ICAR-IISWC ने VKSA 2025 को लेकर आयोजित की वर्कशॉप, कई वैज्ञानिकों ने अनुभव किए साझा

ICAR-IISWC ने VKSA 2025 को लेकर आयोजित की वर्कशॉप, कई वैज्ञानिकों ने अनुभव किए साझा

आईसीएआर-भारतीय मृदा और जल संरक्षण संस्थान, देहरादून ने VKSA-2025 पर एक अनुभव साझा कार्यशाला का आयोजन किया, जिसमें आठ क्षेत्रीय केंद्रों के वैज्ञानिकों और फील्ड टीमों ने भाग लिया. कार्यशाला में VKSA की गतिविधियों की समीक्षा, चुनौतियों की पहचान और भविष्य की रणनीतियों पर चर्चा की गई.

ICAR IISWC Workshop DehradunICAR IISWC Workshop Dehradun
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Jun 21, 2025,
  • Updated Jun 21, 2025, 2:23 PM IST

आईसीएआर- भारतीय मृदा और जल संरक्षण संस्थान (ICAR-IISWC), देहरादून ने 20 जून 2025 को विकसित कृषि संकल्प अभियान (VKSA)-2025 पर एक अनुभव साझा कार्यशाला आयोजि‍त की. इस कार्यशाला में 29 मई से 12 जून 2025 के दौरान की गई गतिविधियों की समीक्षा की गई. इस कार्यशाला में संस्थान के आठ क्षेत्रीय केंद्रों- आगरा, बल्लारी, चंडीगढ़, दतिया, कोरापुट, कोटा, उदगमंडलम और वसाड और मुख्यालय देहरादून से आए वैज्ञानिकों, फील्ड समन्वयक और अनुसंधान टीमों के सदस्‍य शामिल हुए. कार्यशाला में VKSA की पहलों के क्रियान्वयन की समीक्षा की गई और रिसर्च लायक मुद्दों और भविष्य की रणनीतियों की पहचान की गई.

किसान केंद्रित बदलाव को मिलेगा बढ़ावा

कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए संस्थान के निदेशक डॉ. एम. मधु ने कहा कि VKSA पहल ने विभिन्न कृषि-जलवायु क्षेत्रों में किसानों के साथ संस्थान की भागीदारी को मजबूत करने का बड़ा अवसर दिया. उन्होंने ज़मीनी अनुभवों को रिसर्च लायक सुझावों को नीतिगत इनपुट्स में रूपांतरित करने की जरूरत बताई. डॉ. बांके बिहारी, ICAR-IISWC में VKSA के समन्वयक ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया और कार्यशाला के एजेंडे को प्रस्तुत करते हुए विचार-विमर्श की दिशा तय की.

प्रधान वैज्ञानिक और कार्यशाला समन्वयक डॉ. एम. मुरुगानंदम ने कहा कि यह कार्यशाला विभिन्न केंद्रों के अनुभवों को समन्वित करने, कार्यान्वयन रणनीतियों को सुधारने और भविष्य की पहलों के लिए इनोवेशन की खोज के लिए एक प्रमुख अवसर सिद्ध हुई है. उन्होंने नीतियों के निर्माण, क्षमतावर्धन और किसान-केंद्रित कृषि बदलाव को बढ़ावा देने में साझा अनुभवों के आदान-प्रदान की महत्ता पर भी बात की.

यह है VKSA-2025 पहल का उद्येश्‍य

VKSA-2025, भारत सरकार की एक प्रमुख राष्ट्रीय पहल है, जिसका उद्देश्य स्थानीय रूप से उपयुक्त और सहभागी दृष्टिकोणों के माध्यम से सतत कृषि विकास को बढ़ावा देना है. VKSA के उद्देश्यों के अनुरूप, ICAR-IISWC अपने सभी क्षेत्रीय केंद्रों के माध्यम से विभिन्न पहलों को कार्यान्वित कर रहा है, जिनमें मृदा एवं जल संरक्षण, खरीफ फसलों के लिए टिकाऊ प्रथाओं का प्रचार-प्रसार, आजीविका संवर्धन और विशेष रूप से छोटे एवं सीमांत किसानों के बीच महिला सशक्तिकरण शामिल हैं.

कृषि वैज्ञानिकों ने साझा किए अनुभव

कार्यशाला के दौरान, केंद्राध्यक्षों, फील्ड टीमों और नोडल अधिकारियों ने VKSA क्रियान्वयन के अपने अनुभव, सफल कहानियां, फील्ड स्तर के नवाचार और सामने आई चुनौतियां साझा कीं. उनके अनुभवों से विभिन्न कृषि-जलवायु स्थितियों में अपनाई गई विविध रणनीतियों का पता चला, जैसे एकीकृत खेती प्रणालियों का प्रचार, स्थान-विशिष्ट प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन उपाय और उन्नत कृषि तकनीकों के प्रसार की रणनीतियां. इन विचार-विमर्शों से भविष्य की पहलों का मार्गदर्शन करने वाले नीतिगत दिशा-निर्देशों और अनुसंधान प्राथमिकताओं की भी पहचान की गई.

अनुसंधान के क्षेत्र में, कार्यशाला में यह रेखांकित किया गया कि विशिष्ट कृषि-जलवायु परिस्थितियों और संसाधन सीमाओं के अनुरूप वैकल्पिक भूमि उपयोग मॉडल विकसित किए जाएं, वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिए टिकाऊ निवारक तकनीकों का नवाचार किया जाए, मक्का, हल्दी, अदरक और कचालू जैसी फसलों के लिए एकीकृत कीट एवं रोग प्रबंधन प्रथाएं तैयार की जाएं, और कुशल जल संचयन एवं सिंचाई प्रणालियों की डिजाइनिंग की जाए.

वर्कशॉप में लगभग 100 लोग हुए शामिल

फील्ड क्रियान्वयन टीमों से प्राप्त फीडबैक में VKSA पहलों के सकारात्मक प्रभावों को रेखांकित किया गया, जिनमें फसल उत्पादकता में वृद्धि, मृदा क्षरण में कमी, जल उपयोग दक्षता में सुधार और मूल्य संवर्धित कृषि उत्पादों के माध्यम से बेहतर बाजार पहुंच शामिल है. ये परिणाम VKSA-2025 की आत्मनिर्भर कृषि और विकसित भारत@2047 के राष्ट्रीय लक्ष्यों में सार्थक योगदान देने की संभावनाओं को उजागर करते हैं. इस कार्यशाला में देशभर से लगभग 100 प्रतिभागियों, जिनमें से 50 ऑनलाइन माध्यम से जुड़े थे, ने सक्रिय रूप से भाग लिया, जिनमें वैज्ञानिक, तकनीकी अधिकारी और समन्वयक शामिल थे.

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