अक्टूबर में घर की थाली 20 फीसदी महंगी हुई, टमाटर-आलू के दाम में 40 फीसदी तक उछाल से मुश्किल में उपभोक्ता 

अक्टूबर में घर की थाली 20 फीसदी महंगी हुई, टमाटर-आलू के दाम में 40 फीसदी तक उछाल से मुश्किल में उपभोक्ता 

खाने पीने के सामानों की महंगाई में कमी ना आने से लोगों की रसोई का बजट बिगड़ता जा रहा है. RBI गवर्नर ने अनुमान जताया है कि अक्टूबर में रिटेल महंगाई सितंबर से भी ज्यादा रह सकती है. ऐसे में अगले महीने होने वाली MPC बैठक में एक बार फिर रेपो रेट में कमी के आसार कम हो गए हैं.

प्याज की कीमतें कई जगह 60 से 80 रुपए प्रति किलो तक पहुंच चुकी है. प्याज की कीमतें कई जगह 60 से 80 रुपए प्रति किलो तक पहुंच चुकी है.
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Nov 11, 2024,
  • Updated Nov 11, 2024, 3:39 PM IST

खाने-पीने की चीजों की बढ़ती महंगाई ने लोगों से लेकर सरकार और RBI यानी नीति निर्माताओं तक हर किसी को परेशान कर रखा है. अक्टूबर में सब्जियों की कीमतों में फिर से तेजी आई जिससे रिटेल महंगाई के बढ़ने का खतरा बढ़ गया है. ये महंगाई लोगों के किचन का बजट बिगाड़ने में लगी है तो होम लोन की EMI में कमी के रास्ते का ब्रेकर भी बनी हुई है. अक्टूबर में घर की बनी थाली की कीमत 20 परसेंट तक बढ़ गई है, जिसकी वजह सब्जियों की कीमतों में हुआ भारी इजाफा है. प्याज, जो हर डिश का बेसिक इंग्रीडिएंट है, उसकी कीमतें कई जगह 60 से 80 रुपए प्रति किलो तक पहुंच चुकी हैं. वहीं, टमाटर और आलू के दाम भी 30 से 40 परसेंट तक बढ़ गए हैं. 

सब्जियों के दाम बढ़ने से बढ़ी मुश्किल

हाल ही में आई रोटी चावल दर रिपोर्ट में सामने आया है कि अक्टूबर में घर की बनी थाली की कीमत 20 परसेंट तक बढ़ गई है जिसकी वजह सब्जियों की कीमतों में हुआ भारी इज़ाफा है -बीते महीने प्याज, आलू और टमाटर जैसी जरुरी सब्जियों के दाम में काफी इजाफा हुआ है. इस महंगाई का सीधा असर घर की थाली पर पड़ा है. ऐसे में आम लोगों के लिए रोजाना की जरूरतों का खर्च उठाना अब पहले से भी मुश्किल हो गया है. प्याज, जो हर डिश का बेसिक इंग्रीडिएंट है, उसकी कीमतें कई जगह 60 से 80 रुपए प्रति किलो तक पहुंच चुकी हैं. वहीं, टमाटर और आलू के दाम भी 30 से 40 परसेंट तक बढ़ गए हैं. 

रिटेल महंगाई दर में बढ़ोत्तरी की आशंका 

महंगाई के असर से भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर ने भी संकेत दिया है कि अक्टूबर में रिटेल महंगाई दर साढ़े 5 परसेंट से भी ज्यादा रहने के आसार हैं. ये महंगाई दर ग्लोबल आर्थिक चुनौतियों के असर से बढ़ी हुई है. हालांकि RBI गवर्नर शक्तिकांत दास का मानना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था इन चुनौतियों का सामना करने में सक्षम है. इसके बावजूद ये सवाल लगातार खड़ा हो रहा है कि इस महंगाई का असर कितना लंबा चलेगा? अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में तेल, खाद्य तेल और कई दूसरे आयातित सामानों की कीमतों में आई तेजी इसकी मुख्य वजह है, जिससे भारत में भी कीमतें बढ़ रही हैं। रिटेल महंगाई के बढ़ते आंकड़ों के असर से RBI के लिए दिसंबर में ब्याज दरें कम करने का फैसला करना मुश्किल हो जाएगा.

ईएमआई में राहत मिलना मुश्किल 

ब्याज दरें कम न होने का सीधा असर होगा कि आम आदमी को किसी भी नए होम लोन, कार लोन या किसी भी कर्ज की EMI में राहत मिलना मुश्किल होगा. जबकि, सितंबर में फेड की तरफ से रेट कट के बाद उम्मीद थी कि दिसंबर में EMI को बोझ कुछ हद तक कम हो जाएगा. ब्याज दरों में कमी ना होने से मौजूदा होम लोन धारकों पर भी दबाव बढ़ेगा और नए लोन लेने वालों के लिए भी मुश्किलें बढ़ेंगी. इससे बाजार में एक अनिश्चितता का माहौल भी बना हुआ है, क्योंकि ब्याज दरों में कमी की उम्मीद से निवेश और खरीदारी में तेजी आती है. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि आने वाले महीनों में महंगाई से कुछ राहत मिलेगी जिससे घर का बजट मैनेज करना आसान हो जाएगा. (आदित्य के राणा) 

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