उत्तरकाशी टनल से निकलने के बाद भी 41 मजदूरों के दिमाग के घाव क्या कभी मिट सकेंगे? 

उत्तरकाशी टनल से निकलने के बाद भी 41 मजदूरों के दिमाग के घाव क्या कभी मिट सकेंगे? 

विशेषज्ञों को कहना है कि टनल से निकलने के बाद 41 मजदूर का जीवन इतना आसान नहीं होगा. उन्हें कई मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. इसके लिए उन्हें सपोर्ट की जरूरत होगी. उन्हें डिप्रेशन और एंजाइटी हो सकती है. क्योंकि उनके मन में चल रहा था कि वो निकल पाएंगे या नहीं. इसलिए उन्हें अवसाद से बचाने के लिए सपोर्ट की जरूरत है.

Uttarkashi TunnelUttarkashi Tunnel
क‍िसान तक
  • Uttarakhand,
  • Nov 24, 2023,
  • Updated Nov 24, 2023, 2:32 PM IST

उत्तरकाशी टनल में फंसे 41 मजदूरों के नजदीक बचाव दल पहुंच गया है. पता चला है कि कुछ को बुखार और बदहजमी है. दवाई दी गई है. मनोचिकित्सकों से भी बात कराई गई है. घुप्प अंधेरे में 60 मीटर पाइप के सहारे 12 दिनों से ज्यादा रहते हुए कोई स्वस्थ इंसान भी शारीरिक ही नहीं बल्कि कई मानसिक स्थितियों से गुजरता है और कभी न भूल पाने वाला मंजर उसे रह रहकर याद आता है. इतने बड़े ट्रामा और इतने खौफनाक मंजर निकलने के बाद अगले एक महीने इन 41 मजदूरों के लिए कैसे होंगे? और उन परेशानियों से बचने के लिए क्या करना चाहिए.

विशेषज्ञों का मानना है कि शुरुआती दिनों में उन्हें बहुत परेशानी और टेंशन होगी, क्योंकि टनल के अंदर अनिश्चितता सबसे ज्यादा परेशान करती है. 41 मजदूरों के ऑडियो विजुअल कांटेक्ट इस्टैबलिश्ड होने के बाद सपोर्टिव काउंसलिंग बहुत जरूरी है. व्यक्ति और समूह का मनोबल भले ही काम कर रहा हो लेकिन बाहरी मदद की जरूरत होती है. एक्स्ट्रा सपोर्टिव काउंसलिंग की जरूरत है. सभी मजदूर एडल्ट हैं एक दूसरे को जानते और समझते हैं और सेम हालात में काम करते हैं. लिहाजा मिलजुलकर सबकी मनोस्थिति बहुत अच्छी होगी. यह उम्मीद की जा सकती है.

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साइकोलॉजिस्ट ने क्या कहा?

मनसा ग्लोबल फाउंडेशन फॉर मेडिकल हेल्थ की फाउंडर क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट श्वेता शर्मा ने कहा कि मजदूरों को मोटीवेशन और विल वापर ही सरवाइवल पावर देगा. खास ध्यान रखा जाए कि उम्मीद जो हम उनको दे रहे हैं वो 100 फीसदी होनी चाहिए. इसमें आशंका न हो. ये उम्मीद ही विल पावर और क्षमता को बढ़ाने में मदद करेगी.  

4 तरीके की समस्या देख रहे मनोचिकित्सक  

डिप्रेशन-- बहुत लंबे समय तक ऐसी जगह पर रहे जहां पर उम्मीद लगभग न थी.

एंजाइटी--  समझ पा रहे थे कि निकल पाएंगे या नही ये लंबे समय तक दिमाग में होने पर अवसाद की स्थिति हो जाती है.

पैनिक अटैक-- एंजाइटी का लेवल हाई होने पर शरीर पर दिमाग का नियंत्रण खत्म हो जाता है. इसे ही पैनिक एंगजाइटी डिसऑर्डर कहते हैं.

पीटीएसडी--पोस्ट ट्रॉमेटिक डिसॉर्डर 

बीमारी से निकलने में लग सकता है समय

लंबे समय तक अवसाद के तौर पर दिमाग पर असर पड़ता है. बाहर आने पर उसे सही होने में समय लगेगा. एंगजाइटी भी फैलेगी क्योंकि कई लोग पैनिक कर रहे हैं. जो पैनिक अटैक में एंग्जाइटी कन्वर्ट हो सकती है. बाहर आकर कई लोगों को पैनिक अटैक का सामना करना पड़ सकता है. श्वेता शर्मा का कहना है कि प्राइमरी काउंसिलिंग और कुछ मामलों में दवाओं की जरूरत पड़ती है. साइकाट्रिस्ट और क्लीनिकल साइकॉलॉजिस्ट की मौजूदगी में  एग्जाइटी है या पीटीएसडी है सभी तरह की साइकोथेरेपी तकनीक लगाई जाएगी. जो तीन से लेकर 6 महीने तक चल सकता है. इस पर सरकार की तरफ से ध्यान देना जरूरी है तभी वो ट्रामा से बाहर आ सकेंगे.

 क्या है इफेक्टिव तरीका

भूकंप पर की गई स्टडी ने पीटीएसडी को खत्म करने का सबसे इफैक्टिव तरीका बताया है.वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ Dr Nimesh G Desai ने कहा कि उत्तरकाशी की घुप्प अंधेरी सुरंग से 41 मजदूर जब बाहर आएंगे तब उनकी ट्रॉमा काउंसलिंग या डीप ब्रीफिंग बहुत जरूरी होगी. उनको अपने वेंटिलेशन और अनुभव बयां करने का मौका दिया जाए जिससे लंबे अरसे की कॉम्प्लिकेशन कम हो जाएगी. निमेष ने पीटीएसडी को वैज्ञानिक रूप से संभव बताया.  दरअसल गुजरात में भूकंप के बाद दशकों तक रिसर्च हुई और पता लगा कि भारत में अगर पीटीएसडी के क्लीनिकल पिक्चर या लक्षण नजर आते हैं तो आसानी से रिकवर कर जाते हैं जबकि वियतनाम, कोरिया और गल्फ वार के वक्त में अमेरिका में पीटीएसडी के मामले बहुत देखे गए थे.

मजदूरों को बाहर निकालने के बाद क्या करें?

गुजरात के भूकंप के बाद आईसीएमआर और गुजरात सरकार की मदद से 2001 की भूकंप पर  स्टडी की गई. कछ एरिया में 35000 व्यक्तियों की शॉर्ट या लॉन्ग टर्म में पीटीएसडी के मामले पर रिसर्च हुई लेकिन किसी में भी लांग या शॉर्ट टर्म मेमरी नहीं देखी गई. निमेल का कहना है कि कल्चरल वेरिएशन भारत में बहुत है लिहाजा डीप काउंसलिंग और डीप ब्रीफिंग पर जोर दिया जाए. मजदूरों का ढ़ाढस बढ़ाना है. एश्योरेंस करना है. ताकि वो बाहर निकलने पर अपने अनुभवों को व्यक्त कर सकें. इसे वेंटिलेशन कहते हैं और फैमिली से मिलने के बाद री एश्योरेंस हो जाएगी.

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