Mahashivratri 2024: भगवान शिव को बेहद पसंद है धतूरा, जानें इसके औषधीय गुण

Mahashivratri 2024: भगवान शिव को बेहद पसंद है धतूरा, जानें इसके औषधीय गुण

भगवान शिव की सबसे प्रिय चीजों में से एक है धतूरा. इसका प्रयोग हमेशा भगवान शिव की पूजा में किया जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब भगवान शिव ने समुद्र मंथन से निकले हलाहल विष को अपने कंठ में धारण किया तो उनका कंठ नीला पड़ने लगा और वे बेहोश हो गए. तब उनके इलाज के लिए आदिशक्ति मां जगदंबा ने देवताओं से धतूरा और भांग से उनका इलाज करने को कहा.

Benefits of DhaturaBenefits of Dhatura
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Feb 26, 2024,
  • Updated Feb 26, 2024, 9:45 PM IST

हिंदू धर्म में भोलेनाथ को देवों के देव महादेव कहा जाता है. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन ही भोलेनाथ और माता पार्वती का विवाह हुआ था. शिवरात्रि हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है. इस बार महाशिवरात्रि का त्योहार 8 मार्च 2024, शुक्रवार को मनाया जाएगा. शिवरात्रि के दिन बड़ी संख्या में भगवान शिव के भक्त शिव मंदिर पहुंचते हैं और शिवलिंग का अभिषेक करते हैं और उस पर बेलपत्र, आक, भांग और धतूरा चढ़ाते हैं. ऐसे में भगवान भोलेनाथ को धतूरा चढ़ाने के पीछे का कारण और इससे जुड़ी पौराणिक कथा भी जानेंगे. साथ ही धतूरा के औषधीय गुणों के बारे में भी जानेंगे.

धतूरा में पाए जाने वाले औषधीय गुण

  • शारीरिक कमजोरी को दूर करने में धतूरे का प्रयोग सबसे कारगर साबित होता है. यदि इसका छिलका उतारकर बीज निकाल लिया जाए और इसमें लौंग डालकर पीसकर खाया जाए तो थकान दूर हो जाएगी.
  • धतूरे का सेवन पुरुषों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. इससे उनकी शारीरिक क्षमता बढ़ती है. इसका सेवन करने के लिए लौंग और धतूरे के बीजों को बराबर मात्रा में मिलाकर पीस लें. अब इसमें शहद मिलाएं और छोटी-छोटी गोलियां बना लें. अब रोज सुबह एक गोली लें.
  • आजकल प्रदूषण और अनियमित दिनचर्या के कारण कम उम्र में ही लोगों के बाल सफेद हो रहे हैं और झड़ने लगे हैं. इससे बचने के लिए ढाई सौ ग्राम धतूरे के पत्तों के रस को आधा लीटर सरसों के तेल में मिलाकर पकाएं. जब इसकी मात्रा थोड़ी कम हो जाए तो इसे ठंडा करके एक बोतल में भर लें. अब इस तेल को रोजाना सिर पर लगाएं. इससे बाल सफेद होने और झड़ने की समस्या दूर हो जाती है.
  • यह बालों के झड़ने की समस्या को दूर करने में भी कारगर है. इसके लिए ढाई सौ ग्राम धतूरे के पत्तों के रस को आधा लीटर तिल के तेल में मिलाकर पकाएं. अब इसे एक दिन छोड़कर लगाएं. ऐसा करने से बाल झड़ना बंद हो जाएंगे और डैंड्रफ से भी छुटकारा मिल जाएगा.
  • धतूरे का इस्तेमाल जोड़ों के दर्द से राहत दिलाने में सहायक है. इसके प्रयोग के लिए तिल के तेल और धतूरे की पत्तियों से बने रस से रोजाना हाथ-पैरों की मालिश करने से जोड़ों और गठिया रोग से राहत मिलती है.
  • अगर किसी को बुखार, सर्दी और खांसी है तो उसे धतूरे के बीज खिलाएं. इसे बनाने के लिए लगभग 125 से 250 मिलीग्राम धतूरे के बीज लें. अब इसे जला दें. जलाने के बाद बची हुई राख को रोगी को दे दें. ऐसा दिन में दो बार करने से बुखार कम हो जाएगा.

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धतूरा चढ़ाने के पीछे पौराणिक कथा

सनातन धर्म के धार्मिक ग्रंथ शिव पुराण के अनुसार जब समुद्र मंथन हुआ तो समुद्र से निकली वस्तुओं को राक्षसों और देवताओं के बीच बांट दिया गया. जब भगवान शिव ने समुद्र मंथन के दौरान निकले हलाहल विष को पिया तो उनका कंठ नीला पड़ गया और वे व्याकुल और अचेत हो गए, जिसे देखकर सभी देवी-देवता डर गए.

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, उस समय आदिशक्ति प्रकट हुईं और उन्होंने भगवान शिव को बचाने के लिए जड़ी-बूटियों और जल से उनका अभिषेक करने की सलाह दी. जैसे ही देवी-देवताओं ने भांग, धतूरा, बेल आदि जड़ी-बूटियों से युक्त जल से भगवान शिव का लगातार अभिषेक किया तो भोलेनाथ के मस्तिष्क का तापमान धीरे-धीरे कम हो गया और वे स्वस्थ हो गए. तभी से भोलेनाथ को धतूरा चढ़ाने की परंपरा चली आ रही है.

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