतियों और तंत्रों के माध्यम से पीडीआई को संस्थागत बनाने की प्रक्रिया शुरू की है. राज्यों को मंत्रालय द्वारा अपनाई गई कार्य नीतियों से अवगत कराया जाता है और वे पंचायत स्तर पर परिणामोन्मुख विकास लक्ष्यों के लिए पीडीआई का उपयोग करने के लिए तैयार हैं. पीडीआई का परिणाम एलएसडीजी की उपलब्धि के लिए पंचायत द्वारा प्राप्त अंकों के माध्यम से वृद्धिशील प्रगति को मापेगा और पीडीआई का आधारभूत डेटा बेहतर निष्पादन के लिए वांछित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए साक्ष्य आधारित पंचायत विकास योजना की तैयारी में स्थानीय लक्ष्य और कार्रवाई योग्य बिंदु निर्धारित करने में मदद करेगा.
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