सोयाबीन के दामों पर घमासान जारी है. सोयाबीन के दामों में उछाल के लिए बीते दिनों केंद्र सरकार ने कुछ अहम फैसले लिए थे. जिसके तहत महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और तेलांगना से MSP पर सोयाबीन की खरीद की घाेषणा की गई थी. तो वहीं इसी कड़ी में सोयाबीन के दामों में बढ़ोतरी के लिए खाद्य तेलों की इंपोर्ट ड्यूटी में बढ़ाेतरी की थी, जिसके तहत पाम ऑयल, सोयाबीन और सुरजमुखी की इंपोर्ट ड्यूटी में 20 फीसदी की बढ़ाेतरी की गई थी. केंद्र सरकार के इस फैसले से सोयाबीन के दामाें में सुधार हुआ था, लेकिन बीते कुछ दिनों से अटकलाें का बाजार गर्म है, जिसके तहत ये कहा जा रहा है कि केंद्र सरकार एक बार फिर खाद्य तेलों की इंपोर्ट ड्यूटी में बदलाव कर सकती है. आज की बात इसी पर...
अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं कॉन्फडेरेशन ऑफ इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय मंत्री शंकर ठक्कर ने बताया कि केंद्र सरकार ने 14 सितंबर को इंपोर्ट ड्यूटी में 20 फीसदी की बढ़ोतरी की थी. उन्होंने बताया कि इससे पहले तक जब भी भारत इंपोर्ट ड्यूटी में बढ़ोतरी करता था, तब खाद्य तेल के बड़े एक्सपोर्टर देश एक्सपोर्ट शुल्क में कटौती करते थे, लेकिन इस बार बड़े उत्पादक देशों ने एक्सपोर्ट शुल्क में कटौती नहीं की है, जबकि इसके उलट भारत सरकार के फैसले के बाद इंटरनेशनल बाजारों में खाद्य तेलों के दामों में बड़ा उछाल देखने को मिला है.
कैट ने राष्ट्रीय मंत्री शंकर ठक्कर बताते हैं कि खाद्य तेलाें की इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाने संबंंधी भारत सरकार का दांव उल्टा पड़ गया. शंकर ठक्कर के मुताबिक सरकार ने नए विकल्प ढूंढ़ने शुरू कर दिए हैं और सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक कृषि मंत्रालय में कृषि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी) की कृषि वस्तुओं के लिए "गतिशील आयात शुल्क संरचना" की सिफारिश को लागू किया जा सकता है. ठक्कर के मुताबिक प्रस्तावित टैरिफ प्रणाली तिलहन के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के साथ-साथ घरेलू और वैश्विक कीमतों पर आधारित होगी.
शंकर ठक्कर ने आगे कहा कृषि मंत्रालय द्वारा यदि गतिशील इंपोर्ट शुल्क संरचना का ठीक से अध्ययन नहीं किया गया तो हित धारक को इस गतिशील इंपोर्ट शुल्क लागू करने वाली कमेटी में शामिल नहीं किया तो यह दांव भी उल्टा पड़ सकता है. वह बताते हैं कि गतिशील इंपोर्ट ड्यूटी का असर आम उपभोक्ता से लेकर किसानों, इंपोर्टर, विक्रेताओं को प्रभावित करता है. इसलिए सरकार को सभी घटकों को इस नए प्रकार की प्रणाली लागू करने के पूर्व कमेटी में शामिल करना चाहिए.