हाल ही में अहमदाबाद में ‘राष्ट्रीय मसाला सम्मेलन (एनएससी) 2024’ का आयोजन हुआ, जिसमें विश्व मसाला संगठन (डब्ल्यूएसओ) के अध्यक्ष रामकुमार मेनन शामिल हुए. उन्होंने कहा है कि भारत का घरेलू मसाला निर्यात बाजार 2030 तक 10 अरब डॉलर तक पहुंचने की संभावना है. यह नए भौगोलिक क्षेत्रों में अपनी जगह बनाएगा. कार्यक्रम में रामकुमार मेनन ने कहा कि इस वित्त वर्ष की पहली छमाही में मसाला निर्यात में 8.8 प्रतिशत की साल दर साल बढ़ोतरी देखी गई है, जिसमें भारत का मसाला निर्यात 17,488 करोड़ रुपये (2.09 अरब डॉलर) तक पहुंच गया.
वित्त वर्ष 24-25 के लिए मसाला निर्यात 4.7 अरब डॉलर को पार करने के लिए तैयार है. उन्होंने कहा कि 10 अरब डॉलर के लक्ष्य को पूरा करने के लिए भारत को लगभग 15 मिलियन टन मसालों का उत्पादन करना होगा. इससे पहले वित्त वर्ष 2023-24 में मसालों और मसाला उत्पादों का निर्यात 4.46 बिलियन डॉलर के कारोबार के साथ अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंचा था. केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अधीन आने वाले मसाला बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक, 2023-24 के दौरान देश से मसालों और मसाला उत्पादों का निर्यात 15,39,692 टन रहा, जिसकी कीमत 36,958.80 करोड़ रुपये (4464.17 मिलियन डॉलर) है.
यह बढ़ोतरी मात्रा में उछाल और काली मिर्च, इलायची और हल्दी जैसी कुछ वैरायटी की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण हुई. लाल मिर्च का निर्यात वित्त वर्ष 24 में रिकॉर्ड 1.5 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया है, जबकि पिछले साल 1.3 बिलियन डॉलर का निर्यात हुआ. यानी 15 प्रतिशत अधिक निर्यात हुआ है. चीन और बांग्लादेश में मांग के कारण इतना कारोबार हुआ. भारत के कुल मसाला निर्यात का लगभग 34 प्रतिशत हिस्सा 1.5 बिलियन डॉलर कीमत की लाल मिर्च का निर्यात पूरा करता है.
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केडिया एडवाइजरी के अनुसार, वित्त वर्ष 24 में चीन भारत से लाल मिर्च आयात करने वाला शीर्ष देश था. चीन ने 4,123 करोड़ रुपये कीमत की 1.79 लाख टन से अधिक मिर्च खरीदी. मसाला बोर्ड ने मसालों और मूल्यवर्धित मसाला उत्पादों के निर्यात को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाने के साथ ही इलायची की उत्पादकता में सुधार करने और निर्यात के लिए पूरे भारत में मसालों की कटाई के बाद की गुणवत्ता को उन्नत करने की योजना बनाई है.
'निर्यात विकास के लिए प्रगतिशील, अभिनव और सहयोगात्मक हस्तक्षेप (SPICED) के माध्यम से मसाला क्षेत्र में स्थिरता' योजना के तहत शुरू किए गए विभिन्न कार्यक्रमों को 15वें वित्त आयोग चक्र की बची हुई अवधि के दौरान वित्त वर्ष 2025-26 तक लागू किया जाएगा. इस पर कुल स्वीकृत खर्च 422.30 करोड़ रुपये होगा.