Gene-Edited Sheep: कश्मीर के रिसर्चर्स ने तैयार की भारत की पहली जीन एडिटेड भेड़, जानें इसके बारे में सबकुछ 

Gene-Edited Sheep: कश्मीर के रिसर्चर्स ने तैयार की भारत की पहली जीन एडिटेड भेड़, जानें इसके बारे में सबकुछ 

Gene-Edited Sheep: कश्मीर स्थित एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने भारत की पहली जीन-एडीटेड भेड़ तैयार की है. उनकी इस उपलब्धि को भारत में एनीमल बायो-टेक्‍नोलॉजी में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर करार दिया जा रहा है. शेर-ए-कश्मीर कृषि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (SKUAST) ने इसे 'एक अभूतपूर्व वैज्ञानिक उपलब्धि' बताया है.

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क‍िसान तक
  • Noida,
  • May 28, 2025,
  • Updated May 28, 2025, 1:08 PM IST

कश्मीर स्थित एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने भारत की पहली जीन-एडीटेड भेड़ तैयार की है. उनकी इस उपलब्धि को भारत में एनीमल बायो-टेक्‍नोलॉजी में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर करार दिया जा रहा है. शेर-ए-कश्मीर कृषि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (SKUAST) ने इसे 'एक अभूतपूर्व वैज्ञानिक उपलब्धि' बताया है. देश के कृषि और पशुपालन विशेषज्ञ इस उपलब्धि को आने वाले समय में  भारत को बड़ा फायदा पहुंचाने वाला घटनाक्रम करार दे रहे हैं. 

कोई भी विदेशी डीएनए नहीं 

इस एडीटेड भेड़ में कोई विदेशी डीएनए नहीं है जो इसे ट्रांसजेनिक जीवों से अलग करता है. साथ ही भारत के विकसित हो रही बायोटेक पॉलिसी के इनफ्रास्‍ट्रक्‍चर में रेगुलेटरी अप्रूवल का रास्‍ता भी खोलता है.  एसकेयूएएसटी-कश्मीर के डीन फैकल्टी ऑफ वेटरनरी साइंसेज, रियाज अहमद शाह के नेतृत्व में रिसर्चर्स की टीम ने करीब चार सालों के रिसर्च के बाद यह उपलब्धि हासिल की है. ​​शाह की टीम ने इससे पहले साल 2012 में भारत की पहली पश्मीना बकरी- 'नूरी' का क्लोन बनाया था. उसे भी एक मील का पत्थर करार दिया गया था. नूरी क्‍लोन की दुनिया भर में तारीफ हुई थी. 

शाह ने बताया, 'यह नया डेवलपमेंट भारत को एडवांस्‍ड जीनोम एडीटेड टेक्‍नोलॉजी में दुनिया के नक्‍शे में एक नई जगह देता है. साथ ही एसकेयूएएसटी-कश्मीर को रि-प्रॉडेक्टिव बायो-टेक्‍नोलॉजी रिसर्च में सबसे आगे रखता है. उन्होंने कहा कि यह एनीमल बायो-टेक्‍नोलॉजी के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर है. 

कैसे हुई यह भेड़ तैयार 

इस भेड़ को जीन एडीटींग टेक्‍नोलॉजी CRISPR-Cas9  का प्रयोग करके तैयार किया है. साथ ही इंटरनेशनल बायो-सिक्‍योरिटी प्रोटोकॉल का पालन किया गया था. शाह ने कहा कि जीन-एडीटेड मेमने को 'मायोस्टैटिन' जीन के लिए मोडिफाई किया गया है. यह मांसपेशियों की वृद्धि का एक रेगुलेटर है. उन्होंने बताया कि इस जीन को बाधित करके, जानवर में मसल्‍स मास करीब 30 प्रतिशत बढ़ जाता है. यह एक ऐसा गुण है जो भारतीय भेड़ की नस्लों में स्वाभाविक रूप से गायब है. लेकिन टेक्सेल जैसी चुनिंदा यूरोपियन नस्लों में पाया जाता है. 

क्‍या होगा इसका फायदा 

अभी तक यह रिसर्च के स्तर पर किया गया है. शाह की मानें तो इस तकनीक को कई तरह से प्रयोग किया जा सकता है. शाह के अनुसार बीमारियों के लिए जिम्मेदार जीन को एडिट करके रोग-प्रतिरोधी जानवर पैदा कर सकते हैं. इसके अलावा यह तकनीक जन्म के समय जानवरों के जुड़वां होने में भी मदद कर सकती है. 

जीन संपादन क्या है?

जीन एडीटिंग, जिसे जीनोम एडिटिंग के तौर पर भी जाना जाता है, दरअसल टेक्‍नोलॉजी का एक ग्रुप है जो वैज्ञानिकों को किसी जीव के डीएनए को सटीक तौर पर बदलने की मंजूरी देता है. ये टेक्‍नो‍लॉजी जीनोम के अंदर खास जगहों पर आनुवंशिक सामग्री को जोड़ने, हटाने या बदलने में सक्षम बनाती हैं. 

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